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शिमला , 05 अगस्त [ शिवानी ] ! बिजली बोर्ड कर्मचारियों के ट्रेड यूनियन अधिकारों की बहाली व उन अधिकारों पर हो रहे हमलों के खिलाफ भारत की कम्युनिस्ट पार्टी मार्क्सवादी की जिला कमेटी शिमला ने बिजली बोर्ड मुख्य कार्यालय कुमार हाउस शिमला पर जोरदार प्रदर्शन किया। प्रदर्शन में पार्टी जिला सचिव विजेंद्र मेहरा, लोकल कमेटी सचिव शिमला जगत राम, फालमा चौहान, जगमोहन ठाकुर, लोकल कमेटी सचिव जयशिव ठाकुर, बालक राम, अनिल ठाकुर, विवेक कश्यप, सोनिया सबरबाल, प्रताप ठाकुर, हेमराज चौधरी, कुंदन शर्मा, सन्नी सिकटा, कमल शर्मा, हिमी देवी, रंजीव कुठियाला, दलीप, कपिल नेगी, रामप्रकाश, वीरेंद्र पामटा, निशा, उमा, चंपा, बनीता, पवन, डोल्मा, सरिता, पूर्ण चंद, श्याम दीप्टा, रत्ती राम, दीप राम आदि शामिल रहे। प्रदर्शन को संबोधित करते हुए विजेंद्र मेहरा, जगत राम, फालमा चौहान व बालक राम ने मांग की है कि बिजली बोर्ड कर्मचारी यूनियन नेताओं को जारी की जा रही चार्जशीट, निलंबन व ट्रांसफर को तुरंत रद्द किया जाए। कुमार हाउस व प्रदेश के अन्य फील्ड कार्यालयों में गेट मीटिंग, धरना प्रदर्शन व रैली पर लगाई गई रोक को तुरंत हटाया जाए। भ्रष्ट प्रबंधन को तुरंत बिजली बोर्ड से हटाया जाए। बिजली बोर्ड कर्मियों की मांगों को अविलंब पूर्ण किया जाए व उनकी प्रताड़ना बंद की जाए। उन्होंने 7 अगस्त को शिमला में होने वाली बिजली कर्मियों की रैली के प्रति एकजुटता प्रकट की है व रैली को खुला समर्थन दिया है। उन्होंने कहा कि कानून के दायरे में रहते हुए उपभोक्ताओं व कर्मचारियों के महत्वपूर्ण मुद्दों पर बिजली बोर्ड की आधिकारिक पंजीकृत चुनी हुई हि. प्र. राज्य बिजली बोर्ड कर्मचारी यूनियन जब नियमित कर्मचारियों व पेंशनरों की मांगों, प्रबंधन के भ्रष्टाचार को बेनकाब करने, रिक्त पदों पर कर्मचारियों की भर्ती करने, ओपीएस बहाल करने, आउटसोर्स व ठेका कर्मचारियों को नियमित करने, उपभोक्ताओं को सस्ती बिजली सुनिश्चित करने आदि मुद्दों पर देश के लोकतांत्रिक मूल्यों में निहित, भारतीय संविधान के अनुच्छेद 19 व ट्रेड यूनियन एक्ट 1926 के प्रावधानों के अनुसार ट्रेड यूनियन गतिविधि व आंदोलन कर रही है तो यूनियन नेताओं की प्रताड़ना की जा रही है। उन्हें नोटिस दिए जा रहे हैं। उन्हें चार्जशीट किया जा रहा है। उनका तबादला व निलंबन किया जा रहा है। यह तानाशाही मानसिकता है जिसे किसी भी लोकतांत्रिक देश में सहन नहीं किया जा सकता है। यह सब कार्यरत अधिकारियों के भ्रष्टाचार की पराकाष्ठा, सेवानिवृत अधिकारियों की पुनर्नियुक्ति व बिजली बोर्ड प्रबंधन की आर्थिक लूट के खिलाफ यूनियन की लड़ाई को कमजोर करने के लिए किया जा रहा है। प्रताड़ना का अलम यह है कि बिजली बोर्ड प्रबंधन ने बिजली बोर्ड मुख्यालय कुमार हाउस में यूनियन द्वारा अपनी मांगों को लेकर भारतीय संविधान व ट्रेड यूनियन एक्ट में प्राप्त गेट मीटिंग, रैली, धरना, प्रदर्शन, हड़ताल पर प्रतिबंध लगा दिया है। इस तानाशाही को कतई मंजूर नहीं किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि केंद्र व प्रदेश सरकार की जनविरोधी नवउदारवादी नीतियों के कारण देश व प्रदेश का सार्वजनिक क्षेत्र बर्बाद हो रहा है। इसके कारण जनता व कर्मचारियों की जिंदगी पर बुरा असर पड़ रहा है। इन नीतियों के शिकंजे में अन्य सार्वजनिक संस्थानों की तर्ज पर हिमाचल प्रदेश राज्य बिजली बोर्ड भी है। हिमाचल प्रदेश के 28 लाख बिजली उपभोक्ता व उन्हें बिजली उपलब्ध करवाने वाले सोलह हजार कर्मचारी हिमाचल प्रदेश सरकार की जनविरोधी नीतियों का विपरीत प्रभाव झेलने को मजबूर हैं। बिजली बोर्ड के निजीकरण की साजिशें लंबे समय से चलती रही हैं, जिसे बिजली विधेयक 2022 ने बल दिया है। इसी मुहिम के तहत बिजली बोर्ड की उत्पादन, प्रसारण अथवा संचार व वितरण प्रणाली को ध्वस्त करके निजी हाथों में सौंपने की सोची समझी रणनीति चल रही है। स्मार्ट मीटर भी इसी निजीकरण की साजिश का एक हिस्सा है जिससे भविष्य में जनता को बेहद महंगी बिजली खरीदनी पड़ेगी। उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में भी बिजली बोर्ड भ्रष्टाचार का अड्डा बना हुआ है। भ्रष्टाचार का अलम यह है कि बिजली चोरी रोकने, उपभोक्ता डेटा इकट्ठा करने व बेहतर बिजली सुविधा के नाम पर लगाए जा रहे स्मार्ट मीटर लगाने के लिए खर्च किए जा रहे दो हजार करोड़ रुपए में से लगभग आधी राशि एक हजार करोड़ रुपए बेवजह खर्च की जा रही है। ऐसा इसलिए है क्योंकि प्रदेश के कुल 28 लाख उपभोक्ताओं में से लगभग आधे 13 लाख उपभोक्ताओं को जब प्रदेश सरकार 125 यूनिट बिजली मुफ्त में दे रही है व उपभोक्ताओं को कोई बिजली बिल ही नहीं आना है तो फिर पुराने बिजली मीटरों को बदलने का क्या तुक है। यह सब कोरा भ्रष्टाचार है।
शिमला , 05 अगस्त [ शिवानी ] ! बिजली बोर्ड कर्मचारियों के ट्रेड यूनियन अधिकारों की बहाली व उन अधिकारों पर हो रहे हमलों के खिलाफ भारत की कम्युनिस्ट पार्टी मार्क्सवादी की जिला कमेटी शिमला ने बिजली बोर्ड मुख्य कार्यालय कुमार हाउस शिमला पर जोरदार प्रदर्शन किया।
प्रदर्शन में पार्टी जिला सचिव विजेंद्र मेहरा, लोकल कमेटी सचिव शिमला जगत राम, फालमा चौहान, जगमोहन ठाकुर, लोकल कमेटी सचिव जयशिव ठाकुर, बालक राम, अनिल ठाकुर, विवेक कश्यप, सोनिया सबरबाल, प्रताप ठाकुर, हेमराज चौधरी, कुंदन शर्मा, सन्नी सिकटा, कमल शर्मा, हिमी देवी, रंजीव कुठियाला, दलीप, कपिल नेगी, रामप्रकाश, वीरेंद्र पामटा, निशा, उमा, चंपा, बनीता, पवन, डोल्मा, सरिता, पूर्ण चंद, श्याम दीप्टा, रत्ती राम, दीप राम आदि शामिल रहे।
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प्रदर्शन को संबोधित करते हुए विजेंद्र मेहरा, जगत राम, फालमा चौहान व बालक राम ने मांग की है कि बिजली बोर्ड कर्मचारी यूनियन नेताओं को जारी की जा रही चार्जशीट, निलंबन व ट्रांसफर को तुरंत रद्द किया जाए। कुमार हाउस व प्रदेश के अन्य फील्ड कार्यालयों में गेट मीटिंग, धरना प्रदर्शन व रैली पर लगाई गई रोक को तुरंत हटाया जाए। भ्रष्ट प्रबंधन को तुरंत बिजली बोर्ड से हटाया जाए।
बिजली बोर्ड कर्मियों की मांगों को अविलंब पूर्ण किया जाए व उनकी प्रताड़ना बंद की जाए। उन्होंने 7 अगस्त को शिमला में होने वाली बिजली कर्मियों की रैली के प्रति एकजुटता प्रकट की है व रैली को खुला समर्थन दिया है। उन्होंने कहा कि कानून के दायरे में रहते हुए उपभोक्ताओं व कर्मचारियों के महत्वपूर्ण मुद्दों पर बिजली बोर्ड की आधिकारिक पंजीकृत चुनी हुई हि. प्र. राज्य बिजली बोर्ड कर्मचारी यूनियन जब नियमित कर्मचारियों व पेंशनरों की मांगों, प्रबंधन के भ्रष्टाचार को बेनकाब करने, रिक्त पदों पर कर्मचारियों की भर्ती करने, ओपीएस बहाल करने, आउटसोर्स व ठेका कर्मचारियों को नियमित करने, उपभोक्ताओं को सस्ती बिजली सुनिश्चित करने आदि मुद्दों पर देश के लोकतांत्रिक मूल्यों में निहित, भारतीय संविधान के अनुच्छेद 19 व ट्रेड यूनियन एक्ट 1926 के प्रावधानों के अनुसार ट्रेड यूनियन गतिविधि व आंदोलन कर रही है तो यूनियन नेताओं की प्रताड़ना की जा रही है।
उन्हें नोटिस दिए जा रहे हैं। उन्हें चार्जशीट किया जा रहा है। उनका तबादला व निलंबन किया जा रहा है। यह तानाशाही मानसिकता है जिसे किसी भी लोकतांत्रिक देश में सहन नहीं किया जा सकता है। यह सब कार्यरत अधिकारियों के भ्रष्टाचार की पराकाष्ठा, सेवानिवृत अधिकारियों की पुनर्नियुक्ति व बिजली बोर्ड प्रबंधन की आर्थिक लूट के खिलाफ यूनियन की लड़ाई को कमजोर करने के लिए किया जा रहा है।
प्रताड़ना का अलम यह है कि बिजली बोर्ड प्रबंधन ने बिजली बोर्ड मुख्यालय कुमार हाउस में यूनियन द्वारा अपनी मांगों को लेकर भारतीय संविधान व ट्रेड यूनियन एक्ट में प्राप्त गेट मीटिंग, रैली, धरना, प्रदर्शन, हड़ताल पर प्रतिबंध लगा दिया है। इस तानाशाही को कतई मंजूर नहीं किया जा सकता है।
उन्होंने कहा कि केंद्र व प्रदेश सरकार की जनविरोधी नवउदारवादी नीतियों के कारण देश व प्रदेश का सार्वजनिक क्षेत्र बर्बाद हो रहा है। इसके कारण जनता व कर्मचारियों की जिंदगी पर बुरा असर पड़ रहा है। इन नीतियों के शिकंजे में अन्य सार्वजनिक संस्थानों की तर्ज पर हिमाचल प्रदेश राज्य बिजली बोर्ड भी है। हिमाचल प्रदेश के 28 लाख बिजली उपभोक्ता व उन्हें बिजली उपलब्ध करवाने वाले सोलह हजार कर्मचारी हिमाचल प्रदेश सरकार की जनविरोधी नीतियों का विपरीत प्रभाव झेलने को मजबूर हैं।
बिजली बोर्ड के निजीकरण की साजिशें लंबे समय से चलती रही हैं, जिसे बिजली विधेयक 2022 ने बल दिया है। इसी मुहिम के तहत बिजली बोर्ड की उत्पादन, प्रसारण अथवा संचार व वितरण प्रणाली को ध्वस्त करके निजी हाथों में सौंपने की सोची समझी रणनीति चल रही है। स्मार्ट मीटर भी इसी निजीकरण की साजिश का एक हिस्सा है जिससे भविष्य में जनता को बेहद महंगी बिजली खरीदनी पड़ेगी।
उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में भी बिजली बोर्ड भ्रष्टाचार का अड्डा बना हुआ है। भ्रष्टाचार का अलम यह है कि बिजली चोरी रोकने, उपभोक्ता डेटा इकट्ठा करने व बेहतर बिजली सुविधा के नाम पर लगाए जा रहे स्मार्ट मीटर लगाने के लिए खर्च किए जा रहे दो हजार करोड़ रुपए में से लगभग आधी राशि एक हजार करोड़ रुपए बेवजह खर्च की जा रही है।
ऐसा इसलिए है क्योंकि प्रदेश के कुल 28 लाख उपभोक्ताओं में से लगभग आधे 13 लाख उपभोक्ताओं को जब प्रदेश सरकार 125 यूनिट बिजली मुफ्त में दे रही है व उपभोक्ताओं को कोई बिजली बिल ही नहीं आना है तो फिर पुराने बिजली मीटरों को बदलने का क्या तुक है। यह सब कोरा भ्रष्टाचार है।
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