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सोलन , 13 नवंबर ! निर्माण , सृजन , शिल्प एवं वास्तु के देवता विश्वकर्मा पूजन दिवस के मौके जिला सोलन मे भी विश्वकर्मा अनुयायियों द्वारा पूर्जा अर्चना की गई। जिसमें सोलन के सभी कारीगरों ने भाग लिया । इन कारीगरों ने अपने अस्त्र शस्त्रों की पूजा अर्चना की व उनकी आरती उतारी । दीपावली के अगले दिन तकनीक के देवता विश्वकर्मा की पूजा का विशेष महत्व है। इस दिन कारीगर अस्त्र शस्त्रों की पूजा करते हैं व पूजा के बाद इन अस्त्र-शस्त्रों से काम नहीं करते । कहा जाता है कि विश्वकर्मा ने सोने की नगरी माने जाने वाली लंका का निर्माण किया था विश्व की महान कृतियों को बनाने का श्रेय विश्वकर्मा को ही दिया जाता है। इस अवसर पर भण्डारे का भी आयोजन किया जाता है। इस बारे कारिगर बताते है कि हर वर्ष वह इस दिन विशवकर्मा की पूजा अर्चना विधिवत रूप से करते है व विश्वकर्मा से मन्नत मांगते है कि उनके हाथ का हुनर ऐसे ही बना रहे व कारीगर अपने कार्यो मे परिपूर्ण होकर अच्छा रोजगार स्थापित कर सके। निश्चित तौर पर आज हमारें आस पास उपर नीचे जो भी वस्तुए है वह हाथ के हुनर व तकनीक की ही देन है। कारिगर लोग इस दिन को बडे चाव के साथ मनाते है व विशकर्मा से प्राथना करते है कि उन्हे उनके हाथ के हुनर मे दक्षता प्रदान हो व वह अपने कार्य को भली भांति करते रहे।
सोलन , 13 नवंबर ! निर्माण , सृजन , शिल्प एवं वास्तु के देवता विश्वकर्मा पूजन दिवस के मौके जिला सोलन मे भी विश्वकर्मा अनुयायियों द्वारा पूर्जा अर्चना की गई। जिसमें सोलन के सभी कारीगरों ने भाग लिया । इन कारीगरों ने अपने अस्त्र शस्त्रों की पूजा अर्चना की व उनकी आरती उतारी ।
दीपावली के अगले दिन तकनीक के देवता विश्वकर्मा की पूजा का विशेष महत्व है। इस दिन कारीगर अस्त्र शस्त्रों की पूजा करते हैं व पूजा के बाद इन अस्त्र-शस्त्रों से काम नहीं करते ।
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कहा जाता है कि विश्वकर्मा ने सोने की नगरी माने जाने वाली लंका का निर्माण किया था विश्व की महान कृतियों को बनाने का श्रेय विश्वकर्मा को ही दिया जाता है। इस अवसर पर भण्डारे का भी आयोजन किया जाता है।
इस बारे कारिगर बताते है कि हर वर्ष वह इस दिन विशवकर्मा की पूजा अर्चना विधिवत रूप से करते है व विश्वकर्मा से मन्नत मांगते है कि उनके हाथ का हुनर ऐसे ही बना रहे व कारीगर अपने कार्यो मे परिपूर्ण होकर अच्छा रोजगार स्थापित कर सके।
निश्चित तौर पर आज हमारें आस पास उपर नीचे जो भी वस्तुए है वह हाथ के हुनर व तकनीक की ही देन है। कारिगर लोग इस दिन को बडे चाव के साथ मनाते है व विशकर्मा से प्राथना करते है कि उन्हे उनके हाथ के हुनर मे दक्षता प्रदान हो व वह अपने कार्य को भली भांति करते रहे।
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