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शिमला , 25 मई [ विशाल सूद ] ! बाल समागम की अध्यक्षता करते हुए परम आदरणीय बहन उषा कालिया जी ,ज्ञान प्रचारक सोलन ने अपने प्रवचनों में कहा कि दिखने में तो बच्चे ही थे पर जो संदेश इन्होने दिया वह बहुत बड़ा था। बच्चों ने कई प्रकार की कलाओं का सहारा लेते हुए सतगुरू माता सुदीक्षा जी महाराज की शिक्षाओं के माध्यम से यह बताने का प्रयास किया कि मर्यादा व अनुशासन में रहकर ही जीवन व्यतित करना चाहिए तथा यह कि मानुष जन्म बहुत ही अनमोल है जिसे हमें व्यर्थ नहीं गंवाना चाहिए बल्कि सत्संग-सेवा-सिमरन में लगाना चाहिए। उन्होने बच्चों द्वारा पेश की गई हर प्रस्तुति की सराहना की और कहा कि बच्चों के मन निर्मल होते हैं यदि बचपन से ही इनमें जात-पात, भाषा, रहन-सहन आदि के आधार पर किसी से वैर-नफरत का भाव पैदा न होने दिया जाए तो बड़े होकर ये बच्चे समाज व देश के लिए वरदान साबित हो सकते हैं और फिर देश में अनेकता होते हुए भी एकता स्थापित करना सम्भव हो सकेगा। इन नन्हे मुन्ने बच्चों से यह आशा की जाती है कि वे सोशल मीडिया की ओर कम ध्यान दें तथा अपनी पड़ाई के विषयों एवं खेल कूद पर विशेष ध्यान देंगे। अपने माता पिता एवं अध्यापकों का सत्कार करें तथा उनकी आज्ञा का पालन करें। आज के बच्चे देश का भविष्य हैं अतः परम पिता परमात्मा से अरदास है कि इन बच्चों को मानवीय गुणों व विवेक से सुशोभित करें ताकि ये अपने सतगुरु ,माता पिता एवं देश का नाम रोशन करते हुए सफल जीवन व्यतीत कर सकें। अंत में हेमराज भारद्वाज जी ,संयोजक ने आए हुए सभी संतों का धन्यवाद किया और सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज से सर्वत्र के भले की शुभमंगल कामना की।
शिमला , 25 मई [ विशाल सूद ] ! बाल समागम की अध्यक्षता करते हुए परम आदरणीय बहन उषा कालिया जी ,ज्ञान प्रचारक सोलन ने अपने प्रवचनों में कहा कि दिखने में तो बच्चे ही थे पर जो संदेश इन्होने दिया वह बहुत बड़ा था। बच्चों ने कई प्रकार की कलाओं का सहारा लेते हुए सतगुरू माता सुदीक्षा जी महाराज की शिक्षाओं के माध्यम से यह बताने का प्रयास किया कि मर्यादा व अनुशासन में रहकर ही जीवन व्यतित करना चाहिए तथा यह कि मानुष जन्म बहुत ही अनमोल है जिसे हमें व्यर्थ नहीं गंवाना चाहिए बल्कि सत्संग-सेवा-सिमरन में लगाना चाहिए।
उन्होने बच्चों द्वारा पेश की गई हर प्रस्तुति की सराहना की और कहा कि बच्चों के मन निर्मल होते हैं यदि बचपन से ही इनमें जात-पात, भाषा, रहन-सहन आदि के आधार पर किसी से वैर-नफरत का भाव पैदा न होने दिया जाए तो बड़े होकर ये बच्चे समाज व देश के लिए वरदान साबित हो सकते हैं और फिर देश में अनेकता होते हुए भी एकता स्थापित करना सम्भव हो सकेगा।
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इन नन्हे मुन्ने बच्चों से यह आशा की जाती है कि वे सोशल मीडिया की ओर कम ध्यान दें तथा अपनी पड़ाई के विषयों एवं खेल कूद पर विशेष ध्यान देंगे। अपने माता पिता एवं अध्यापकों का सत्कार करें तथा उनकी आज्ञा का पालन करें। आज के बच्चे देश का भविष्य हैं अतः परम पिता परमात्मा से अरदास है कि इन बच्चों को मानवीय गुणों व विवेक से सुशोभित करें ताकि ये अपने सतगुरु ,माता पिता एवं देश का नाम रोशन करते हुए सफल जीवन व्यतीत कर सकें।
अंत में हेमराज भारद्वाज जी ,संयोजक ने आए हुए सभी संतों का धन्यवाद किया और सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज से सर्वत्र के भले की शुभमंगल कामना की।
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