देवभूमि संघर्ष समिति ने अदालत के फैसले का किया स्वागत, छह महीने में आया बड़ा फैसला, संजौली मस्जिद विवाद में जनता के पक्ष में न्याय-जगतपाल, संजौली मस्जिद कमेटी अब खटखटाएगी हाई कोर्ट का दरवाजा
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शिमला , 30 ऑक्टूबर [ विशाल सूद ] ! देवभूमि संघर्ष समिति के वकील जगत पाल ने कहा कि नगर निगम की अदालत में जो फैसला आया था, उसके खिलाफ दो अपीलें संजौली मस्जिद कमेटी और वक्फ बोर्ड की ओर से जिला अदालत में दायर की गई थीं। इन दोनों अपीलों की सुनवाई यजुवेंदर सिंह की अदालत में आज हुई है। इस मामले में आज जिला अदालत में सुनवाई पूरी की गई और रिकॉर्ड समय यानी छह महीने के भीतर दोनों अपीलों को खारिज कर दिया गया। अदालत ने 3 मई 2025 के नगर निगम कोर्ट के फैसले को सही ठहराया है। इसका मतलब यह है कि संजौली मस्जिद विवाद में जो विवादित ढांचा है, वह ग्राउंड फ्लोर से लेकर टॉप फ्लोर तक पूरी तरह गिराया जाएगा, क्योंकि यह निर्माण अवैध है। यह संजौली मस्जिद विवाद से जुड़ा चौथा फैसला है। पहला फैसला 5 अक्टूबर 2024 को आया था, जिसमें तीसरी, चौथी और पांचवीं मंजिल को गिराने के आदेश दिए गए थे। हालांकि नगर निगम शिमला ने तब तक इसे नहीं गिराया था। इस फैसले को वक्फ बोर्ड ने जिला अदालत में चुनौती दी थी, लेकिन एक महीने के अंदर प्रवीण गर्ग ने याचिका खारिज कर दी थी। तीसरा फैसला 3 मई 2025 को नगर निगम के कोर्ट से आया था, जिसमें पूरी मस्जिद को ही अवैध करार दिया गया था। इस पर वक्फ बोर्ड और संजौली मस्जिद कमेटी ने दो अपीलें दायर की थीं, जिन्हें आज जिला अदालत ने खारिज कर दिया है। हालांकि दूसरे पक्ष के पास अभी भी हाईकोर्ट जाने का रास्ता खुला है, लेकिन संभावना कम है क्योंकि अब तक चार बार फैसला उनके खिलाफ जा चुका है। ऐसे में किसी भी उच्च अदालत में राहत मिलना मुश्किल है। वहीँ, देवभूमि संघर्ष समिति के सह-संयोजक विजय शर्मा ने बताया कि आज जिला अदालत में जो फैसला आया है, उसका वे स्वागत करते हैं और प्रदेश के पूरे सनातन समाज को इसकी बधाई देते हैं। 11, सितंबर, 2024 में देवभूमि संघर्ष समिति ने शिमला के संजौली में प्रदर्शन किया था, तब प्रदर्शनकारियों पर लाठियां चलाई गईं, वाटर कैनन का इस्तेमाल हुआ और कई लोगों पर मुकदमे दर्ज किए गए थे। विजय शर्मा ने कहा कि आज का फैसला उस संघर्ष को सार्थक करता है और अब उम्मीद है कि नगर निगम शिमला बिना किसी देरी के विवादित मस्जिद ढांचे को गिराकर कोर्ट के आदेशों का पालन करेगा। उन्होंने सरकार और नगर निगम प्रशासन की नीयत पर भी सवाल उठाए और कहा कि जब शांतिपूर्ण प्रदर्शन हो रहा था, तब प्रदर्शनकारियों पर कार्रवाई की गई। उन्होंने पूछा कि क्या पुलिस अधीक्षक संजीव गांधी अब उन प्रदर्शनकारियों से माफ़ी मांगेंगे और उनके खिलाफ दर्ज मुकदमे वापस लेंगे। देवभूमि संघर्ष समिति के सह-संयोजक मदन ठाकुर ने कहा कि आज उन सभी लोगों की जीत हुई है जिन्होंने निर्दोष होने के बावजूद लाठियां खाईं। उन्होंने कहा कि अब प्रदेश सरकार और प्रशासन को उन लोगों से माफ़ी मांगनी चाहिए और संघर्ष के दौरान दर्ज सभी मुकदमे वापस लेने चाहिए। मदन ठाकुर ने कहा कि जब तक हिमाचल प्रदेश में वक्फ बोर्ड पूरी तरह समाप्त नहीं किया जाता, तब तक समिति पीछे नहीं हटेगी क्योंकि यह माफिया का अड्डा बन चुका है। उन्होंने कहा कि पुलिस विभाग के कुछ अधिकारी आजकल अमीरी-गरीबी का "पर्चा बारा" कर रहे हैं, तो यह काम सबके लिए होना चाहिए, बाहर से आने वाले लोगों और उनकी सामाजिक गतिविधियों की जांच होनी चाहिए। मदन ठाकुर ने कहा कि कुछ लोग हिमाचल में जनसंख्या का संतुलन बिगाड़ने का काम कर रहे हैं, जिनमें कुछ नेता भी शामिल हैं। उन्हें चेतावनी दी गई है कि वे यह काम बंद करें, क्योंकि समिति अब पीछे नहीं हटेगी और आने वाले समय में और मजबूती से यह लड़ाई लड़ेगी। वहीं, संजौली मस्जिद कमेटी के अध्यक्ष मोहम्मद लतीफ़ ने इस पूरे मामले में ज़िला अदालत के आदेश पढ़ने के बाद हाईकोर्ट जाने की बात कही है।
शिमला , 30 ऑक्टूबर [ विशाल सूद ] ! देवभूमि संघर्ष समिति के वकील जगत पाल ने कहा कि नगर निगम की अदालत में जो फैसला आया था, उसके खिलाफ दो अपीलें संजौली मस्जिद कमेटी और वक्फ बोर्ड की ओर से जिला अदालत में दायर की गई थीं। इन दोनों अपीलों की सुनवाई यजुवेंदर सिंह की अदालत में आज हुई है।
इस मामले में आज जिला अदालत में सुनवाई पूरी की गई और रिकॉर्ड समय यानी छह महीने के भीतर दोनों अपीलों को खारिज कर दिया गया। अदालत ने 3 मई 2025 के नगर निगम कोर्ट के फैसले को सही ठहराया है। इसका मतलब यह है कि संजौली मस्जिद विवाद में जो विवादित ढांचा है, वह ग्राउंड फ्लोर से लेकर टॉप फ्लोर तक पूरी तरह गिराया जाएगा, क्योंकि यह निर्माण अवैध है।
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यह संजौली मस्जिद विवाद से जुड़ा चौथा फैसला है। पहला फैसला 5 अक्टूबर 2024 को आया था, जिसमें तीसरी, चौथी और पांचवीं मंजिल को गिराने के आदेश दिए गए थे। हालांकि नगर निगम शिमला ने तब तक इसे नहीं गिराया था। इस फैसले को वक्फ बोर्ड ने जिला अदालत में चुनौती दी थी, लेकिन एक महीने के अंदर प्रवीण गर्ग ने याचिका खारिज कर दी थी। तीसरा फैसला 3 मई 2025 को नगर निगम के कोर्ट से आया था, जिसमें पूरी मस्जिद को ही अवैध करार दिया गया था।
इस पर वक्फ बोर्ड और संजौली मस्जिद कमेटी ने दो अपीलें दायर की थीं, जिन्हें आज जिला अदालत ने खारिज कर दिया है। हालांकि दूसरे पक्ष के पास अभी भी हाईकोर्ट जाने का रास्ता खुला है, लेकिन संभावना कम है क्योंकि अब तक चार बार फैसला उनके खिलाफ जा चुका है। ऐसे में किसी भी उच्च अदालत में राहत मिलना मुश्किल है।
वहीँ, देवभूमि संघर्ष समिति के सह-संयोजक विजय शर्मा ने बताया कि आज जिला अदालत में जो फैसला आया है, उसका वे स्वागत करते हैं और प्रदेश के पूरे सनातन समाज को इसकी बधाई देते हैं। 11, सितंबर, 2024 में देवभूमि संघर्ष समिति ने शिमला के संजौली में प्रदर्शन किया था, तब प्रदर्शनकारियों पर लाठियां चलाई गईं, वाटर कैनन का इस्तेमाल हुआ और कई लोगों पर मुकदमे दर्ज किए गए थे।
विजय शर्मा ने कहा कि आज का फैसला उस संघर्ष को सार्थक करता है और अब उम्मीद है कि नगर निगम शिमला बिना किसी देरी के विवादित मस्जिद ढांचे को गिराकर कोर्ट के आदेशों का पालन करेगा। उन्होंने सरकार और नगर निगम प्रशासन की नीयत पर भी सवाल उठाए और कहा कि जब शांतिपूर्ण प्रदर्शन हो रहा था, तब प्रदर्शनकारियों पर कार्रवाई की गई। उन्होंने पूछा कि क्या पुलिस अधीक्षक संजीव गांधी अब उन प्रदर्शनकारियों से माफ़ी मांगेंगे और उनके खिलाफ दर्ज मुकदमे वापस लेंगे।
देवभूमि संघर्ष समिति के सह-संयोजक मदन ठाकुर ने कहा कि आज उन सभी लोगों की जीत हुई है जिन्होंने निर्दोष होने के बावजूद लाठियां खाईं। उन्होंने कहा कि अब प्रदेश सरकार और प्रशासन को उन लोगों से माफ़ी मांगनी चाहिए और संघर्ष के दौरान दर्ज सभी मुकदमे वापस लेने चाहिए।
मदन ठाकुर ने कहा कि जब तक हिमाचल प्रदेश में वक्फ बोर्ड पूरी तरह समाप्त नहीं किया जाता, तब तक समिति पीछे नहीं हटेगी क्योंकि यह माफिया का अड्डा बन चुका है। उन्होंने कहा कि पुलिस विभाग के कुछ अधिकारी आजकल अमीरी-गरीबी का "पर्चा बारा" कर रहे हैं, तो यह काम सबके लिए होना चाहिए, बाहर से आने वाले लोगों और उनकी सामाजिक गतिविधियों की जांच होनी चाहिए।
मदन ठाकुर ने कहा कि कुछ लोग हिमाचल में जनसंख्या का संतुलन बिगाड़ने का काम कर रहे हैं, जिनमें कुछ नेता भी शामिल हैं। उन्हें चेतावनी दी गई है कि वे यह काम बंद करें, क्योंकि समिति अब पीछे नहीं हटेगी और आने वाले समय में और मजबूती से यह लड़ाई लड़ेगी।
वहीं, संजौली मस्जिद कमेटी के अध्यक्ष मोहम्मद लतीफ़ ने इस पूरे मामले में ज़िला अदालत के आदेश पढ़ने के बाद हाईकोर्ट जाने की बात कही है।
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