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चम्बा ! कृषि विभाग के एक प्रवक्ता ने आज यहां बताया कि प्रदेश सरकार ने मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू की हिमाचल दिवस के अवसर पर की गई घोषणा के अनुरूप पांगी घाटी को प्राकृतिक खेती उपमंडल घोषित करने की प्रक्रिया आरम्भ कर दी है। उन्होंने कहा कि पांगी क्षेत्र में उत्पादित जौ को 60 रुपये प्रति किलोग्राम के न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदा जाएगा। इस निर्णय से क्षेत्र के किसानों का आर्थिकी में सुधार आने की आशा है। उन्होंने कहा कि इस योजना के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए मुख्यमंत्री के निर्देश पर एक समिति का गठन किया गया। जिसने पांगी क्षेत्र की तीन पंचायतों-शौर, पुर्थी और रई का दौरा किया। इस समिति ने पंचायत प्रतिनिधियों और स्थानीय किसानों से बातचीत कर प्राकृतिक खेती की अवधारणा, लाभ और कार्यप्रणाली की विस्तृत जानकारी साझा की। इसके अतिरिक्त, किलाड़ में भी इस समिति की आवासीय आयुक्त की अध्यक्षता में एक बैठक का आयोजन किया गया, जिसमें बीडीसी चेयरमैन, वाइस चेयरमैन, बीडीसी सदस्य तथा पांगी की 19 पंचायतों के प्रधानों और उप-प्रधान ने भाग लिया। इस बैठक में प्राकृतिक खेती को अपनाने, इसके क्षेत्रवार क्रियान्वयन और पंचायतवार सुझावों पर गहन विचार-विमर्श किया गया। प्रवक्ता ने कहा कि आवासीय आयुक्त ने इन पंचायती राज प्रतिनिधियों को प्राकृतिक खेती के विभिन्न पहलुओं की जानकारी दी तथा घाटी के लोगों को प्राकृतिक खेती अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया। इसके अलावा, शिमला से आए विशेषज्ञ समिति के सदस्यों ने भी प्राकृतिक खेती के विभिन्न पहलुओं की विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने कहा कि सरकार की यह पहल न केवल पांगी की कृषि व्यवस्था को सशक्त बनाएगी, बल्कि इसे एक मॉडल प्राकृतिक खेती के रूप में स्थापित करने की दिशा में भी एक महत्त्वपूर्ण कदम है। उन्होंने कहा कि इससे क्षेत्र के लोगों की आर्थिकी में भी आशातीत बदलाव आयेगा।
चम्बा ! कृषि विभाग के एक प्रवक्ता ने आज यहां बताया कि प्रदेश सरकार ने मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू की हिमाचल दिवस के अवसर पर की गई घोषणा के अनुरूप पांगी घाटी को प्राकृतिक खेती उपमंडल घोषित करने की प्रक्रिया आरम्भ कर दी है। उन्होंने कहा कि पांगी क्षेत्र में उत्पादित जौ को 60 रुपये प्रति किलोग्राम के न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदा जाएगा। इस निर्णय से क्षेत्र के किसानों का आर्थिकी में सुधार आने की आशा है।
उन्होंने कहा कि इस योजना के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए मुख्यमंत्री के निर्देश पर एक समिति का गठन किया गया। जिसने पांगी क्षेत्र की तीन पंचायतों-शौर, पुर्थी और रई का दौरा किया। इस समिति ने पंचायत प्रतिनिधियों और स्थानीय किसानों से बातचीत कर प्राकृतिक खेती की अवधारणा, लाभ और कार्यप्रणाली की विस्तृत जानकारी साझा की।
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इसके अतिरिक्त, किलाड़ में भी इस समिति की आवासीय आयुक्त की अध्यक्षता में एक बैठक का आयोजन किया गया, जिसमें बीडीसी चेयरमैन, वाइस चेयरमैन, बीडीसी सदस्य तथा पांगी की 19 पंचायतों के प्रधानों और उप-प्रधान ने भाग लिया। इस बैठक में प्राकृतिक खेती को अपनाने, इसके क्षेत्रवार क्रियान्वयन और पंचायतवार सुझावों पर गहन विचार-विमर्श किया गया।
प्रवक्ता ने कहा कि आवासीय आयुक्त ने इन पंचायती राज प्रतिनिधियों को प्राकृतिक खेती के विभिन्न पहलुओं की जानकारी दी तथा घाटी के लोगों को प्राकृतिक खेती अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया। इसके अलावा, शिमला से आए विशेषज्ञ समिति के सदस्यों ने भी प्राकृतिक खेती के विभिन्न पहलुओं की विस्तृत जानकारी दी।
उन्होंने कहा कि सरकार की यह पहल न केवल पांगी की कृषि व्यवस्था को सशक्त बनाएगी, बल्कि इसे एक मॉडल प्राकृतिक खेती के रूप में स्थापित करने की दिशा में भी एक महत्त्वपूर्ण कदम है। उन्होंने कहा कि इससे क्षेत्र के लोगों की आर्थिकी में भी आशातीत बदलाव आयेगा।
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