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शिमला ! मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने कहा कि भारी वर्षा से मण्डी जिले के सराज तथा धर्मपुर क्षेत्र में लोगों के घरों एवं भूमि को व्यापक नुक्सान पहुंचा है। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार इन क्षेत्रों के जिन लोगों के मकान क्षतिग्रस्त हुए हैं, अगर वे किराये के मकान में रहना चाहते हैं, उन्हें राज्य सरकार 5000 रूपये प्रति माह मकान किराया देगी। उन्होंने कहा कि सम्बन्धित एसडीएम को प्रभावितों को खाद्य सामग्री उपलब्ध करवाने के भी निर्देश दिए गए हैं। शिमला में पत्रकारों से बातचीत करते हुए उन्होंने कहा कि उप-मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री, तकनीकी शिक्षा मंत्री राजेश धर्माणी, विधानसभा उपाध्यक्ष विनय कुमार व अन्य विधायकों के साथ चर्चा कर ये महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए हैं।मुख्यमंत्री ने कहा कि भारी बारिश से आई इस आपदा में अभी तक 69 व्यक्तियों की मृत्यु हुई है तथा 110 व्यक्ति घायल हुए हैं और 37 अभी तक भी लापता हैं। उन्होंने कहा कि वह शीघ्र ही एक बार फिर प्रभावित क्षेत्रों का दौरा करेंगे। श्री सुक्खू ने कहा कि उन्होंने केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह से भी इस बारे में बातचीत कर प्रदेश में हुए व्यापक नुकसान के बारे में उन्हें अवगत करवाया है। केंद्रीय गृहमंत्री ने हरसंभव मदद का आश्वासन दिया है तथा केंद्रीय टीम भी नुकसान का आकलन करने हिमाचल प्रदेश आ रही है। उन्होंने कहा कि इस मॉनसून सीजन में ही अभी तक मण्डी जिले में ही 14 बादल फटने की घटनाएं हो चुकी हैं, जो चिंता का विषय है। बादल फटने की इतनी घटनाएं क्यों हो रही हैं, इसका अध्ययन करने की आवश्यकता है। उन्होंने इस बारे में भी केन्द्रीय गृहमंत्री से भी चर्चा की। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में भारी बरसात व बादल फटने की घटनाओं से अब तक 700 करोड़ रुपये का नुकसान हो चुका है। उन्होंने कहा कि इस आपदा में सड़कों, बिजली अधोसंरचना और पेयजल आपूर्ति योजनाओं को भारी नुकसान पहुंचा है। उन्होंने कहा कि मंत्रिमंडल के सभी सहयोगी अपने-अपने विभागों की समीक्षा बैठक लेकर नुकसान का आकलन कर रहे हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि भारी वर्षा से प्रदेश में अभी तक लगभग 300 सड़कें अवरूद्ध हुई हैं तथा करीब 790 जलापूर्ति योजनाओं को नुकसान पहुंचा है तथा 332 बिजली के ट्रांसफार्मरों को भी क्षति हुई है। उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा चलाए गए राहत कार्यों में मण्डी जिले में 402 लोगों को बचाया गया है।उन्होंने कहा कि वानिकी एवं बागवानी कॉलेज, थुनाग में फंसे 92 छात्रों और अध्यापकों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचा दिया गया है। थुनाग के कई गांवों में एनडीआरएफ तथा एसडीआरएफ की टीमें पहुंच गई हैं जो राहत एवं पुनर्वास कार्यों में जुटीं हैं। एनएचएआई द्वारा प्रदेश में चलाई जा रही परियोजनाओं के बारे में पूछे गए प्रश्न के उत्तर में मुख्यमंत्री ने बड़ी-बड़ी कम्पनियों को उनकी मशीनरी देखकर ठेके दे दिए जाते हैं तथा उन्हें हिमाचल प्रदेश जैसे पहाड़ी राज्य की भौगोलिक परिस्थितियों की जानकारी नहीं होती। वे सुविधानुसार पहाड़ों की कटिंग कर देती हैं जिससे नुकसान होता है। उन्होंने एनएचएआई को सलाह दी कि ऐसे ठेके स्थानीय ठेकेदारों को दिए जाएं। वहीं राज्य सरकार के प्रवक्ता ने कहा कि आपदा से सबसे ज्यादा प्रभावित मण्डी जिला में राहत एवं बचाव कार्य युद्ध स्तर पर जारी है तथा राज्य सरकार प्रभावितों की पूरी मदद कर रही है। सभी विभागों के उच्च अधिकारी, प्रशासनिक अधिकारी और सरकारी मशीनरी मण्डी जिला में आपदा प्रभावितों की सहायता के लिए तैनात किए गए हैं। थुनाग क्षेत्र में 241 जलापूर्ति योजनाओं को क्षति पहुंची थी जिनमें से 66 स्कीमों को अस्थाई तौर पर बहाल कर दिया गया है। मण्डी जिले में अभी भी 164 सड़कें अवरूद्ध हैं। लोक निर्माण विभाग द्वारा सराज के प्रभावित क्षेत्रों में सड़क बहाली के लिए 31 जेसीबी तथा 3 पौकलेन लगाई गई हैं। उन्होंने कहा कि क्षेत्र के सुराह गांव तथा अन्य प्रभावित क्षेत्रों के लिए सरकार द्वारा राहत सामग्री पहुंचाई जा रही है। इसके अलावा थुनाग उपमंडल के रुकचुई, भराड़ और पियाला देजी गांवों में आई भीषण प्राकृतिक आपदा के बाद राहत और बचाव कार्य युद्धस्तर पर जारी हैं। उन्होंने कहा कि एनडीआरएफ और जिला प्रशासन की टीमें विषम परिस्थितियों के बावजूद लगातार मोर्चे पर डटी हैं। अब तक थुनाग में 65 पीड़ितों को सुरक्षित रेस्क्यू कर प्राथमिक उपचार और चिकित्सीय सहायता उपलब्ध करवाई गई है। उन्होंने कहा कि धर्मपुर में आपदा प्रभावितों के लिए राहत एवं खाद्य सामग्री का वितरण और आवश्यक सेवाओं को युद्ध स्तर पर बहाल करने का कार्य जारी है।
शिमला ! मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने कहा कि भारी वर्षा से मण्डी जिले के सराज तथा धर्मपुर क्षेत्र में लोगों के घरों एवं भूमि को व्यापक नुक्सान पहुंचा है। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार इन क्षेत्रों के जिन लोगों के मकान क्षतिग्रस्त हुए हैं, अगर वे किराये के मकान में रहना चाहते हैं, उन्हें राज्य सरकार 5000 रूपये प्रति माह मकान किराया देगी। उन्होंने कहा कि सम्बन्धित एसडीएम को प्रभावितों को खाद्य सामग्री उपलब्ध करवाने के भी निर्देश दिए गए हैं।
शिमला में पत्रकारों से बातचीत करते हुए उन्होंने कहा कि उप-मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री, तकनीकी शिक्षा मंत्री राजेश धर्माणी, विधानसभा उपाध्यक्ष विनय कुमार व अन्य विधायकों के साथ चर्चा कर ये महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए हैं।मुख्यमंत्री ने कहा कि भारी बारिश से आई इस आपदा में अभी तक 69 व्यक्तियों की मृत्यु हुई है तथा 110 व्यक्ति घायल हुए हैं और 37 अभी तक भी लापता हैं। उन्होंने कहा कि वह शीघ्र ही एक बार फिर प्रभावित क्षेत्रों का दौरा करेंगे।
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श्री सुक्खू ने कहा कि उन्होंने केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह से भी इस बारे में बातचीत कर प्रदेश में हुए व्यापक नुकसान के बारे में उन्हें अवगत करवाया है। केंद्रीय गृहमंत्री ने हरसंभव मदद का आश्वासन दिया है तथा केंद्रीय टीम भी नुकसान का आकलन करने हिमाचल प्रदेश आ रही है। उन्होंने कहा कि इस मॉनसून सीजन में ही अभी तक मण्डी जिले में ही 14 बादल फटने की घटनाएं हो चुकी हैं, जो चिंता का विषय है। बादल फटने की इतनी घटनाएं क्यों हो रही हैं, इसका अध्ययन करने की आवश्यकता है। उन्होंने इस बारे में भी केन्द्रीय गृहमंत्री से भी चर्चा की।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में भारी बरसात व बादल फटने की घटनाओं से अब तक 700 करोड़ रुपये का नुकसान हो चुका है। उन्होंने कहा कि इस आपदा में सड़कों, बिजली अधोसंरचना और पेयजल आपूर्ति योजनाओं को भारी नुकसान पहुंचा है। उन्होंने कहा कि मंत्रिमंडल के सभी सहयोगी अपने-अपने विभागों की समीक्षा बैठक लेकर नुकसान का आकलन कर रहे हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि भारी वर्षा से प्रदेश में अभी तक लगभग 300 सड़कें अवरूद्ध हुई हैं तथा करीब 790 जलापूर्ति योजनाओं को नुकसान पहुंचा है तथा 332 बिजली के ट्रांसफार्मरों को भी क्षति हुई है। उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा चलाए गए राहत कार्यों में मण्डी जिले में 402 लोगों को बचाया गया है।
उन्होंने कहा कि वानिकी एवं बागवानी कॉलेज, थुनाग में फंसे 92 छात्रों और अध्यापकों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचा दिया गया है। थुनाग के कई गांवों में एनडीआरएफ तथा एसडीआरएफ की टीमें पहुंच गई हैं जो राहत एवं पुनर्वास कार्यों में जुटीं हैं।
एनएचएआई द्वारा प्रदेश में चलाई जा रही परियोजनाओं के बारे में पूछे गए प्रश्न के उत्तर में मुख्यमंत्री ने बड़ी-बड़ी कम्पनियों को उनकी मशीनरी देखकर ठेके दे दिए जाते हैं तथा उन्हें हिमाचल प्रदेश जैसे पहाड़ी राज्य की भौगोलिक परिस्थितियों की जानकारी नहीं होती। वे सुविधानुसार पहाड़ों की कटिंग कर देती हैं जिससे नुकसान होता है। उन्होंने एनएचएआई को सलाह दी कि ऐसे ठेके स्थानीय ठेकेदारों को दिए जाएं।
वहीं राज्य सरकार के प्रवक्ता ने कहा कि आपदा से सबसे ज्यादा प्रभावित मण्डी जिला में राहत एवं बचाव कार्य युद्ध स्तर पर जारी है तथा राज्य सरकार प्रभावितों की पूरी मदद कर रही है। सभी विभागों के उच्च अधिकारी, प्रशासनिक अधिकारी और सरकारी मशीनरी मण्डी जिला में आपदा प्रभावितों की सहायता के लिए तैनात किए गए हैं। थुनाग क्षेत्र में 241 जलापूर्ति योजनाओं को क्षति पहुंची थी जिनमें से 66 स्कीमों को अस्थाई तौर पर बहाल कर दिया गया है।
मण्डी जिले में अभी भी 164 सड़कें अवरूद्ध हैं। लोक निर्माण विभाग द्वारा सराज के प्रभावित क्षेत्रों में सड़क बहाली के लिए 31 जेसीबी तथा 3 पौकलेन लगाई गई हैं। उन्होंने कहा कि क्षेत्र के सुराह गांव तथा अन्य प्रभावित क्षेत्रों के लिए सरकार द्वारा राहत सामग्री पहुंचाई जा रही है। इसके अलावा थुनाग उपमंडल के रुकचुई, भराड़ और पियाला देजी गांवों में आई भीषण प्राकृतिक आपदा के बाद राहत और बचाव कार्य युद्धस्तर पर जारी हैं। उन्होंने कहा कि एनडीआरएफ और जिला प्रशासन की टीमें विषम परिस्थितियों के बावजूद लगातार मोर्चे पर डटी हैं। अब तक थुनाग में 65 पीड़ितों को सुरक्षित रेस्क्यू कर प्राथमिक उपचार और चिकित्सीय सहायता उपलब्ध करवाई गई है। उन्होंने कहा कि धर्मपुर में आपदा प्रभावितों के लिए राहत एवं खाद्य सामग्री का वितरण और आवश्यक सेवाओं को युद्ध स्तर पर बहाल करने का कार्य जारी है।
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