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शिमला । मुख्य सचिव अनिल खाची की अध्यक्षता में राज्य जल एवं स्वच्छता मिशन की बैठक में जल जीवन मिशन की 1700 करोड़ रुपये तथा स्वच्छ भारत मिशन की 246 करोड़ रुपये की वार्षिक कार्ययोजना अनुमोदित की गई। मुख्य सचिव ने जल जीवन मिशन तथा स्वच्छ भारत मिशन के तहत किए जा रहे विभिन्न कार्यों की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के निर्देश देते हुए कहा कि सभी कार्यों की लागत कम करने के लिए आवश्यक कदम समयबद्ध उठाए जाएं। उन्होंने कहा कि बहाव जल परियोजनाएं तैयार करने को विशेष प्राथमिकता दी जाए। अतिरिक्त मुख्य सचिव वन राम सुभग सिंह ने कहा कि वन विभाग द्वारा जल शक्ति विभाग के साथ मिलकर पहाड़ी क्षेत्रों में जल संरक्षण के लिए विशेष ढांचे तैयार किए जाएंगे और इनसे गांवों में खेतों की सिंचाई के लिए जल उपलब्ध करवाया जाएगा। इससे उठाऊ पेयजल योजनाओं के लिए व्यय को बचाया जा सकेगा। बैठक में आईटी आधारित एप्लीकेशन का सभी कार्यों में उपयोग करने के निर्देश दिए गए। यह निर्देश भी दिए गए कि प्रदेश स्तर पर ऐसी नियंत्रण प्रणाली की व्यवस्था की जाए, जिसमें डैशबोर्ड के माध्यम से राज्य की पेयजल योजनाओं द्वारा की गई वाटर पंपिंग के डाटा की निगरानी की जा सके। बैठक में यह भी निर्णय लिया गया कि अधिक जनसंख्या वाले ग्रामीण क्षेत्रों में तकनीक का उपयोग सुनिश्चित करते हुए सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट स्थापित किए जाएं। बैठक में अतिरिक्त मुख्य सचिव सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता निशा सिंह, सचिव शहरी विकास रजनीश, सचिव जल शक्ति विभाग व ग्रामीण विकास डाॅ. आरएन बत्ता और ईएनसी जल शक्ति विभाग नवीन पुरी भी उपस्थित थे।
शिमला । मुख्य सचिव अनिल खाची की अध्यक्षता में राज्य जल एवं स्वच्छता मिशन की बैठक में जल जीवन मिशन की 1700 करोड़ रुपये तथा स्वच्छ भारत मिशन की 246 करोड़ रुपये की वार्षिक कार्ययोजना अनुमोदित की गई। मुख्य सचिव ने जल जीवन मिशन तथा स्वच्छ भारत मिशन के तहत किए जा रहे विभिन्न कार्यों की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के निर्देश देते हुए कहा कि सभी कार्यों की लागत कम करने के लिए आवश्यक कदम समयबद्ध उठाए जाएं। उन्होंने कहा कि बहाव जल परियोजनाएं तैयार करने को विशेष प्राथमिकता दी जाए। अतिरिक्त मुख्य सचिव वन राम सुभग सिंह ने कहा कि वन विभाग द्वारा जल शक्ति विभाग के साथ मिलकर पहाड़ी क्षेत्रों में जल संरक्षण के लिए विशेष ढांचे तैयार किए जाएंगे और इनसे गांवों में खेतों की सिंचाई के लिए जल उपलब्ध करवाया जाएगा। इससे उठाऊ पेयजल योजनाओं के लिए व्यय को बचाया जा सकेगा।
बैठक में आईटी आधारित एप्लीकेशन का सभी कार्यों में उपयोग करने के निर्देश दिए गए।
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यह निर्देश भी दिए गए कि प्रदेश स्तर पर ऐसी नियंत्रण प्रणाली की व्यवस्था की जाए, जिसमें डैशबोर्ड के माध्यम से राज्य की पेयजल योजनाओं द्वारा की गई वाटर पंपिंग के डाटा की निगरानी की जा सके।
बैठक में यह भी निर्णय लिया गया कि अधिक जनसंख्या वाले ग्रामीण क्षेत्रों में तकनीक का उपयोग सुनिश्चित करते हुए सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट स्थापित किए जाएं।
बैठक में अतिरिक्त मुख्य सचिव सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता निशा सिंह, सचिव शहरी विकास रजनीश, सचिव जल शक्ति विभाग व ग्रामीण विकास डाॅ. आरएन बत्ता और ईएनसी जल शक्ति विभाग नवीन पुरी भी उपस्थित थे।
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