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शिमला , 15 ऑक्टूबर [ विशाल सूद ] ! लोक निर्माण मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने आज यहां जानकारी दी कि आवास एवं शहरी कार्य मंत्रालय ने हिमाचल प्रदेश में म्युनिसिपल शेयर्ड सर्विस सेंटर्स की स्थापना के लिए 47.37 करोड़ रुपये की अनुदान राशि स्वीकृत की है। यह स्वीकृति राज्य सरकार की पहल और निरंतर प्रयासों से संभव हुई है, जिससे सीमित जनशक्ति, वित्तीय संसाधनों की कमी और तकनीकी सहयोग की चुनौतियों का समाधान हो सकेगा। उन्होंने बताया कि राज्य सरकार का उद्देश्य शहरी शासन को सुदृढ़ बनाना, डिजिटल सेवा वितरण को बढ़ावा देना और कुशल नगरपालिका प्रशासन सुनिश्चित करना है। इसी कड़ी में 15 केंद्रों की स्थापना 74 शहरी स्थानीय निकायों में की जा रही है, जो 15वें वित्त आयोग की अनुशंसाओं के अंतर्गत स्थापित किए जा रहे हैं। ये केंद्र नागरिकों को जन्म एवं मृत्यु प्रमाण पत्र, व्यापार लाइसेंस, पालतू जानवरों के पंजीकरण, संपत्ति कर का भुगतान, कचरा बिल संग्रहण और शिकायत निवारण जैसी सेवाओं तक आसान, एकरूप और पारदर्शी पहुंच प्रदान करेंगे। ये केंद्र पासपोर्ट सेवा केंद्रों की तर्ज पर कार्य करेंगे। उन्होंने कहा कि ये केंद्र शहरी निकायों के सदस्यों के लिए लेखा, वेतन प्रबंधन और विक्रेता भुगतान जैसी गतिविधियों के केंद्रीकृत केंद्र के रूप में भी काम करेंगे। साथ ही, छोटे कस्बों में टैक्स और बिल संग्रहण जैसी सेवाएं भी घर-घर प्रदान करेंगे। मंत्री ने बताया कि केंद्र सरकार दो किस्तों में धनराशि जारी करेगी। स्वीकृति के समय 50 प्रतिशत राशि जारी की जाएगी और शेष राशि परिचालन शुरू होने पर दी जाएगी। पहली किस्त के रूप में 23.68 करोड़ रुपये पहले ही जारी किए जा चुके हैं, जो इन केंद्रों की संस्थागत और परिचालन क्षमता को सुदृढ़ बनाने की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम है। विक्रमादित्य सिंह ने कहा कि समावेशी कार्यान्वयन और प्रभावी पहुंच सुनिश्चित करने के लिए स्वयं सहायता समूहों और गैर-सरकारी संगठनों को वार्ड स्तर पर नगरपालिका सेवाओं के वितरण में सक्रिय भूमिका निभाने का अवसर दिया जाएगा, जिससे नागरिक जागरूकता और भागीदारी को बढ़ावा मिलेगा। लोक निर्माण मंत्री ने कहा कि यह पहल राज्य सरकार की शहरी स्थानीय निकायों को सशक्त बनाने और ‘स्वच्छ शहर, समृद्ध शहर’ के दृष्टिकोण के अनुरूप सहभागी, कुशल और सतत शहरी शासन को बढ़ावा देने की प्रतिबद्धता को दर्शाती है।
शिमला , 15 ऑक्टूबर [ विशाल सूद ] ! लोक निर्माण मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने आज यहां जानकारी दी कि आवास एवं शहरी कार्य मंत्रालय ने हिमाचल प्रदेश में म्युनिसिपल शेयर्ड सर्विस सेंटर्स की स्थापना के लिए 47.37 करोड़ रुपये की अनुदान राशि स्वीकृत की है। यह स्वीकृति राज्य सरकार की पहल और निरंतर प्रयासों से संभव हुई है, जिससे सीमित जनशक्ति, वित्तीय संसाधनों की कमी और तकनीकी सहयोग की चुनौतियों का समाधान हो सकेगा।
उन्होंने बताया कि राज्य सरकार का उद्देश्य शहरी शासन को सुदृढ़ बनाना, डिजिटल सेवा वितरण को बढ़ावा देना और कुशल नगरपालिका प्रशासन सुनिश्चित करना है। इसी कड़ी में 15 केंद्रों की स्थापना 74 शहरी स्थानीय निकायों में की जा रही है, जो 15वें वित्त आयोग की अनुशंसाओं के अंतर्गत स्थापित किए जा रहे हैं। ये केंद्र नागरिकों को जन्म एवं मृत्यु प्रमाण पत्र, व्यापार लाइसेंस, पालतू जानवरों के पंजीकरण, संपत्ति कर का भुगतान, कचरा बिल संग्रहण और शिकायत निवारण जैसी सेवाओं तक आसान, एकरूप और पारदर्शी पहुंच प्रदान करेंगे। ये केंद्र पासपोर्ट सेवा केंद्रों की तर्ज पर कार्य करेंगे।
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उन्होंने कहा कि ये केंद्र शहरी निकायों के सदस्यों के लिए लेखा, वेतन प्रबंधन और विक्रेता भुगतान जैसी गतिविधियों के केंद्रीकृत केंद्र के रूप में भी काम करेंगे। साथ ही, छोटे कस्बों में टैक्स और बिल संग्रहण जैसी सेवाएं भी घर-घर प्रदान करेंगे।
मंत्री ने बताया कि केंद्र सरकार दो किस्तों में धनराशि जारी करेगी। स्वीकृति के समय 50 प्रतिशत राशि जारी की जाएगी और शेष राशि परिचालन शुरू होने पर दी जाएगी। पहली किस्त के रूप में 23.68 करोड़ रुपये पहले ही जारी किए जा चुके हैं, जो इन केंद्रों की संस्थागत और परिचालन क्षमता को सुदृढ़ बनाने की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम है।
विक्रमादित्य सिंह ने कहा कि समावेशी कार्यान्वयन और प्रभावी पहुंच सुनिश्चित करने के लिए स्वयं सहायता समूहों और गैर-सरकारी संगठनों को वार्ड स्तर पर नगरपालिका सेवाओं के वितरण में सक्रिय भूमिका निभाने का अवसर दिया जाएगा, जिससे नागरिक जागरूकता और भागीदारी को बढ़ावा मिलेगा।
लोक निर्माण मंत्री ने कहा कि यह पहल राज्य सरकार की शहरी स्थानीय निकायों को सशक्त बनाने और ‘स्वच्छ शहर, समृद्ध शहर’ के दृष्टिकोण के अनुरूप सहभागी, कुशल और सतत शहरी शासन को बढ़ावा देने की प्रतिबद्धता को दर्शाती है।
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