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लाहौल ! विलुप्त हो रहे हिमालयन आईबैक्स अब हिमाचल के कबायली क्षेत्र लाहौल-स्पीति में फलने-फूलने लगे हैं। अब धीरे-धीरे इनकी संख्या भी बढऩे लगी है। शीत मरुस्थल में इनकी संख्या बढ़ने का कारण महिलाओं द्वारा शिकार पर प्रतिबंध लगाना व लोगों में आई जागरूकता है। रविवार को पटसेऊ के पास इनका झुंड देखा गया। इस दुर्लभ प्राणी को बचाने के लिए लाहौल-स्पीति जिला की कई पंचायतों ने कड़े कदम उठाए हैं। 3500 से 6500 मीटर तक की ऊंचाई पर पाए जाने वाले इस दुर्लभ प्राणी आईबैक्स का शिकार करते हुए यदि कोई व्यक्ति पकड़ा जाता है तो पंचायत की ओर से उस व्यक्ति का सामाजिक बहिष्कार किया जाता है और उसका हुक्का-पानी बंद कर दिया जाता है। आईबैक्स के संरक्षण के लिए लाहौल और स्पीति जिला के कई महिला मंडल भी आगे आए हैं और लोगों में इसके संरक्षण को लेकर जागरूकता फैला रहे हैं। यही कारण है कि यहां इनकी तादाद लगातार बढ़ती जा रही है। दारचा पंचायत के प्रधान सोनम डोलमा ने बताया कि वन विभाग के साथ-साथ दारचा पंचायत ने आईबैक्स के शिकार पर प्रतिबंध लगाया है। वन्य प्राणियों का शिकार न करने की शपथ भी लोगों को दिलाई जाती है। घाटी की महिलाएं स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से लोगों में आईबैक्स को बचाने के लिए जागरूकता फैलाने का काम कर रही हैं। उन्होंने बताया कि यही कारण है कि लाहौल-स्पीति के समस्त क्षेत्र में आईबैक्स आसानी से देखने को मिल रहे हैं।
लाहौल ! विलुप्त हो रहे हिमालयन आईबैक्स अब हिमाचल के कबायली क्षेत्र लाहौल-स्पीति में फलने-फूलने लगे हैं। अब धीरे-धीरे इनकी संख्या भी बढऩे लगी है। शीत मरुस्थल में इनकी संख्या बढ़ने का कारण महिलाओं द्वारा शिकार पर प्रतिबंध लगाना व लोगों में आई जागरूकता है। रविवार को पटसेऊ के पास इनका झुंड देखा गया। इस दुर्लभ प्राणी को बचाने के लिए लाहौल-स्पीति जिला की कई पंचायतों ने कड़े कदम उठाए हैं। 3500 से 6500 मीटर तक की ऊंचाई पर पाए जाने वाले इस दुर्लभ प्राणी आईबैक्स का शिकार करते हुए यदि कोई व्यक्ति पकड़ा जाता है तो पंचायत की ओर से उस व्यक्ति का सामाजिक बहिष्कार किया जाता है और उसका हुक्का-पानी बंद कर दिया जाता है।
आईबैक्स के संरक्षण के लिए लाहौल और स्पीति जिला के कई महिला मंडल भी आगे आए हैं और लोगों में इसके संरक्षण को लेकर जागरूकता फैला रहे हैं। यही कारण है कि यहां इनकी तादाद लगातार बढ़ती जा रही है। दारचा पंचायत के प्रधान सोनम डोलमा ने बताया कि वन विभाग के साथ-साथ दारचा पंचायत ने आईबैक्स के शिकार पर प्रतिबंध लगाया है। वन्य प्राणियों का शिकार न करने की शपथ भी लोगों को दिलाई जाती है। घाटी की महिलाएं स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से लोगों में आईबैक्स को बचाने के लिए जागरूकता फैलाने का काम कर रही हैं। उन्होंने बताया कि यही कारण है कि लाहौल-स्पीति के समस्त क्षेत्र में आईबैक्स आसानी से देखने को मिल रहे हैं।
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