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चम्बा ! कहावत है कि इश्क, जंग और चुनाव में सब जायज है। यही वजह है कि न तो अभी नामांकन-पत्र दाखिल हुए हैं और न ही अभी चुनाव चिन्ह वितरित हुए हैं लेकिन शह और मात के इस खेल में एक-दूसरे को पटखनी देने के लिए संभावित उम्मीदवारों ने अभी से पूरी ताकत झोंक दी है। महज चुनावी मोर्चे पर उम्मीदवार ही नहीं डटे हैं बल्कि किसी के पिता तो किसी के पति और किसी के भाई अपने-अपने उम्मीदवार की जीत सुनिश्चित करने के लिए कड़ाके की सर्दी में भी खूब पसीना बहा रहे हैं। पंचायत चुनाव में भाग्य आजमाने उतरे प्रत्याशियों के साथ-साथ उनके परिवार के लिए भी ये चुनाव प्रतिष्ठा का सवाल बन गए हैं। अपनी साख बचाने के लिए प्रत्याशियों के साथ-साथ उनके पारिवारिक सदस्यों ने भी पूरी ताकत झोंक दी है। नामांकन दर्ज करने की तिथियां नजदीक आते ही सोशल मीडिया पर उप-प्रधानी के फर्जी दावेदार बरसाती मेंढक की तरह निकलकर टरटर्राने लगे हैं। हैरत तो तब हो जाती है जब उपप्रधानी के लिए सोशल मीडिया पर दावा ठोंकने वाले कई ऐसे चेहरे देखने को मिले, जिन्हें अपनी पंचायत की भौगोलिक परिस्थितियां तक का ज्ञान नहीं। यह भी छोडि़ए कई ऐसे युवाओं ने सोशल मीडिया पर हाथ जोड़कर उपप्रधान पद के लिए बड़ों का आशीर्वाद मांगा है, जिन्हें अपनी पंचायतों के वार्डों की संख्या भी सही से पता नहीं होगी। महज सोशल मीडिया को जरिया बनाकर चर्चाएं बटोरने के लिए उपप्रधान पद के लिए दावेदारी जता रहे हैं। इनमें अधिकतर युवा हैं तथा कुछेक तो ऐसे भी हैं जिनका पंचायत कार्यों से कभी कोई सरोकार ही नहीं रहा। कुल मिलाकर चर्चाओं का मनोरंजक माहौल बनाने के लिए ही कई लोगों ने सोशल मीडिया पर उपप्रधानी का दावा जताया है।
चम्बा ! कहावत है कि इश्क, जंग और चुनाव में सब जायज है। यही वजह है कि न तो अभी नामांकन-पत्र दाखिल हुए हैं और न ही अभी चुनाव चिन्ह वितरित हुए हैं लेकिन शह और मात के इस खेल में एक-दूसरे को पटखनी देने के लिए संभावित उम्मीदवारों ने अभी से पूरी ताकत झोंक दी है। महज चुनावी मोर्चे पर उम्मीदवार ही नहीं डटे हैं बल्कि किसी के पिता तो किसी के पति और किसी के भाई अपने-अपने उम्मीदवार की जीत सुनिश्चित करने के लिए कड़ाके की सर्दी में भी खूब पसीना बहा रहे हैं। पंचायत चुनाव में भाग्य आजमाने उतरे प्रत्याशियों के साथ-साथ उनके परिवार के लिए भी ये चुनाव प्रतिष्ठा का सवाल बन गए हैं।
अपनी साख बचाने के लिए प्रत्याशियों के साथ-साथ उनके पारिवारिक सदस्यों ने भी पूरी ताकत झोंक दी है। नामांकन दर्ज करने की तिथियां नजदीक आते ही सोशल मीडिया पर उप-प्रधानी के फर्जी दावेदार बरसाती मेंढक की तरह निकलकर टरटर्राने लगे हैं। हैरत तो तब हो जाती है जब उपप्रधानी के लिए सोशल मीडिया पर दावा ठोंकने वाले कई ऐसे चेहरे देखने को मिले, जिन्हें अपनी पंचायत की भौगोलिक परिस्थितियां तक का ज्ञान नहीं। यह भी छोडि़ए कई ऐसे युवाओं ने सोशल मीडिया पर हाथ जोड़कर उपप्रधान पद के लिए बड़ों का आशीर्वाद मांगा है, जिन्हें अपनी पंचायतों के वार्डों की संख्या भी सही से पता नहीं होगी।
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महज सोशल मीडिया को जरिया बनाकर चर्चाएं बटोरने के लिए उपप्रधान पद के लिए दावेदारी जता रहे हैं। इनमें अधिकतर युवा हैं तथा कुछेक तो ऐसे भी हैं जिनका पंचायत कार्यों से कभी कोई सरोकार ही नहीं रहा। कुल मिलाकर चर्चाओं का मनोरंजक माहौल बनाने के लिए ही कई लोगों ने सोशल मीडिया पर उपप्रधानी का दावा जताया है।
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