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चम्बा ! भारत किसानों का देश है और यही इसकी असली पहचान भी है। जहाँ आज लोग आँखों पर भौतिकता की पट्टी बाँधें हुए हैं वहीं दूसरी तरफ कुछ ऐसे भी लोग हैं जो आज भी भारत के कृषि प्रधान होने की प्रासंगिकता को समझते हैं। ऐसे ही एक शिक्षित युवा चम्बा जिले के डूला गाँव से लुकेश्वर सिंह उर्फ लकी हैं जो खेतीबाड़ी के लिए आजकल सुर्खियों में हैं। लुकेश्वर ने स्नातक तक कि पढ़ाई के साथ जेबीटी का प्रशिक्षण भी प्राप्त किया है। जहाँ एक तरफ प्रदेश के युवा बेरोजगारी से जूझ रहे हैं तो लुकेश्वर जैसे शिक्षित युवा ने कृषि के क्षेत्र में रोजगार की संभावनाओं को तलाशा है जो काबिले तारीफ है। गत सप्ताह शुक्रवार को उप-निदेशक कृषि विभाग की टीम ने उनके खेत का दौरा किया और उनके काम की सरहाना की और बकायदा सब्जी बेचने के लिए कर्फ्यू पास भी जारी किया। लुकेश्वर टमाटर, गोभी,शिमला मिर्च,मटर,प्याज,मूली,खीरा,आलू जैसी सब्जियों का उत्पादन करते हैं। लॉकडाउन के दौरान खेतों में काम करते समय सामाजिक दूरी और मास्क का भी पूरा ध्यान रख रहे हैं। आज देश जिस संकट से देश गुजर रहा है उससे उभरने के लिए देश के युवाओं को बेरोजगारी का रोना न रोकर लुकेश्वर जैसे युवाओं की तरह स्वरोजगार के साधन ढूँढने ही पड़ेंगे।।
चम्बा ! भारत किसानों का देश है और यही इसकी असली पहचान भी है। जहाँ आज लोग आँखों पर भौतिकता की पट्टी बाँधें हुए हैं वहीं दूसरी तरफ कुछ ऐसे भी लोग हैं जो आज भी भारत के कृषि प्रधान होने की प्रासंगिकता को समझते हैं। ऐसे ही एक शिक्षित युवा चम्बा जिले के डूला गाँव से लुकेश्वर सिंह उर्फ लकी हैं जो खेतीबाड़ी के लिए आजकल सुर्खियों में हैं। लुकेश्वर ने स्नातक तक कि पढ़ाई के साथ जेबीटी का प्रशिक्षण भी प्राप्त किया है।
जहाँ एक तरफ प्रदेश के युवा बेरोजगारी से जूझ रहे हैं तो लुकेश्वर जैसे शिक्षित युवा ने कृषि के क्षेत्र में रोजगार की संभावनाओं को तलाशा है जो काबिले तारीफ है। गत सप्ताह शुक्रवार को उप-निदेशक कृषि विभाग की टीम ने उनके खेत का दौरा किया और उनके काम की सरहाना की और बकायदा सब्जी बेचने के लिए कर्फ्यू पास भी जारी किया। लुकेश्वर टमाटर, गोभी,शिमला मिर्च,मटर,प्याज,मूली,खीरा,आलू जैसी सब्जियों का उत्पादन करते हैं।
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लॉकडाउन के दौरान खेतों में काम करते समय सामाजिक दूरी और मास्क का भी पूरा ध्यान रख रहे हैं। आज देश जिस संकट से देश गुजर रहा है उससे उभरने के लिए देश के युवाओं को बेरोजगारी का रोना न रोकर लुकेश्वर जैसे युवाओं की तरह स्वरोजगार के साधन ढूँढने ही पड़ेंगे।।
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