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सोलन, 05 नवंबर [ विशाल सूद ] ! भाजपा प्रदेश प्रभारी श्रीकांत शर्मा, अध्यक्ष डॉ राजीव बिंदल, नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर, संगठन महामंत्री सिद्धार्थन ने गुरुद्वारा गुलरवाला बद्दी मेंश्री गुरुनानक देव जी के 556वें प्रकाश पर्व के उत्सव पर शीश नवाजा, इस अवसर पर सभी नेताओं ने प्रदेश वासियों को बधाई एवं शुभकामनायें दी। इस अवसर पर भाजपा नेताओं ने कहा कि सिख धर्म की स्थापना करते हुए प्रथम गुरु नानकदेव ने कहा था सभी स्त्री, पुरुष समान हैं। ईश्वर एक है सभी को उसी की उपासना करनी चाहिए। अंध विश्वास का उन्होंने विरोध कियज्ञं सिख धर्म के संस्थापक नानक देव जी ने धर्म को नयी परिभाषा दी थी और अंधविश्वास का विरोध किया। उन्होंने अपने अनुयाइयों को बताया कि ईश्वर एक है और सदैव उसी की उपासना करनी चाहिए। सर्वशक्तिमान ईश्वर की उपासना करने वाले को किसी का भय नहीं सताता है। उन्होंने अपने अनुयाइयों को शिक्षा दी थी कि सभी स्त्री-पुरुष समान हैं। भोजन शरीर को जिंदा रखने के लिए लेकिन इसके लिए लोभ लालच और संग्रह नहीं करना चाहिए। पहली बार गुरु नानकदेव ने निस्वार्थ सेवा को वास्तविक लाभ बताया और इसी के चलते सिख समारोहों में लंगर का प्रचलन हुआ था जो आज भी जारी है। नानकदेव जी का जन्म वर्तमान के पाकिस्तान में 16 पंजाब में राबी नदी के तट पर तलबड़ी नामक गांव में हुआ था। वहां एक गुरुद्वारा आज भी बना है जहां भारत से सिख दर्शन-पूजन करने जाते हैं। हर साल कार्तिक मास की पूर्णिमा पर गुरु नानक जयंती मनाई जाती है। इस बार 5 नवम्बर को कार्तिक पूर्णिमा मनायी जा रही है। धार्मिक कट्टरता के वातावरण में उदित गुरु नानक ने धर्म को उदारता की एक नई परिभाषा दी। उन्होंने अपने सिद्धान्तों के प्रसार हेतु एक संन्यासी की तरह घर का त्याग कर दिया और लोगों को सत्य और प्रेम का पाठ पढ़ाना आरंभ कर दिया। उन्होंने जगह-जगह घूमकर तत्कालीन अंधविश्वासों, पाखन्डों आदि का जमकर विरोध किया।
सोलन, 05 नवंबर [ विशाल सूद ] ! भाजपा प्रदेश प्रभारी श्रीकांत शर्मा, अध्यक्ष डॉ राजीव बिंदल, नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर, संगठन महामंत्री सिद्धार्थन ने गुरुद्वारा गुलरवाला बद्दी में
श्री गुरुनानक देव जी के 556वें प्रकाश पर्व के उत्सव पर शीश नवाजा, इस अवसर पर सभी नेताओं ने प्रदेश वासियों को बधाई एवं शुभकामनायें दी।
इस अवसर पर भाजपा नेताओं ने कहा कि सिख धर्म की स्थापना करते हुए प्रथम गुरु नानकदेव ने कहा था सभी स्त्री, पुरुष समान हैं। ईश्वर एक है सभी को उसी की उपासना करनी चाहिए। अंध विश्वास का उन्होंने विरोध कियज्ञं सिख धर्म के संस्थापक नानक देव जी ने धर्म को नयी परिभाषा दी थी और अंधविश्वास का विरोध किया।
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उन्होंने अपने अनुयाइयों को बताया कि ईश्वर एक है और सदैव उसी की उपासना करनी चाहिए। सर्वशक्तिमान ईश्वर की उपासना करने वाले को किसी का भय नहीं सताता है। उन्होंने अपने अनुयाइयों को शिक्षा दी थी कि सभी स्त्री-पुरुष समान हैं। भोजन शरीर को जिंदा रखने के लिए लेकिन इसके लिए लोभ लालच और संग्रह नहीं करना चाहिए। पहली बार गुरु नानकदेव ने निस्वार्थ सेवा को वास्तविक लाभ बताया और इसी के चलते सिख समारोहों में लंगर का प्रचलन हुआ था जो आज भी जारी है।
नानकदेव जी का जन्म वर्तमान के पाकिस्तान में 16 पंजाब में राबी नदी के तट पर तलबड़ी नामक गांव में हुआ था। वहां एक गुरुद्वारा आज भी बना है जहां भारत से सिख दर्शन-पूजन करने जाते हैं। हर साल कार्तिक मास की पूर्णिमा पर गुरु नानक जयंती मनाई जाती है। इस बार 5 नवम्बर को कार्तिक पूर्णिमा मनायी जा रही है। धार्मिक कट्टरता के वातावरण में उदित गुरु नानक ने धर्म को उदारता की एक नई परिभाषा दी।
उन्होंने अपने सिद्धान्तों के प्रसार हेतु एक संन्यासी की तरह घर का त्याग कर दिया और लोगों को सत्य और प्रेम का पाठ पढ़ाना आरंभ कर दिया। उन्होंने जगह-जगह घूमकर तत्कालीन अंधविश्वासों, पाखन्डों आदि का जमकर विरोध किया।
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