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बददी ! औद्योगिक नगर बीबीएन के तहत रविवार व दशहरे की छुट्टियां का फायदा उठाते हुए उद्योग द्वारा फिर जहरीला काला पानी छोड़ा गया। मानपुरा नदी में इतना काला जहरीला पानी देखने को मिला कि लोग पुल पर खड़े होकर इस दृश्य को देखने लगे। इन उद्योगपतियों के हौसले इतने बुलंद है कि इनको न किसी सरकार का डर न ही किसी विभाग का। समय रहते ऐसे उद्योग पर अगर कार्यवाही नहीं की गई तो लोग शहर व गांव छोड़ने को मजबूर हो जाएंगे। उद्योगों से काले धुंए व अन्य वायु प्रदूषण की खबरे मिलना तो आम बात है लेकिन सरेआम बिना किसी डर के नदी में खुले में ऐसा जहरीला काला पानी छोड़ना कोई दमदार उधोगपति ही ऐसा कर सकता है। नदी नालों में पानी छोड़ना कोई बड़ी बात नहीं है लेकिन नदी में ऐसा मटमैला जहरीला काला पानी छोड़ना भी विभाग की कार्यप्रणाली पर प्रश्नचिन्ह लगाता है। पर्यावरण प्रेमी रामगोपाल, निर्मल सिंह, राजेश कुमार, गुरमीत सिंह ने बताया कि ऐसे उद्योगों के प्रति जब तक कोई ठोस कार्यवाही नहीं होती तब तक इनके हौसले बुलंद रहेंगे। इनका मानना है कि लॉकडाउन के बाद इस कोरोना काल में जितना प्रदूषण उद्योगों द्वारा फैलाया जा रहा है। इतना कभी नहीं हुआ। इन्होंने प्रदेश सरकार व विभाग से मांग की कि ऐसे उद्योगों पर सख्त कार्यवाही अमल में लाई जाए। ताकि अन्य उद्योगों को भी इससे सिख मिले। इन्होंने कहा कि लोगों में बीमारी फैलने के साथ-साथ जानवर भी बुरी तरह प्रभावित हो रहे है। लेकिन उद्योगों का प्रदूषण नहीं बन्द हो रहा। इस बारे में जब बद्दी स्थित विभाग के अधिकारी परवीन गुप्ता से बात की गई तो उन्होंने बताया कि सूचना मिलते ही टीम मौके पर भेज दी गयी है। सेम्पल लेने के बाद उद्योग का पता लगा कर उचित कार्यवाही अमल में लाई जाएगी।
बददी ! औद्योगिक नगर बीबीएन के तहत रविवार व दशहरे की छुट्टियां का फायदा उठाते हुए उद्योग द्वारा फिर जहरीला काला पानी छोड़ा गया। मानपुरा नदी में इतना काला जहरीला पानी देखने को मिला कि लोग पुल पर खड़े होकर इस दृश्य को देखने लगे। इन उद्योगपतियों के हौसले इतने बुलंद है कि इनको न किसी सरकार का डर न ही किसी विभाग का। समय रहते ऐसे उद्योग पर अगर कार्यवाही नहीं की गई तो लोग शहर व गांव छोड़ने को मजबूर हो जाएंगे। उद्योगों से काले धुंए व अन्य वायु प्रदूषण की खबरे मिलना तो आम बात है लेकिन सरेआम बिना किसी डर के नदी में खुले में ऐसा जहरीला काला पानी छोड़ना कोई दमदार उधोगपति ही ऐसा कर सकता है।
नदी नालों में पानी छोड़ना कोई बड़ी बात नहीं है लेकिन नदी में ऐसा मटमैला जहरीला काला पानी छोड़ना भी विभाग की कार्यप्रणाली पर प्रश्नचिन्ह लगाता है। पर्यावरण प्रेमी रामगोपाल, निर्मल सिंह, राजेश कुमार, गुरमीत सिंह ने बताया कि ऐसे उद्योगों के प्रति जब तक कोई ठोस कार्यवाही नहीं होती तब तक इनके हौसले बुलंद रहेंगे। इनका मानना है कि लॉकडाउन के बाद इस कोरोना काल में जितना प्रदूषण उद्योगों द्वारा फैलाया जा रहा है। इतना कभी नहीं हुआ।
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इन्होंने प्रदेश सरकार व विभाग से मांग की कि ऐसे उद्योगों पर सख्त कार्यवाही अमल में लाई जाए। ताकि अन्य उद्योगों को भी इससे सिख मिले। इन्होंने कहा कि लोगों में बीमारी फैलने के साथ-साथ जानवर भी बुरी तरह प्रभावित हो रहे है। लेकिन उद्योगों का प्रदूषण नहीं बन्द हो रहा। इस बारे में जब बद्दी स्थित विभाग के अधिकारी परवीन गुप्ता से बात की गई तो उन्होंने बताया कि सूचना मिलते ही टीम मौके पर भेज दी गयी है। सेम्पल लेने के बाद उद्योग का पता लगा कर उचित कार्यवाही अमल में लाई जाएगी।
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