होटल लोन फाइल से अहम रिकॉर्ड गायब करने के गंभीर आरोप**
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ऊना , 28 दिसंबर [ विशाल सूद ] ! कांगड़ा सेंट्रल कोऑपरेटिव बैंक लिमिटेड (केसीसीबी) से जुड़े एक बहुचर्चित होटल लोन मामले में बड़ा कानूनी घटनाक्रम सामने आया है। थाना सदर ऊना में बैंक के पूर्व मैनेजिंग डायरेक्टर सहित 8 अधिकारियों/कर्मचारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है। यह एफआईआर जिला मंडी के गांव भूरा, डाकघर राजगढ़ निवासी युद्ध चंद बैंस पुत्र पूरन चंद की शिकायत पर पंजीकृत की गई है। एफआईआर के अनुसार शिकायतकर्ता एक प्रतिष्ठित होटल व्यवसायी है तथा वह एम/एस होटल लेक पैलेस, विल्ला नलसर मोहल, तहसील बल्ह, जिला मंडी और एम/एस हिमालयन स्नो विलेज, मनाली का मालिक है। शिकायतकर्ता ने वर्ष 2016 में कांगड़ा सेंट्रल कोऑपरेटिव बैंक लिमिटेड ऊना से होटल प्रोजेक्ट के लिए लगभग 12 करोड़ रुपये का टर्म लोन स्वीकृत करवाया था। इसके बदले दोनों होटल प्रॉपर्टियों को बैंक के पास गिरवी रखा गया था। शिकायत में आरोप लगाया गया है कि लोन स्वीकृत होने के बावजूद पूरी राशि समय पर जारी नहीं की गई। अनियमित और विलंबित वितरण के कारण होटल प्रोजेक्ट को भारी वित्तीय नुकसान उठाना पड़ा। शिकायतकर्ता के अनुसार प्रोजेक्ट की अनुमानित लागत लगभग 240 करोड़ रुपये थी, जो बैंक अधिकारियों की कथित कार्यप्रणाली के कारण गंभीर रूप से प्रभावित हुई। एफआईआर में यह भी आरोप है कि बैंक अधिकारियों ने गिरवी रखी गई संपत्तियों की रिजर्व प्राइस तय करने से संबंधित वैल्यूएशन रिकॉर्ड में हेराफेरी की, महत्वपूर्ण ऑफिस नोटिंग्स हटाई गईं तथा लोन फाइल के कुछ पन्ने जानबूझकर गायब कर दिए गए। यह सभी दस्तावेज बैंक की कस्टडी में थे, जिसकी जिम्मेदारी संबंधित अधिकारियों पर बनती है। शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया है कि आरबीआई की गाइडलाइंस और कोविड-19 के दौरान लागू मोरेटोरियम के बावजूद वर्ष 2021 में लोन को गलत तरीके से एनपीए घोषित कर दिया गया। इसके चलते मामला हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट और डेब्ट रिकवरी ट्रिब्यूनल, चंडीगढ़ तक पहुंचा।आरटीआई के माध्यम से प्राप्त जानकारी में खुलासा हुआ कि केसीसीबी की रिकवरी शाखा से शिकायतकर्ता की लोन फाइल के कई महत्वपूर्ण पन्ने, विशेष रूप से रिजर्व प्राइस फिक्सेशन और वैल्यूएशन से जुड़ी नोटिंग्स, गायब हैं। आरोप है कि यह कृत्य जानबूझकर किया गया ताकि प्रॉपर्टी का मूल्य कम दर्शाकर रिकवरी प्रक्रिया को प्रभावित किया जा सके। एफआईआर में नामजद अधिकारी/कर्मचारीविनोद कुमार – तत्कालीन मैनेजिंग डायरेक्टर, केसीसीबीराकेश शर्मा – जनरल मैनेजर (तत्कालीन डीजीएम रिकवरी)कुलदीप भारद्वाज – डीजीएम रिकवरीवीनू शर्मा – एजीएमसतीश कुमारी – एजीएमसुरजीत राणा – एजीएमदिनेश शर्मा – ग्रेड-IIIबाबू राम – ग्रेड-IV पुलिस द्वारा मामला दर्ज कर विस्तृत जांच शुरू कर दी गई है। जांच के दौरान लोन फाइल, वैल्यूएशन रिपोर्ट, आरटीआई जवाब, रिकवरी रिकॉर्ड तथा संबंधित अधिकारियों की भूमिका की गहन जांच की जाएगी।
ऊना , 28 दिसंबर [ विशाल सूद ] ! कांगड़ा सेंट्रल कोऑपरेटिव बैंक लिमिटेड (केसीसीबी) से जुड़े एक बहुचर्चित होटल लोन मामले में बड़ा कानूनी घटनाक्रम सामने आया है। थाना सदर ऊना में बैंक के पूर्व मैनेजिंग डायरेक्टर सहित 8 अधिकारियों/कर्मचारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है। यह एफआईआर जिला मंडी के गांव भूरा, डाकघर राजगढ़ निवासी युद्ध चंद बैंस पुत्र पूरन चंद की शिकायत पर पंजीकृत की गई है।
एफआईआर के अनुसार शिकायतकर्ता एक प्रतिष्ठित होटल व्यवसायी है तथा वह एम/एस होटल लेक पैलेस, विल्ला नलसर मोहल, तहसील बल्ह, जिला मंडी और एम/एस हिमालयन स्नो विलेज, मनाली का मालिक है। शिकायतकर्ता ने वर्ष 2016 में कांगड़ा सेंट्रल कोऑपरेटिव बैंक लिमिटेड ऊना से होटल प्रोजेक्ट के लिए लगभग 12 करोड़ रुपये का टर्म लोन स्वीकृत करवाया था। इसके बदले दोनों होटल प्रॉपर्टियों को बैंक के पास गिरवी रखा गया था।
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शिकायत में आरोप लगाया गया है कि लोन स्वीकृत होने के बावजूद पूरी राशि समय पर जारी नहीं की गई। अनियमित और विलंबित वितरण के कारण होटल प्रोजेक्ट को भारी वित्तीय नुकसान उठाना पड़ा। शिकायतकर्ता के अनुसार प्रोजेक्ट की अनुमानित लागत लगभग 240 करोड़ रुपये थी, जो बैंक अधिकारियों की कथित कार्यप्रणाली के कारण गंभीर रूप से प्रभावित हुई।
एफआईआर में यह भी आरोप है कि बैंक अधिकारियों ने गिरवी रखी गई संपत्तियों की रिजर्व प्राइस तय करने से संबंधित वैल्यूएशन रिकॉर्ड में हेराफेरी की, महत्वपूर्ण ऑफिस नोटिंग्स हटाई गईं तथा लोन फाइल के कुछ पन्ने जानबूझकर गायब कर दिए गए। यह सभी दस्तावेज बैंक की कस्टडी में थे, जिसकी जिम्मेदारी संबंधित अधिकारियों पर बनती है।
शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया है कि आरबीआई की गाइडलाइंस और कोविड-19 के दौरान लागू मोरेटोरियम के बावजूद वर्ष 2021 में लोन को गलत तरीके से एनपीए घोषित कर दिया गया। इसके चलते मामला हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट और डेब्ट रिकवरी ट्रिब्यूनल, चंडीगढ़ तक पहुंचा।
आरटीआई के माध्यम से प्राप्त जानकारी में खुलासा हुआ कि केसीसीबी की रिकवरी शाखा से शिकायतकर्ता की लोन फाइल के कई महत्वपूर्ण पन्ने, विशेष रूप से रिजर्व प्राइस फिक्सेशन और वैल्यूएशन से जुड़ी नोटिंग्स, गायब हैं। आरोप है कि यह कृत्य जानबूझकर किया गया ताकि प्रॉपर्टी का मूल्य कम दर्शाकर रिकवरी प्रक्रिया को प्रभावित किया जा सके।
एफआईआर में नामजद अधिकारी/कर्मचारी
विनोद कुमार – तत्कालीन मैनेजिंग डायरेक्टर, केसीसीबी
राकेश शर्मा – जनरल मैनेजर (तत्कालीन डीजीएम रिकवरी)
कुलदीप भारद्वाज – डीजीएम रिकवरी
वीनू शर्मा – एजीएम
सतीश कुमारी – एजीएम
सुरजीत राणा – एजीएम
दिनेश शर्मा – ग्रेड-III
बाबू राम – ग्रेड-IV
पुलिस द्वारा मामला दर्ज कर विस्तृत जांच शुरू कर दी गई है। जांच के दौरान लोन फाइल, वैल्यूएशन रिपोर्ट, आरटीआई जवाब, रिकवरी रिकॉर्ड तथा संबंधित अधिकारियों की भूमिका की गहन जांच की जाएगी।
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