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नालागढ़ ! एक तरफ जहां किसानों की आर्थिकी को दोगुना करने के लिए सिंचाई योजनाओ को बढ़ावा देने के लिए कदम उठाए जा रहे वहीं दून विधानसभा क्षेत्र के तहत सनेड पंचायत के खरूनी गांव में करीब 50 वर्ष पूर्व बनाई गई नहर उचित देखरेख या यह कहे कि विभाग की अनदेखी के कारण गंदा नाला बनकर रह गयी है तो कोई अतिशयोक्ति नही होगी। हालत यह है कि पहले जो नहर किसानों की भूमि की प्यास बुझाती थी अब खुद जिंदगी की जंग लड़ रही है। यह कुहल सनेड से होती हुई राजपुरा तक के हजारों किसानों की भूमि की प्यास बुझाती है लेकिन हैरानी की बात है कि इसकी हालत को सुधारने के लिए कोई जतन विभाग की ओर से नही किये गए और अब यह अपना अस्तित्व खोती जा रही है। अब इसने गंदे नाले का रूप धारण कर लिया है। जिससे आसपास के लोगों में बीमारियां फैलने का भी खतरा बना हुआ हूं। इंटक के प्रदेश अध्यक्ष व समाजसेवी बबलू पंडित ने बताया कि यह नहर करीब 14 किलोमीटर लंबी है जो लगभग 50 साल पुरानी है। अब यह कुहल न रहकर सिर्फ एक गंदा नाला बन के रह चुकी है जो कि खरूनी से लेकर राजपूरा तक है इसमें हजारों किसानों को सिंचाई सुविधा मिलती थी लेकिन विभाग ने इसकी और देखना तक बंद कर दिया है जिसके चलते इसके इर्द-गिर्द के लोग किसी न किसी गंभीर बीमारी की चपेट में आ सकते हैं। गंदा नाला होने के कारण इसमें गंदा पानी हमेशा खड़ा रहता रहता है। उन्होंने बताया कि इस बारे में विभाग को लिखा है कि इस को जल्द से जल्द ठीक किया जाए अन्यथा एस डी एम को पत्र दिया जाएगा ताकि इसका लाभ किसानों को मिल सके। क्या कहते एक्सईन ! इस बारे में जब जल शक्ति विभाग मंडल नालागढ़ के एक्सईन पुनीत शर्मा से बात की गई तो उन्होंने बताया कि बद्दी से राजपुरा को जाने वाली कूहल का बरसात के समय में काफी नुकसान हो गया था जिसकी वजह से काफी समस्या आ रही है लेकिन विभाग ने अधिकतर कूहल का हिस्सा रिपेयर करवा दिया है जबकि ये 14 किलोमीटर लंबी कूहल है जिसका अभी बहुत हिस्सा रिपेयर के लिए बचा है जो धीरे-धीरे ठीक कर दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि ये कूहल काफी पुरानी हो चुकी है तथा विभाग ने इसे नए बजट में नवीनीकरण के लिए प्रपोजल डाल दिया है।
नालागढ़ ! एक तरफ जहां किसानों की आर्थिकी को दोगुना करने के लिए सिंचाई योजनाओ को बढ़ावा देने के लिए कदम उठाए जा रहे वहीं दून विधानसभा क्षेत्र के तहत सनेड पंचायत के खरूनी गांव में करीब 50 वर्ष पूर्व बनाई गई नहर उचित देखरेख या यह कहे कि विभाग की अनदेखी के कारण गंदा नाला बनकर रह गयी है तो कोई अतिशयोक्ति नही होगी। हालत यह है कि पहले जो नहर किसानों की भूमि की प्यास बुझाती थी अब खुद जिंदगी की जंग लड़ रही है। यह कुहल सनेड से होती हुई राजपुरा तक के हजारों किसानों की भूमि की प्यास बुझाती है लेकिन हैरानी की बात है कि इसकी हालत को सुधारने के लिए कोई जतन विभाग की ओर से नही किये गए और अब यह अपना अस्तित्व खोती जा रही है। अब इसने गंदे नाले का रूप धारण कर लिया है। जिससे आसपास के लोगों में बीमारियां फैलने का भी खतरा बना हुआ हूं। इंटक के प्रदेश अध्यक्ष व समाजसेवी बबलू पंडित ने बताया कि यह नहर करीब 14 किलोमीटर लंबी है जो लगभग 50 साल पुरानी है। अब यह कुहल न रहकर सिर्फ एक गंदा नाला बन के रह चुकी है जो कि खरूनी से लेकर राजपूरा तक है इसमें हजारों किसानों को सिंचाई सुविधा मिलती थी लेकिन विभाग ने इसकी और देखना तक बंद कर दिया है जिसके चलते इसके इर्द-गिर्द के लोग किसी न किसी गंभीर बीमारी की चपेट में आ सकते हैं। गंदा नाला होने के कारण इसमें गंदा पानी हमेशा खड़ा रहता रहता है। उन्होंने बताया कि इस बारे में विभाग को लिखा है कि इस को जल्द से जल्द ठीक किया जाए अन्यथा एस डी एम को पत्र दिया जाएगा ताकि इसका लाभ किसानों को मिल सके।
इस बारे में जब जल शक्ति विभाग मंडल नालागढ़ के एक्सईन पुनीत शर्मा से बात की गई तो उन्होंने बताया कि बद्दी से राजपुरा को जाने वाली कूहल का बरसात के समय में काफी नुकसान हो गया था जिसकी वजह से काफी समस्या आ रही है लेकिन विभाग ने अधिकतर कूहल का हिस्सा रिपेयर करवा दिया है जबकि ये 14 किलोमीटर लंबी कूहल है जिसका अभी बहुत हिस्सा रिपेयर के लिए बचा है जो धीरे-धीरे ठीक कर दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि ये कूहल काफी पुरानी हो चुकी है तथा विभाग ने इसे नए बजट में नवीनीकरण के लिए प्रपोजल डाल दिया है।
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