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चम्बा , 28 अगस्त [ शिवानी ] ! सुन्दर शिक्षा (परमार्थ) न्यास के तत्वावधान में दिनांक 27-8 -2003 को कला सृजन पाठशाला द्वारा होटल इरावती में राजेंद्र यादव जयन्ती के उपलक्ष पर सत्र- 48 के तहत कविता, कहानी तथा लेख का पाठ आयोजित किया। इस कार्यक्रम में वरिष्ठ कवियों के साथ-साथ नवोदित रचनाकारों ने भी अपनी लेखनी का जादू बिखरा। कार्यक्रम की शुरुआत सरस्वती की वंदना करते हुए दीप प्रज्वलित करके की गई। कला सृजन पाठशाला के अध्यक्ष शरत् शर्मा ने राजेंद्र यादव के व्यक्तित्व और कृतित्व पर प्रकाश डाला। इसके बाद चम्बा के भिन्न-भिन्न विद्यालयों से आए विद्यार्थियों तथा महाविद्यालय चम्बा से आए छात्रों ने एक से बढ़कर एक रचना का पाठ किया। इसमें राजकीय माध्यमिक पाठशाला टिकरी राजकीय उत्कृष्ट वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय उदयपुर तथा बाल वरिष्ठ पाठशाला चंबा के छात्र-छात्राओं ने भाग लिया। इस अवसर पर महाविद्यालय के छात्र यशपाल ने अपनी कहानी के माध्यम से समाज में फैल रही हिंसा तथा नशाखोरी पर व्यंग्य किया। पमेश ने पहाड़ों और नदियों से सीख लेने की बात अपनी कविता में कही। सौरभ ने वीर रस से ओतप्रोत कविता द्वारा सभी को चकित कर दिया। अध्यापिका सुषमा चौहान ने जीवन में आगे बढ़ने के लिए अपने लक्ष्य को हासिल करने के लिए अपनी बात रखी। भाषा अध्यापक अनूप राही ने पहाड़ों और नदियों के वर्तमान पर सुंदर कविता पढ़ कर सबको आकृष्ट किया। कवि ओमकार वर्मा ने मजदूर कविता द्वारा मजदूरों की स्थिति का सजीव चित्रण किया। भाषा अध्यापिका रेखा गक्खड़ 'रश्मि' ने अपराध बोध कविता द्वारा गलत के खिलाफ आवाज उठाने की प्रेरणा दी। कला सृजन पाठशाला के महासचिव एवं राजकीय महाविद्यालय चंबा के हिंदी विभाग के विभगाध्यक्ष डॉ. संतोष कुमार ने मैं थक गया हूं कविता द्वारा सभी को मंत्र मुग्ध किया। पारुल जस्टरोटिया ने योग का संदेश देते हुए आसनों के महत्व को बताया। वरिष्ठ कवि एवं सामाजिक कार्यकर्ता भूपेंद्र जसरोटिया ने विश्वेश्वर भोले,भूतीण पेया, तथा लहंगा दिखि ब्याह नि करणा, चंब्याली कविता द्वारा सभी को ठाहके लगाने के लिए मजबूर कर दिया। कला सृजन पाठशाला के संरक्षक बालकृष्ण पाराशर ने मौन भाषा के ऊपर महत्वपूर्ण जानकारी दी। शरत् शर्मा ने संयम तोड़ते पहाड़ कविता द्वारा हिमाचल में बाढ़ से हुई त्रासदी पर भावनाएं व्यक्त कीं। इस अवसर पर मंच का संचालन रेखा गक्खड़ 'रश्मि' और डॉक्टर संतोष कुमार ने अपनी त्वरित टिप्पणियों के साथ किया। आयोजन सत्र-48(छठा वर्ष) में हर्षित, इप्शिता, इशांत, कौशिक, तौसीफ, मनीष कुमार, राजकुमार, स्नेहा, साक्षी, कशिश, शिवानी, दीक्षा, शिया, गुंजन, हेतल, अक्षिता, कनिका, गीतिका, आदि ने भी कविता पाठ किया। इस अवसर पर सभी छात्र-छात्राओं को कला सृजन पाठशाला की ओर से पेन और कापी के उपहार से सम्मानित किया।
चम्बा , 28 अगस्त [ शिवानी ] ! सुन्दर शिक्षा (परमार्थ) न्यास के तत्वावधान में दिनांक 27-8 -2003 को कला सृजन पाठशाला द्वारा होटल इरावती में राजेंद्र यादव जयन्ती के उपलक्ष पर सत्र- 48 के तहत कविता, कहानी तथा लेख का पाठ आयोजित किया।
इस कार्यक्रम में वरिष्ठ कवियों के साथ-साथ नवोदित रचनाकारों ने भी अपनी लेखनी का जादू बिखरा। कार्यक्रम की शुरुआत सरस्वती की वंदना करते हुए दीप प्रज्वलित करके की गई। कला सृजन पाठशाला के अध्यक्ष शरत् शर्मा ने राजेंद्र यादव के व्यक्तित्व और कृतित्व पर प्रकाश डाला।
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इसके बाद चम्बा के भिन्न-भिन्न विद्यालयों से आए विद्यार्थियों तथा महाविद्यालय चम्बा से आए छात्रों ने एक से बढ़कर एक रचना का पाठ किया। इसमें राजकीय माध्यमिक पाठशाला टिकरी राजकीय उत्कृष्ट वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय उदयपुर तथा बाल वरिष्ठ पाठशाला चंबा के छात्र-छात्राओं ने भाग लिया।
इस अवसर पर महाविद्यालय के छात्र यशपाल ने अपनी कहानी के माध्यम से समाज में फैल रही हिंसा तथा नशाखोरी पर व्यंग्य किया। पमेश ने पहाड़ों और नदियों से सीख लेने की बात अपनी कविता में कही। सौरभ ने वीर रस से ओतप्रोत कविता द्वारा सभी को चकित कर दिया। अध्यापिका सुषमा चौहान ने जीवन में आगे बढ़ने के लिए अपने लक्ष्य को हासिल करने के लिए अपनी बात रखी।
भाषा अध्यापक अनूप राही ने पहाड़ों और नदियों के वर्तमान पर सुंदर कविता पढ़ कर सबको आकृष्ट किया। कवि ओमकार वर्मा ने मजदूर कविता द्वारा मजदूरों की स्थिति का सजीव चित्रण किया। भाषा अध्यापिका रेखा गक्खड़ 'रश्मि' ने अपराध बोध कविता द्वारा गलत के खिलाफ आवाज उठाने की प्रेरणा दी।
कला सृजन पाठशाला के महासचिव एवं राजकीय महाविद्यालय चंबा के हिंदी विभाग के विभगाध्यक्ष डॉ. संतोष कुमार ने मैं थक गया हूं कविता द्वारा सभी को मंत्र मुग्ध किया। पारुल जस्टरोटिया ने योग का संदेश देते हुए आसनों के महत्व को बताया।
वरिष्ठ कवि एवं सामाजिक कार्यकर्ता भूपेंद्र जसरोटिया ने विश्वेश्वर भोले,भूतीण पेया, तथा लहंगा दिखि ब्याह नि करणा, चंब्याली कविता द्वारा सभी को ठाहके लगाने के लिए मजबूर कर दिया। कला सृजन पाठशाला के संरक्षक बालकृष्ण पाराशर ने मौन भाषा के ऊपर महत्वपूर्ण जानकारी दी। शरत् शर्मा ने संयम तोड़ते पहाड़ कविता द्वारा हिमाचल में बाढ़ से हुई त्रासदी पर भावनाएं व्यक्त कीं।
इस अवसर पर मंच का संचालन रेखा गक्खड़ 'रश्मि' और डॉक्टर संतोष कुमार ने अपनी त्वरित टिप्पणियों के साथ किया। आयोजन सत्र-48(छठा वर्ष) में हर्षित, इप्शिता, इशांत, कौशिक, तौसीफ, मनीष कुमार, राजकुमार, स्नेहा, साक्षी, कशिश, शिवानी, दीक्षा, शिया, गुंजन, हेतल, अक्षिता, कनिका, गीतिका, आदि ने भी कविता पाठ किया। इस अवसर पर सभी छात्र-छात्राओं को कला सृजन पाठशाला की ओर से पेन और कापी के उपहार से सम्मानित किया।
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