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कुल्लू ! कोरोना वायरस के चलते जिले में लॉकडाउन लगा है। ऐसे में ढालपुर में मंगलवार को होने वाला राज्य स्तरीय पीपल जातर मेला नहीं हो सका। इसे लेकर स्थानीय लोगों व व्यापारियों में मायूसी है। 28 अप्रैल से शुरू होने वाले मेले का समापन 30 अप्रैल को होता था। कोरोना संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए इसकी चेन को तोड़ना आवश्यक है। इसके लिए सरकार ने लॉकडाउन के आदेश जारी किए हैं। नगर परिषद कुल्लू ने भी इस वर्ष पीपल जातर मेला न मनाने का फैसला लिया था। नप के जनरल हाउस में सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित कर इसकी अधिसूचना जारी की गई थी। गौरतलब है कि जिले में हर वर्ष यह मेला 28 से 30 अप्रैल तक मनाया जाता है। इस मेले के लिए एक माह पूर्व से ही तैयारियां शुरू हो जाती थी। इस वर्ष पूरा ढालपुर सूना पड़ा हुआ है। हालांकि तीन दिवसीय मेले में लाखों का कारोबार भी होता है। इसमें प्रदेश के साथ बाहरी राज्यों के व्यापारी भी व्यापार करने पहुंचते हैं। संक्रमण के चलते व्यापारी भी कुल्लू का रुख नहीं कर पाए। उधर, मेले में सांस्कृतिक कार्यक्रमों में स्थानीय कलाकारों को अपनी प्रतिभा दिखाने का अवसर मिलता है। बहरहाल कोरोना संक्रमण के खतरे को देखते हुए जिले का प्राचीन मेला इस वर्ष नहीं होगा। नप के उपाध्यक्ष गोपाल कृष्ण महंत ने कहा कि सभी पार्षदों के साथ हुई बैठक में राज्य स्तरीय पीपल जातर मेले को रद्द करने का फैसला लिया गया है।
कुल्लू ! कोरोना वायरस के चलते जिले में लॉकडाउन लगा है। ऐसे में ढालपुर में मंगलवार को होने वाला राज्य स्तरीय पीपल जातर मेला नहीं हो सका। इसे लेकर स्थानीय लोगों व व्यापारियों में मायूसी है। 28 अप्रैल से शुरू होने वाले मेले का समापन 30 अप्रैल को होता था।
कोरोना संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए इसकी चेन को तोड़ना आवश्यक है। इसके लिए सरकार ने लॉकडाउन के आदेश जारी किए हैं। नगर परिषद कुल्लू ने भी इस वर्ष पीपल जातर मेला न मनाने का फैसला लिया था। नप के जनरल हाउस में सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित कर इसकी अधिसूचना जारी की गई थी। गौरतलब है कि जिले में हर वर्ष यह मेला 28 से 30 अप्रैल तक मनाया जाता है।
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इस मेले के लिए एक माह पूर्व से ही तैयारियां शुरू हो जाती थी। इस वर्ष पूरा ढालपुर सूना पड़ा हुआ है। हालांकि तीन दिवसीय मेले में लाखों का कारोबार भी होता है। इसमें प्रदेश के साथ बाहरी राज्यों के व्यापारी भी व्यापार करने पहुंचते हैं। संक्रमण के चलते व्यापारी भी कुल्लू का रुख नहीं कर पाए। उधर, मेले में सांस्कृतिक कार्यक्रमों में स्थानीय कलाकारों को अपनी प्रतिभा दिखाने का अवसर मिलता है।
बहरहाल कोरोना संक्रमण के खतरे को देखते हुए जिले का प्राचीन मेला इस वर्ष नहीं होगा। नप के उपाध्यक्ष गोपाल कृष्ण महंत ने कहा कि सभी पार्षदों के साथ हुई बैठक में राज्य स्तरीय पीपल जातर मेले को रद्द करने का फैसला लिया गया है।
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