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लाहौल! जनजातीय लाहौल घाटी में बीजाई का काम रुक गया है ! अप्रैल महीना शुरू हो गया है लेकिन पहाड़ों पर बर्फबारी का क्रम अभी भी जारी है ! रोहतांग दर्रा सहित लाहौल स्पीति ने एक बार फिर बर्फ की सफेद चादर ओढ़ ली है ! हर साल की तरह लाहौल के पट्टन घाटी में मार्च के अंत में बीजाई का कार्य शुरू हो जाता था लेकिन कोरोना वायरस के चलते तथा मौसम ख़राब रहने से बीजाई कार्य रूका हुआ हैं ! ऐसे में किसान बागवान मौसम के मिजाज से चिंतित हैं ! और साथ ही साथ कोरोना वायरस से भी चिंतित है ! क्योंकि जनजातीय लाहौल घाटी में साल में एक ही बार बीजाई होती है जो सितंबर माह के अंत में फसल तैयार हो जाती है ! ऐसे में अब किसानो को अपनी फसल की चिंता सत्ता रही है उन्हें अब फसल उगाने के के लिए अगले साल का इंतजार करना पड़ेगा !
लाहौल! जनजातीय लाहौल घाटी में बीजाई का काम रुक गया है ! अप्रैल महीना शुरू हो गया है लेकिन पहाड़ों पर बर्फबारी का क्रम अभी भी जारी है ! रोहतांग दर्रा सहित लाहौल स्पीति ने एक बार फिर बर्फ की सफेद चादर ओढ़ ली है ! हर साल की तरह लाहौल के पट्टन घाटी में मार्च के अंत में बीजाई का कार्य शुरू हो जाता था लेकिन कोरोना वायरस के चलते तथा मौसम ख़राब रहने से बीजाई कार्य रूका हुआ हैं !
ऐसे में किसान बागवान मौसम के मिजाज से चिंतित हैं ! और साथ ही साथ कोरोना वायरस से भी चिंतित है ! क्योंकि जनजातीय लाहौल घाटी में साल में एक ही बार बीजाई होती है जो सितंबर माह के अंत में फसल तैयार हो जाती है ! ऐसे में अब किसानो को अपनी फसल की चिंता सत्ता रही है उन्हें अब फसल उगाने के के लिए अगले साल का इंतजार करना पड़ेगा !
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