अपने भक्त को थाने से किया था मुक्त आज भी थाना परिसर में थोड़ी देर के लिए विराजते है देवता अजयपाल कुल्लू के बागन गांव में है देवता का मंदिर
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कुल्लू , 04 अक्टूबर [ विशाल सूद ] ! अंतरराष्ट्रीय दशहरा उत्सव में जहां सैकड़ों देवी देवता ढालपुर मैदान में पधारे हुए हैं।।तो वही यहां पर देवी देवताओं के द्वारा प्राचीन परंपराओं का भी पालन किया जा रहा है। ऐसे में दशकों पुरानी प्राचीन परंपरा का पालन करने के लिए देवता अजय पाल शनिवार को ढालपुर के पुलिस थाना परिसर पहुंचे और वहां पर थोड़ी देर बैठकर उन्होंने पुरानी परंपरा का भी निर्वाह किया। इससे एक दिन पहले देवता खुद पुलिस थाना पहुंचे थे और उन्होंने अपने देव स्थल की सफाई की बात की थाना प्रभारी को कही थी। वही कुल्लू पुलिस के द्वारा भी देवता के स्वागत में पूरे परिसर की सफाई करवाई गई थी। ऐसे में शनिवार को देवता अपने देवलुओं के साथ थाना परिसर पहुंचे और वहां थोड़ी देर विश्राम करने के बाद भगवान रघुनाथ से मिलन करने के लिए रवाना हो गए। वहीं कुल्लू थाना की ओर देवता के रथ को जाता हुआ देखकर स्थानीय लोगों में भी कौतूहल मच गया। लेकिन जब देव समाज से जुड़े लोगों से बात की गई तो सभी लोगों का संशय भी समाप्त हो गया। देवता के पुजारी नूप राम ने बताया कि देवता अजय पाल कांगड़ा जिला के बीड़ भंगाल से अपनी पत्नी के साथ कुल्लू आए थे। ऐसे उन्होंने एक दिन पहले कुल्लू में गुजारा। लेकिन उन्हें यह स्थान उचित नहीं लगा। उसके बाद देवता अपनी पत्नी के साथ पीज पहुंचे और पीज से वह बागन गांव में बैठे। उस दौरान पूरे इलाके में सूखा पड़ा हुआ था और लोग भी काफी परेशान थे। देवता के वहां आने के बाद खूब बारिश हुई और लोगों की फसल भी काफी अच्छी हुई। उसके बाद देवता का यहां पर मंदिर बनाया गया। पुजारी नूप राम ने बताया कि* देवता का एक कटियाला खांपू नाम का व्यक्ति हुआ करता था। जो देवता के भंडार के लिए ग्रामीण इलाकों से अनाज को एकत्र करता था। खांपू के द्वारा उस दौरान किसी व्यक्ति की जमानत दी गई थी। लेकिन वह व्यक्ति पुलिस के पास पेश नहीं हुआ। ऐसे में पुलिस के द्वारा खांपू को गिरफ्तार किया गया। जब पुलिस उसे गिरफ्तार कर ला रही थी। तो उसके हाथ में बंधी हुई एक हथकड़ी पहले टूट गई। जब वह कुल्लू पुलिस थाना पहुंचा तो उस दौरान उसकी दूसरी बेड़ी भी टूट गई। तभी साथ चल रहे पुलिस वाले ने उससे पूछा कि खांपू तेरे पीछे कौन चल रहा है। लेकिन खांपू को पीछे कुछ भी दिखाई नहीं दिया। खांपू ने इस बात से इनकार किया कि उसके पीछे कोई नहीं चल रहा है। जबकि साथ चल रहे पुलिस वालों को उसके पीछे एक व्यक्ति लगातार चलता हुआ दिखाई दिया दे रहा था। जो कि स्वयं देवता अजय पाल थे। ऐसे में जब दूसरी बेड़ी भी अपने आप टूट गई। तो पुलिस वालों ने भी इसे चमत्कार माना और खांपू को छोड़ दिया। वही जब खांपू वापस लौट रहा था तो उसे वही व्यक्ति मिला। जिसकी उसने जमानत ली थी और उसके चक्कर में उसे पुलिस वाले पकड़ कर ले गए थे। ऐसे में खांपू ने उस व्यक्ति को पुलिस के हवाले किया और पुलिस वालों ने भी इस देवता का चमत्कार माना। देवता अपने भक्त खांपू के लिए उस दौरान कुल्लू थाना पहुंचे थे और वहां पर उन्होंने थोड़ी देर विश्राम किया था। उसी परंपरा का आज भी पालन किया जा रहा है। हर साल देवता कुल्लू थाना परिसर में थोड़ी देर विश्राम के लिए अवश्य पहुंचता है।
कुल्लू , 04 अक्टूबर [ विशाल सूद ] ! अंतरराष्ट्रीय दशहरा उत्सव में जहां सैकड़ों देवी देवता ढालपुर मैदान में पधारे हुए हैं।।तो वही यहां पर देवी देवताओं के द्वारा प्राचीन परंपराओं का भी पालन किया जा रहा है। ऐसे में दशकों पुरानी प्राचीन परंपरा का पालन करने के लिए देवता अजय पाल शनिवार को ढालपुर के पुलिस थाना परिसर पहुंचे और वहां पर थोड़ी देर बैठकर उन्होंने पुरानी परंपरा का भी निर्वाह किया। इससे एक दिन पहले देवता खुद पुलिस थाना पहुंचे थे और उन्होंने अपने देव स्थल की सफाई की बात की थाना प्रभारी को कही थी। वही कुल्लू पुलिस के द्वारा भी देवता के स्वागत में पूरे परिसर की सफाई करवाई गई थी।
ऐसे में शनिवार को देवता अपने देवलुओं के साथ थाना परिसर पहुंचे और वहां थोड़ी देर विश्राम करने के बाद भगवान रघुनाथ से मिलन करने के लिए रवाना हो गए। वहीं कुल्लू थाना की ओर देवता के रथ को जाता हुआ देखकर स्थानीय लोगों में भी कौतूहल मच गया। लेकिन जब देव समाज से जुड़े लोगों से बात की गई तो सभी लोगों का संशय भी समाप्त हो गया। देवता के पुजारी नूप राम ने बताया कि देवता अजय पाल कांगड़ा जिला के बीड़ भंगाल से अपनी पत्नी के साथ कुल्लू आए थे।
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ऐसे उन्होंने एक दिन पहले कुल्लू में गुजारा। लेकिन उन्हें यह स्थान उचित नहीं लगा। उसके बाद देवता अपनी पत्नी के साथ पीज पहुंचे और पीज से वह बागन गांव में बैठे। उस दौरान पूरे इलाके में सूखा पड़ा हुआ था और लोग भी काफी परेशान थे। देवता के वहां आने के बाद खूब बारिश हुई और लोगों की फसल भी काफी अच्छी हुई। उसके बाद देवता का यहां पर मंदिर बनाया गया।
पुजारी नूप राम ने बताया कि* देवता का एक कटियाला खांपू नाम का व्यक्ति हुआ करता था। जो देवता के भंडार के लिए ग्रामीण इलाकों से अनाज को एकत्र करता था। खांपू के द्वारा उस दौरान किसी व्यक्ति की जमानत दी गई थी। लेकिन वह व्यक्ति पुलिस के पास पेश नहीं हुआ। ऐसे में पुलिस के द्वारा खांपू को गिरफ्तार किया गया। जब पुलिस उसे गिरफ्तार कर ला रही थी। तो उसके हाथ में बंधी हुई एक हथकड़ी पहले टूट गई। जब वह कुल्लू पुलिस थाना पहुंचा तो उस दौरान उसकी दूसरी बेड़ी भी टूट गई। तभी साथ चल रहे पुलिस वाले ने उससे पूछा कि खांपू तेरे पीछे कौन चल रहा है।
लेकिन खांपू को पीछे कुछ भी दिखाई नहीं दिया। खांपू ने इस बात से इनकार किया कि उसके पीछे कोई नहीं चल रहा है। जबकि साथ चल रहे पुलिस वालों को उसके पीछे एक व्यक्ति लगातार चलता हुआ दिखाई दिया दे रहा था। जो कि स्वयं देवता अजय पाल थे। ऐसे में जब दूसरी बेड़ी भी अपने आप टूट गई। तो पुलिस वालों ने भी इसे चमत्कार माना और खांपू को छोड़ दिया। वही जब खांपू वापस लौट रहा था तो उसे वही व्यक्ति मिला। जिसकी उसने जमानत ली थी और उसके चक्कर में उसे पुलिस वाले पकड़ कर ले गए थे।
ऐसे में खांपू ने उस व्यक्ति को पुलिस के हवाले किया और पुलिस वालों ने भी इस देवता का चमत्कार माना। देवता अपने भक्त खांपू के लिए उस दौरान कुल्लू थाना पहुंचे थे और वहां पर उन्होंने थोड़ी देर विश्राम किया था। उसी परंपरा का आज भी पालन किया जा रहा है। हर साल देवता कुल्लू थाना परिसर में थोड़ी देर विश्राम के लिए अवश्य पहुंचता है।
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