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सोलन [ बद्दी ] , 26 दिसंबर [ पंकज गोल्डी ] ! बद्दी स्थित प्राचीन शिव मंदिर के संस्थापक संत बाबा श्री श्री 1008 हरिदास महाराज की पुण्यतिथि मनाई गई। इस मौके पर हवन यज्ञ और भंडारे का आयोजन किया गया जिसमें बददी के सैकड़ों लोगों ने प्रसाद ग्रहण किया। इसके अलावा बद्दी के झुगी झोंपड़ी में गरीब तबका के लोगों को भोजन भी बांटा गया। संत बाबा हरिदास ने वर्ष 2009 में अपना शरीर छोड़ दिया था। उनके पुण्य तिथि पर सोमवार को मंदिर को उनकी समाधि स्थल पर पूजा अर्चना की गई। उसके बाद पंडित बद्री प्रसाद ने हवन कराया। जिसमें बद्दी मंदिर के पुजारी महंत प्यारे दास, बीरबल दास, जसवंत राय, कृष्ण कुमार कौशल, गुरचरण प्रजापत, रामरखा प्रजापत, गुरदयाल ठाकुर, कमलेश प्रवीण कुमार, तरक्की लाल कौशल, मदन गोपाल गुप्ता, चंद्रमोहन, राजेश कुमार, दिनेश कौशल, जयपाल गर्ग, कुलभूषण कौशल, प्रवेश कुमार, गोविंद राम, ने पूर्णाहुति में भाग लिया। महंत प्यारे दास ने कहा कि इस मंदिर का निर्माण कार्य स्व. संत बाबा हरिदास महाराज ने किया था। उनकी ओर से यहां पर की तपस्या के कारण आज यह मंदिर दूर दूर प्रसिद्ध है। स्व. संत बाबा हरिदास कहते थे कि भगवान की सेवा करते रहे। जब कोई किसी के पास मजदूरी करता है तो उसे काम पूरा होने पर मजदूरी मिलती है इस तरह भगवान की सेवा करने पर भी भगवान किसी की मजदूरी नहीं रखते है। दोपहर बाद भंडारे का आयोजन किया गया जिसमें सभी धर्मों के लोगों ने भाग लिया। https://youtube.com/playlist?list=PLfNkwz3upB7OrrnGCDxBewe7LwsUn1bhs
सोलन [ बद्दी ] , 26 दिसंबर [ पंकज गोल्डी ] ! बद्दी स्थित प्राचीन शिव मंदिर के संस्थापक संत बाबा श्री श्री 1008 हरिदास महाराज की पुण्यतिथि मनाई गई। इस मौके पर हवन यज्ञ और भंडारे का आयोजन किया गया जिसमें बददी के सैकड़ों लोगों ने प्रसाद ग्रहण किया। इसके अलावा बद्दी के झुगी झोंपड़ी में गरीब तबका के लोगों को भोजन भी बांटा गया।
संत बाबा हरिदास ने वर्ष 2009 में अपना शरीर छोड़ दिया था। उनके पुण्य तिथि पर सोमवार को मंदिर को उनकी समाधि स्थल पर पूजा अर्चना की गई। उसके बाद पंडित बद्री प्रसाद ने हवन कराया। जिसमें बद्दी मंदिर के पुजारी महंत प्यारे दास, बीरबल दास, जसवंत राय, कृष्ण कुमार कौशल, गुरचरण प्रजापत, रामरखा प्रजापत, गुरदयाल ठाकुर, कमलेश प्रवीण कुमार, तरक्की लाल कौशल, मदन गोपाल गुप्ता, चंद्रमोहन, राजेश कुमार, दिनेश कौशल, जयपाल गर्ग, कुलभूषण कौशल, प्रवेश कुमार, गोविंद राम, ने पूर्णाहुति में भाग लिया।
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महंत प्यारे दास ने कहा कि इस मंदिर का निर्माण कार्य स्व. संत बाबा हरिदास महाराज ने किया था। उनकी ओर से यहां पर की तपस्या के कारण आज यह मंदिर दूर दूर प्रसिद्ध है। स्व. संत बाबा हरिदास कहते थे कि भगवान की सेवा करते रहे।
जब कोई किसी के पास मजदूरी करता है तो उसे काम पूरा होने पर मजदूरी मिलती है इस तरह भगवान की सेवा करने पर भी भगवान किसी की मजदूरी नहीं रखते है। दोपहर बाद भंडारे का आयोजन किया गया जिसमें सभी धर्मों के लोगों ने भाग लिया।
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