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चम्बा, 29 अगस्त [श्रेया] ! राष्ट्रीय खेल दिवस के सुअवसर पर किया गया एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन ।आज राजकीय महाविद्यालय चम्बा में राष्ट्रीय सेवा योजना और शारीरिक शिक्षा विभाग के तत्वावधान में राष्ट्रीय खेल दिवस के सुअवसर पर एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया । कार्यक्रम के दौरान महविद्यालय के प्राचार्य डॉ विद्या सागर शर्मा जी मुख्यातिथि के रूप में उपस्थित रहे । उक्त जानकारी देते हुए एन एस एस कार्यक्रम अधिकारी प्रोफेसर अविनाश ने कहा कि सर्वप्रथम शारीरिक शिक्षा विभाग के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर सचिन मेहरा द्वारा मेजर ध्यान चंद के जीवन पर प्रकाश डाला गया । उन्होंने कहा कि मेजर ध्यानचंद हॉकी के इतने कुशल खिलाड़ी थे, कि जब वो खेलते तो गेंद उनके हॉकी स्टिक से चिपक जाती और लोगो को शक लगता था कि इन्होंने अपनी स्टिक में कुछ लगा रखा है। उनके इसी हॉकी खेलने के अंदाज से लोग इनको हॉकी का जादूगर कहते थे। भारतीय हॉकी के सबसे दिग्गज खिलाड़ी मेजर ध्यानचंद को सर्वकालिक सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ियों में से एक माना जाता है जिन्होंने भारत के लिए हॉकी खेला है। दूसरे विश्व युद्ध से पहले के वर्षों में हॉकी के खेल पर अपना वर्चस्व कायम करने वाली भारतीय हॉकी टीम के स्टार खिलाड़ी ध्यानचंद एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी थे। जिन्होंने 1928, 1932 और 1936 में भारत को ओलंपिक खेलों में लगातार तीन स्वर्ण पदक जिताने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। ध्यानचंद को इस खेल में महारत हासिल थी और वो गेंद को अपने नियंत्रण में रखने में इतने निपुण थे कि वो 'हॉकी जादूगर' और 'द मैजिशियन' जैसे नामों से प्रसिद्ध हो गए। प्रोफेसर अविनाश ने दिवस की महत्वता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि खेल दिवस मनाने का सफर 29 अगस्त साल 2012 से शुरू हुआ था। जब इस तारीख को खिलाड़ियों को समर्पित करने का फैसला लिया गया। 29 अगस्त की तारीख इसलिए चुनी गई क्योंकि इस दिन महान हॉकी खिलाड़ी मेजर ध्यानचंद का जन्म हुआ था। प्रयागराज में जन्में मेजर ध्यानचंद को इस खेल में महारत हासिल थी। 29 अगस्त 1905 को इलाहबाद में जन्मे मेजर ध्यानचंद का जन्म हुआ था। वह एक सैनिक और खिलाड़ी थे। उन्हें भारतीय हॉकी के सबसे सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ियों में से एक माना जाता था। वह आजादी से वह ब्रिटिश आर्मी में थे और हॉकी खेला करते थे। उनकी मौजूदगी में भारत ने 1928, 1932 और 1936 ओलंपिक में गोल्ड मेडल जीते। बता दें कि ध्यानचंद ने तत्कालीन ब्रिटिश भारतीय सेना के साथ अपने कार्यकाल के दौरान ही हॉकी खेलना शुरू किया था और 1922 और 1926 के बीच में उन्होंने कई सेना हॉकी टूर्नामेंट और रेजिमेंटल खेलों में हिस्सा लिया । इस दिन को मनाने का उद्देश्य युवाओं की सकारात्मक ऊर्जा को सही दिशा देने से है । राष्ट्रीय खेल दिवस को मनाने का यह उद्देश्य है कि भारत का युवा नशे से दूर रहे, खेलकूद, क्रीडात्मक गतिविधियों में भाग ले, नकारात्मकता से दूर रहे और राष्ट्र निर्माण में अपनी सकारात्मक भूमिका निभाए । अपने सम्बोधन में प्राचार्य डॉ विद्या सागर शर्मा ने कहा कि खेलों से स्वास्थ्य तो ठीक रहता ही है इनसे मनुष्य का चारित्रिक और आध्यात्मिक विकास भी होता है। खेलकर से पुष्ट और स्फूर्तिमय शरीर ही मन को स्वस्थ बनाता है। खेलकूद मानव मन को प्रसन्न और उत्साहित बनाए रखते हैं। खेलों से नियम पालन के स्वभाव का विकास होता है और मन एकाग्र होता है। खेल में भाग लेने से खिलाड़ियों में सहिष्णुता, धैर्य और साहस का विकास होता है तथा सामूहिक सद्भाव और भाईचारे की भावना बढ़ती है। खेलकूद अप्रत्यक्ष रूप से आध्यात्मिक विकास में भी सहायक होते हैं ये जीवन संघर्ष का मुकाबला करने की शक्ति प्रदान करते है। खेलकूद से एकाग्रता का गुण आता है जिससे अध्यात्म साधना में मदद मिलती है। सच्चा खिलाड़ी हानि लाभ, यश- अपयश सफलता -असफलता को समान भाव से ग्रहण करने का अभ्यस्त हो जाता है। खेलों में भाग लेने से तन मन की शक्ति के साथ-साथ हमारा आत्मविश्वास भी बढ़ता है। तन-मन से स्वस्थ आत्मविश्वासी व्यक्ति के लिए जीवन में कोई भी काम करना कठिन नहीं होता। राष्ट्रीय खेल दिवस एक महत्वपूर्ण और गौरवान्वित करने का उत्सव है, जिसका महत्व विभिन्न प्रतियोगिताओं और खेलों के माध्यम से समझाना जाता है। राष्ट्रीय खेल दिवस हमें यह याद दिलाता है कि खेल का महत्व सिर्फ शारीरिक स्वास्थ्य के साथ-साथ मानसिक, सामाजिक और आध्यात्मिक विकास में भी होता है। यह दिवस युवा पीढ़ी को खेलकूद में रुचि और उत्साह दिलाने का काम करता है। खेलकूद में प्रतिस्पर्धा और सफलता प्राप्त करने की भावना उन्हें सहनशीलता, सहयोग, और कठिनाइयों का सामना करने की क्षमता प्रदान करती है। खेल दिवस, उन खिलाड़ियों का सम्मान करने का मौका है जिन्होंने देश के लिए समर्पण और प्रतिस्था से काम किया है। उनकी मेहनत और प्रयासों को मान्यता देने से वे और भी प्रेरित होते हैं और देश की ओर से उन्हें आशीर्वाद मिलता है।इस अवसर पर प्राचार्य द्वारा सभी विद्यार्थियों व अध्यापकों को फिट इंडिया प्रतिज्ञा दिलवाई गई । इस अवसर पर डॉ मनेश वर्मा, प्रोफेसर अविनाश, प्रोफेसर सचिन मेहरा, प्रोफेसर नीरज चौहान, एन एस एस के स्वयंसेवी व शारीरिक शिक्षा विभाग के विद्यार्थी उपस्थित रहे ।
चम्बा, 29 अगस्त [श्रेया] ! राष्ट्रीय खेल दिवस के सुअवसर पर किया गया एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन ।आज राजकीय महाविद्यालय चम्बा में राष्ट्रीय सेवा योजना और शारीरिक शिक्षा विभाग के तत्वावधान में राष्ट्रीय खेल दिवस के सुअवसर पर एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया । कार्यक्रम के दौरान महविद्यालय के प्राचार्य डॉ विद्या सागर शर्मा जी मुख्यातिथि के रूप में उपस्थित रहे ।
उक्त जानकारी देते हुए एन एस एस कार्यक्रम अधिकारी प्रोफेसर अविनाश ने कहा कि सर्वप्रथम शारीरिक शिक्षा विभाग के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर सचिन मेहरा द्वारा मेजर ध्यान चंद के जीवन पर प्रकाश डाला गया । उन्होंने कहा कि मेजर ध्यानचंद हॉकी के इतने कुशल खिलाड़ी थे, कि जब वो खेलते तो गेंद उनके हॉकी स्टिक से चिपक जाती और लोगो को शक लगता था कि इन्होंने अपनी स्टिक में कुछ लगा रखा है।
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उनके इसी हॉकी खेलने के अंदाज से लोग इनको हॉकी का जादूगर कहते थे। भारतीय हॉकी के सबसे दिग्गज खिलाड़ी मेजर ध्यानचंद को सर्वकालिक सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ियों में से एक माना जाता है जिन्होंने भारत के लिए हॉकी खेला है। दूसरे विश्व युद्ध से पहले के वर्षों में हॉकी के खेल पर अपना वर्चस्व कायम करने वाली भारतीय हॉकी टीम के स्टार खिलाड़ी ध्यानचंद एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी थे।
जिन्होंने 1928, 1932 और 1936 में भारत को ओलंपिक खेलों में लगातार तीन स्वर्ण पदक जिताने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। ध्यानचंद को इस खेल में महारत हासिल थी और वो गेंद को अपने नियंत्रण में रखने में इतने निपुण थे कि वो 'हॉकी जादूगर' और 'द मैजिशियन' जैसे नामों से प्रसिद्ध हो गए। प्रोफेसर अविनाश ने दिवस की महत्वता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि खेल दिवस मनाने का सफर 29 अगस्त साल 2012 से शुरू हुआ था।
जब इस तारीख को खिलाड़ियों को समर्पित करने का फैसला लिया गया। 29 अगस्त की तारीख इसलिए चुनी गई क्योंकि इस दिन महान हॉकी खिलाड़ी मेजर ध्यानचंद का जन्म हुआ था। प्रयागराज में जन्में मेजर ध्यानचंद को इस खेल में महारत हासिल थी। 29 अगस्त 1905 को इलाहबाद में जन्मे मेजर ध्यानचंद का जन्म हुआ था। वह एक सैनिक और खिलाड़ी थे। उन्हें भारतीय हॉकी के सबसे सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ियों में से एक माना जाता था। वह आजादी से वह ब्रिटिश आर्मी में थे और हॉकी खेला करते थे।
उनकी मौजूदगी में भारत ने 1928, 1932 और 1936 ओलंपिक में गोल्ड मेडल जीते। बता दें कि ध्यानचंद ने तत्कालीन ब्रिटिश भारतीय सेना के साथ अपने कार्यकाल के दौरान ही हॉकी खेलना शुरू किया था और 1922 और 1926 के बीच में उन्होंने कई सेना हॉकी टूर्नामेंट और रेजिमेंटल खेलों में हिस्सा लिया । इस दिन को मनाने का उद्देश्य युवाओं की सकारात्मक ऊर्जा को सही दिशा देने से है ।
राष्ट्रीय खेल दिवस को मनाने का यह उद्देश्य है कि भारत का युवा नशे से दूर रहे, खेलकूद, क्रीडात्मक गतिविधियों में भाग ले, नकारात्मकता से दूर रहे और राष्ट्र निर्माण में अपनी सकारात्मक भूमिका निभाए । अपने सम्बोधन में प्राचार्य डॉ विद्या सागर शर्मा ने कहा कि खेलों से स्वास्थ्य तो ठीक रहता ही है इनसे मनुष्य का चारित्रिक और आध्यात्मिक विकास भी होता है। खेलकर से पुष्ट और स्फूर्तिमय शरीर ही मन को स्वस्थ बनाता है।
खेलकूद मानव मन को प्रसन्न और उत्साहित बनाए रखते हैं। खेलों से नियम पालन के स्वभाव का विकास होता है और मन एकाग्र होता है। खेल में भाग लेने से खिलाड़ियों में सहिष्णुता, धैर्य और साहस का विकास होता है तथा सामूहिक सद्भाव और भाईचारे की भावना बढ़ती है। खेलकूद अप्रत्यक्ष रूप से आध्यात्मिक विकास में भी सहायक होते हैं ये जीवन संघर्ष का मुकाबला करने की शक्ति प्रदान करते है।
खेलकूद से एकाग्रता का गुण आता है जिससे अध्यात्म साधना में मदद मिलती है। सच्चा खिलाड़ी हानि लाभ, यश- अपयश सफलता -असफलता को समान भाव से ग्रहण करने का अभ्यस्त हो जाता है। खेलों में भाग लेने से तन मन की शक्ति के साथ-साथ हमारा आत्मविश्वास भी बढ़ता है। तन-मन से स्वस्थ आत्मविश्वासी व्यक्ति के लिए जीवन में कोई भी काम करना कठिन नहीं होता।
राष्ट्रीय खेल दिवस एक महत्वपूर्ण और गौरवान्वित करने का उत्सव है, जिसका महत्व विभिन्न प्रतियोगिताओं और खेलों के माध्यम से समझाना जाता है। राष्ट्रीय खेल दिवस हमें यह याद दिलाता है कि खेल का महत्व सिर्फ शारीरिक स्वास्थ्य के साथ-साथ मानसिक, सामाजिक और आध्यात्मिक विकास में भी होता है। यह दिवस युवा पीढ़ी को खेलकूद में रुचि और उत्साह दिलाने का काम करता है। खेलकूद में प्रतिस्पर्धा और सफलता प्राप्त करने की भावना उन्हें सहनशीलता, सहयोग, और कठिनाइयों का सामना करने की क्षमता प्रदान करती है।
खेल दिवस, उन खिलाड़ियों का सम्मान करने का मौका है जिन्होंने देश के लिए समर्पण और प्रतिस्था से काम किया है। उनकी मेहनत और प्रयासों को मान्यता देने से वे और भी प्रेरित होते हैं और देश की ओर से उन्हें आशीर्वाद मिलता है।इस अवसर पर प्राचार्य द्वारा सभी विद्यार्थियों व अध्यापकों को फिट इंडिया प्रतिज्ञा दिलवाई गई । इस अवसर पर डॉ मनेश वर्मा, प्रोफेसर अविनाश, प्रोफेसर सचिन मेहरा, प्रोफेसर नीरज चौहान, एन एस एस के स्वयंसेवी व शारीरिक शिक्षा विभाग के विद्यार्थी उपस्थित रहे ।
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