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चम्बा ! राज्य सरकार के बसों के चलाने के निर्णय का कांग्रेस पार्टी स्वागत करती है। लेकिन किराया बढ़ाकर डेढ़ गुना कर देना बिलकुल भी उचित नहीं। राज्य के लोग पहले ही दो माह से जनता कर्फ्यू की मार झेल रहे हैं। काम धंधे चौपट हो गए हैं। ऐसे में उन्हें राहत के बजाए बस किरायों में बढ़ोतरी व एपीएल परिवारों का सरकारी डिपों से राशन व खाद्यान्न की आपूर्ति बंद करके राज्य सरकार पहले ही मध्यम वर्ग के लोगों को करारा झटका दे चुकी है। जिला चंबा कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष नीरज नैैैयर ने बताया कि कांग्रेस पार्टी पहले ही विरोध दर्ज करवा चुकी है। उन्होंने सरकार व जिला प्रशासन से आग्रह किया कि रोज कमाकर खाने वाले रेहडी-फडी वालों को भी अपना कार्य करने की अनुमति दी जाए। भले ही उन पर शर्त लगा दी कि वह खाद्य पदार्थ एवं अन्य उत्पाद केवल पैक करके ही बेचे। जिसका इस्तेमाल लोग घरों में जाकर करें। ताकि उनके यहां भीड़ इकट्ठा न हो। राज्य सरकार को बाहरी राज्यों सेआने वाले हर व्यक्ति का राज्य की प्रवेश सीमाओं पर व कोविड-19 टेस्ट के लिए बनाए गए केंद्रों पर प्रभावितों को टेस्ट करने की ओसतन गति बहुत कम है। जबकि पड़ोसी राज्यों में टेस्ट प्रक्रिया रोजाना अधिकतम 25 हजार व न्यूनतम 5 हजार के करीब टेस्ट हो रहे हैं। इससे प्रतीत होता है कि यहां पर कोविड-19 को लेकर न ही तो पुख्ता तैयारी की गई है और न ही सही व्यवस्था है। कम से कम सरकार व स्वास्थ्य विभाग को इस दिशा में युद्ध स्तर पर कार्य कर रोजाना करीब 2 से 5 हजार के टेस्ट करने का लक्ष्य निर्धारित करना चाहिए। जिला प्रशासन द्वारा पंचायत स्तर पर बनाए गए क्वांरटाइन सेंटर में पूर्ण सुविधाएं विद्यमान नहीं है। इन केंद्रों में रखे गए व्यक्तियों के लिए न भोजन, न ही ठहरने की उचित व्यवस्था है। केंद्र सरकार कोविड-19 के लिये 20 लाख करोड रुपए का आर्थिक पैकेज केवल आंकड़ों की जादूगरी व दिखावा है। जोकि केवल जनता को भ्रमित व गुमराह करने के लिए है। बैंकों के एनपीए को कम करके बैंकों की आर्थिक स्थिति में सुधार लाना एक अच्छी पहल है परंतु जालसाजों के लाखों करोड़ों रुपए के ऋणों को पहले बट्टे खाते में डालना फिर माफ करना कहां तक उचित है।
चम्बा ! राज्य सरकार के बसों के चलाने के निर्णय का कांग्रेस पार्टी स्वागत करती है। लेकिन किराया बढ़ाकर डेढ़ गुना कर देना बिलकुल भी उचित नहीं। राज्य के लोग पहले ही दो माह से जनता कर्फ्यू की मार झेल रहे हैं। काम धंधे चौपट हो गए हैं।
ऐसे में उन्हें राहत के बजाए बस किरायों में बढ़ोतरी व एपीएल परिवारों का सरकारी डिपों से राशन व खाद्यान्न की आपूर्ति बंद करके राज्य सरकार पहले ही मध्यम वर्ग के लोगों को करारा झटका दे चुकी है। जिला चंबा कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष नीरज नैैैयर ने बताया कि कांग्रेस पार्टी पहले ही विरोध दर्ज करवा चुकी है।
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उन्होंने सरकार व जिला प्रशासन से आग्रह किया कि रोज कमाकर खाने वाले रेहडी-फडी वालों को भी अपना कार्य करने की अनुमति दी जाए। भले ही उन पर शर्त लगा दी कि वह खाद्य पदार्थ एवं अन्य उत्पाद केवल पैक करके ही बेचे। जिसका इस्तेमाल लोग घरों में जाकर करें। ताकि उनके यहां भीड़ इकट्ठा न हो।
राज्य सरकार को बाहरी राज्यों सेआने वाले हर व्यक्ति का राज्य की प्रवेश सीमाओं पर व कोविड-19 टेस्ट के लिए बनाए गए केंद्रों पर प्रभावितों को टेस्ट करने की ओसतन गति बहुत कम है। जबकि पड़ोसी राज्यों में टेस्ट प्रक्रिया रोजाना अधिकतम 25 हजार व न्यूनतम 5 हजार के करीब टेस्ट हो रहे हैं।
इससे प्रतीत होता है कि यहां पर कोविड-19 को लेकर न ही तो पुख्ता तैयारी की गई है और न ही सही व्यवस्था है। कम से कम सरकार व स्वास्थ्य विभाग को इस दिशा में युद्ध स्तर पर कार्य कर रोजाना करीब 2 से 5 हजार के टेस्ट करने का लक्ष्य निर्धारित करना चाहिए। जिला प्रशासन द्वारा पंचायत स्तर पर बनाए गए क्वांरटाइन सेंटर में पूर्ण सुविधाएं विद्यमान नहीं है।
इन केंद्रों में रखे गए व्यक्तियों के लिए न भोजन, न ही ठहरने की उचित व्यवस्था है। केंद्र सरकार कोविड-19 के लिये 20 लाख करोड रुपए का आर्थिक पैकेज केवल आंकड़ों की जादूगरी व दिखावा है। जोकि केवल जनता को भ्रमित व गुमराह करने के लिए है। बैंकों के एनपीए को कम करके बैंकों की आर्थिक स्थिति में सुधार लाना एक अच्छी पहल है परंतु जालसाजों के लाखों करोड़ों रुपए के ऋणों को पहले बट्टे खाते में डालना फिर माफ करना कहां तक उचित है।
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