
भाजपा के 'घर-घर सिंदूर भाजपा का 'घर-घर सिन्दूर' अभियान महिलाओं की गरिमा का अपमान : मनीष सरीन भाजपा के 'घर-घर सिंदूर' अभियान पर भड़के मनीष सरीन, बताया महिलाओं की आस्था और गरिमा का अपमान
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चम्बा , 30 मई [ शिवानी ] ! 2022 हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव में डलहौज़ी विधानसभा क्षेत्र से प्रत्याशी रह चुके मनीष सरीन ने भाजपा के ‘घर-घर सिंदूर’ अभियान पर तीखी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने इस अभियान की कड़ी निंदा करते हुए कहा कि "स्त्री की मांग में सिंदूर भरना केवल पती का अधिकार होता है, किसी राजनीतिक पार्टी का नहीं।" मनीष सरीन ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी वोटों की राजनीति में इतनी लिप्त हो गई है कि अब उसे आस्था और परंपराओं की भी समझ नहीं रही। "सिंदूर केवल एक सौंदर्य प्रसाधन नहीं, बल्कि वैवाहिक जीवन की पवित्र रस्मों का प्रतीक है। जब एक पुरुष, देवी-देवताओं को साक्षी मानकर विवाह की सभी विधियों के साथ अपनी पत्नी की मांग में सिंदूर भरता है, तब वह सामाजिक और धार्मिक रूप से मान्य होता है," उन्होंने कहा। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा इस धार्मिक प्रतीक का राजनीतिक लाभ के लिए उपयोग कर रही है, जो न केवल परंपराओं का अपमान है, बल्कि महिलाओं की गरिमा पर भी आघात है। मनीष सरीन ने प्रदेशवासियों से अपील की कि वह इस तरह के अभियान का विरोध करें और अपने घरों में आए भाजपा कार्यकर्ताओं से सिंदूर न लें। "यह हमारी बहनों और बेटियों का अपमान है। क्या भाजपा विधवाओं और तलाकशुदा महिलाओं के घर जाकर भी सिंदूर देगी? यह सीधे तौर पर उनकी भावनाओं से खिलवाड़ होगा," उन्होंने कहा। मनीष सरीन ने भाजपा से इस तरह के अभियानों को तत्काल बंद करने की मांग की और कहा कि "आस्था को राजनीति का साधन बनाना न केवल निंदनीय है, बल्कि समाज को गुमराह करने वाला भी है।" 2022 हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव में डलहौज़ी विधानसभा क्षेत्र से प्रत्याशी रह चुके मनीष सरीन ने भाजपा के ‘घर-घर सिंदूर’ अभियान पर तीखी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने इस अभियान की कड़ी निंदा करते हुए कहा कि "स्त्री की मांग में सिंदूर भरना केवल पती का अधिकार होता है, किसी राजनीतिक पार्टी का नहीं।" मनीष सरीन ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी वोटों की राजनीति में इतनी लिप्त हो गई है कि अब उसे आस्था और परंपराओं की भी समझ नहीं रही। "सिंदूर केवल एक सौंदर्य प्रसाधन नहीं, बल्कि वैवाहिक जीवन की पवित्र रस्मों का प्रतीक है। जब एक पुरुष, देवी-देवताओं को साक्षी मानकर विवाह की सभी विधियों के साथ अपनी पत्नी की मांग में सिंदूर भरता है, तब वह सामाजिक और धार्मिक रूप से मान्य होता है," उन्होंने कहा। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा इस धार्मिक प्रतीक का राजनीतिक लाभ के लिए उपयोग कर रही है, जो न केवल परंपराओं का अपमान है, बल्कि महिलाओं की गरिमा पर भी आघात है। मनीष सरीन ने प्रदेशवासियों से अपील की कि वह इस तरह के अभियान का विरोध करें और अपने घरों में आए भाजपा कार्यकर्ताओं से सिंदूर न लें। "यह हमारी बहनों और बेटियों का अपमान है। क्या भाजपा विधवाओं और तलाकशुदा महिलाओं के घर जाकर भी सिंदूर देगी? यह सीधे तौर पर उनकी भावनाओं से खिलवाड़ होगा," उन्होंने कहा। मनीष सरीन ने भाजपा से इस तरह के अभियानों को तत्काल बंद करने की मांग की और कहा कि "आस्था को राजनीति का साधन बनाना न केवल निंदनीय है, बल्कि समाज को गुमराह करने वाला भी है।"
चम्बा , 30 मई [ शिवानी ] ! 2022 हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव में डलहौज़ी विधानसभा क्षेत्र से प्रत्याशी रह चुके मनीष सरीन ने भाजपा के ‘घर-घर सिंदूर’ अभियान पर तीखी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने इस अभियान की कड़ी निंदा करते हुए कहा कि "स्त्री की मांग में सिंदूर भरना केवल पती का अधिकार होता है, किसी राजनीतिक पार्टी का नहीं।"
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मनीष सरीन ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी वोटों की राजनीति में इतनी लिप्त हो गई है कि अब उसे आस्था और परंपराओं की भी समझ नहीं रही। "सिंदूर केवल एक सौंदर्य प्रसाधन नहीं, बल्कि वैवाहिक जीवन की पवित्र रस्मों का प्रतीक है। जब एक पुरुष, देवी-देवताओं को साक्षी मानकर विवाह की सभी विधियों के साथ अपनी पत्नी की मांग में सिंदूर भरता है, तब वह सामाजिक और धार्मिक रूप से मान्य होता है," उन्होंने कहा।
उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा इस धार्मिक प्रतीक का राजनीतिक लाभ के लिए उपयोग कर रही है, जो न केवल परंपराओं का अपमान है, बल्कि महिलाओं की गरिमा पर भी आघात है।
मनीष सरीन ने प्रदेशवासियों से अपील की कि वह इस तरह के अभियान का विरोध करें और अपने घरों में आए भाजपा कार्यकर्ताओं से सिंदूर न लें। "यह हमारी बहनों और बेटियों का अपमान है। क्या भाजपा विधवाओं और तलाकशुदा महिलाओं के घर जाकर भी सिंदूर देगी? यह सीधे तौर पर उनकी भावनाओं से खिलवाड़ होगा," उन्होंने कहा।
मनीष सरीन ने भाजपा से इस तरह के अभियानों को तत्काल बंद करने की मांग की और कहा कि "आस्था को राजनीति का साधन बनाना न केवल निंदनीय है, बल्कि समाज को गुमराह करने वाला भी है।"
2022 हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव में डलहौज़ी विधानसभा क्षेत्र से प्रत्याशी रह चुके मनीष सरीन ने भाजपा के ‘घर-घर सिंदूर’ अभियान पर तीखी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने इस अभियान की कड़ी निंदा करते हुए कहा कि "स्त्री की मांग में सिंदूर भरना केवल पती का अधिकार होता है, किसी राजनीतिक पार्टी का नहीं।"
मनीष सरीन ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी वोटों की राजनीति में इतनी लिप्त हो गई है कि अब उसे आस्था और परंपराओं की भी समझ नहीं रही। "सिंदूर केवल एक सौंदर्य प्रसाधन नहीं, बल्कि वैवाहिक जीवन की पवित्र रस्मों का प्रतीक है। जब एक पुरुष, देवी-देवताओं को साक्षी मानकर विवाह की सभी विधियों के साथ अपनी पत्नी की मांग में सिंदूर भरता है, तब वह सामाजिक और धार्मिक रूप से मान्य होता है," उन्होंने कहा।
उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा इस धार्मिक प्रतीक का राजनीतिक लाभ के लिए उपयोग कर रही है, जो न केवल परंपराओं का अपमान है, बल्कि महिलाओं की गरिमा पर भी आघात है।
मनीष सरीन ने प्रदेशवासियों से अपील की कि वह इस तरह के अभियान का विरोध करें और अपने घरों में आए भाजपा कार्यकर्ताओं से सिंदूर न लें। "यह हमारी बहनों और बेटियों का अपमान है। क्या भाजपा विधवाओं और तलाकशुदा महिलाओं के घर जाकर भी सिंदूर देगी? यह सीधे तौर पर उनकी भावनाओं से खिलवाड़ होगा," उन्होंने कहा।
मनीष सरीन ने भाजपा से इस तरह के अभियानों को तत्काल बंद करने की मांग की और कहा कि "आस्था को राजनीति का साधन बनाना न केवल निंदनीय है, बल्कि समाज को गुमराह करने वाला भी है।"
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