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डलहौजी , 06 दिसंबर [ शिवानी ] डलहौजी कैंट के महर्षि वाल्मीकि मंदिर में आज भारतीय संविधान के शिल्पकार भारत रत्न बाबा साहिब डॉ भीम राव अम्बेडकर के महापरिनिर्वाण दिवस के उपलक्ष्य पर एक श्रद्धांजलि एवं. पुष्पांजलि कार्यक्रम का आयोजन बाबा साहिब डॉ अम्बेडकर की प्रतिमा के समक्ष किया गया। इस मौके पर भगवान वाल्मीकि चैरिटेबल सोसायटी के अध्यक्ष अरुण कुमार अटवाल ने कहा कि विश्व ज्ञान के प्रतीक, बोधिसत्व, महामानव, सामाजिक न्याय के पुरोधा, और करोड़ों वंचितों के प्रेरणास्रोत, भारत के संविधान रचयिता भारत रत्न बाबा साहिब डॉ भीम राव अम्बेडकर, 6 दिसम्बर 1956 को इस दुनिया को छोड़ कर चले गए । उन्होंने दलितों, शोषितों, महिलाओं, मज़दूरों व समाज के सभी वर्गों को उनके वंचित अधिकार दिलवाए । समाज में समानता, समरसता व बराबरी का अधिकार दिलवाने में बाबा साहिब का योगदान अतुल्य हमारा संविधान, जिसका निर्माण बाबा साहब ने अद्भुत दृष्टि, तार्किकता और दूरदर्शिता के साथ किया, आज भी विश्व के उत्कृष्ट और सर्वसमावेशी संविधानों में से एक माना जाता है। उन्होंने ऐसे भारत का सपना देखा था जहाँ हर नागरिक को समान अधिकार मिलें, चाहे वह किसी भी जाति, धर्म, वर्ग या लिंग का क्यों न हो। डॉ. अम्बेडकर का जीवन हमें यह भी सिखाता है कि परिस्थितियाँ चाहे कितनी भी कठिन क्यों न हों, यदि लक्ष्य स्पष्ट हो और मेहनत ईमानदार, तो सफलता निश्चित है। उन्होंने सामाजिक कुरीतियों, भेदभाव और अन्याय के विरुद्ध अपनी पूरी शक्ति से संघर्ष किया और भारत को आधुनिक लोकतंत्र की मजबूत नींव प्रदान की। आज परिनिर्वाण दिवस के अवसर पर हम सभी का कर्तव्य है कि हम समानता और बंधुता को जीवन में उतारें, शिक्षा को सर्वश्रेष्ठ साधन मानें, समाज में फैली हर अन्यायपूर्ण परंपरा को तर्क के आधार पर चुनौती दें और ऐसा समाज बनाने का प्रयास करें जहाँ किसी को अवसरों से वंचित न किया जाए। हम बाबा साहब के विचारों को मात्र स्मरण न करें, बल्कि उन्हें अपने चरित्र, अपने व्यवहार और अपने कर्मों में उतारने का संकल्प लें। यही उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी।
डलहौजी , 06 दिसंबर [ शिवानी ] डलहौजी कैंट के महर्षि वाल्मीकि मंदिर में आज भारतीय संविधान के शिल्पकार भारत रत्न बाबा साहिब डॉ भीम राव अम्बेडकर के महापरिनिर्वाण दिवस के उपलक्ष्य पर एक श्रद्धांजलि एवं. पुष्पांजलि कार्यक्रम का आयोजन बाबा साहिब डॉ अम्बेडकर की प्रतिमा के समक्ष किया गया।
इस मौके पर भगवान वाल्मीकि चैरिटेबल सोसायटी के अध्यक्ष अरुण कुमार अटवाल ने कहा कि विश्व ज्ञान के प्रतीक, बोधिसत्व, महामानव, सामाजिक न्याय के पुरोधा, और करोड़ों वंचितों के प्रेरणास्रोत, भारत के संविधान रचयिता भारत रत्न बाबा साहिब डॉ भीम राव अम्बेडकर, 6 दिसम्बर 1956 को इस दुनिया को छोड़ कर चले गए । उन्होंने दलितों, शोषितों, महिलाओं, मज़दूरों व समाज के सभी वर्गों को उनके वंचित अधिकार दिलवाए ।
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समाज में समानता, समरसता व बराबरी का अधिकार दिलवाने में बाबा साहिब का योगदान अतुल्य हमारा संविधान, जिसका निर्माण बाबा साहब ने अद्भुत दृष्टि, तार्किकता और दूरदर्शिता के साथ किया, आज भी विश्व के उत्कृष्ट और सर्वसमावेशी संविधानों में से एक माना जाता है। उन्होंने ऐसे भारत का सपना देखा था जहाँ हर नागरिक को समान अधिकार मिलें, चाहे वह किसी भी जाति, धर्म, वर्ग या लिंग का क्यों न हो।
डॉ. अम्बेडकर का जीवन हमें यह भी सिखाता है कि परिस्थितियाँ चाहे कितनी भी कठिन क्यों न हों, यदि लक्ष्य स्पष्ट हो और मेहनत ईमानदार, तो सफलता निश्चित है। उन्होंने सामाजिक कुरीतियों, भेदभाव और अन्याय के विरुद्ध अपनी पूरी शक्ति से संघर्ष किया और भारत को आधुनिक लोकतंत्र की मजबूत नींव प्रदान की।
आज परिनिर्वाण दिवस के अवसर पर हम सभी का कर्तव्य है कि हम समानता और बंधुता को जीवन में उतारें, शिक्षा को सर्वश्रेष्ठ साधन मानें, समाज में फैली हर अन्यायपूर्ण परंपरा को तर्क के आधार पर चुनौती दें और ऐसा समाज बनाने का प्रयास करें जहाँ किसी को अवसरों से वंचित न किया जाए।
हम बाबा साहब के विचारों को मात्र स्मरण न करें, बल्कि उन्हें अपने चरित्र, अपने व्यवहार और अपने कर्मों में उतारने का संकल्प लें। यही उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी।
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