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शिमला , 21 जून [ विशाल सूद ] ! मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने ऊर्जा विभाग को उन जल विद्युत डेवलपर्स को परियोजना रद्द करने के नोटिस जारी करने के निर्देश दिए हैं जो गम्भीरता से कार्य नहीं कर रहे हैं, जिनकी परियोजनाएं कई वर्षों से रुकी हुई हैं। आज यहां ऊर्जा विभाग की उच्च स्तरीय बैठक की अध्यक्षता करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि परियोजना निष्पादन में अनावश्यक देरी से प्रदेश के राजस्व को काफी नुकसान हो रहा है। उन्होंने कहा कि जल विद्युत राज्य की अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार है और राज्य सरकार यह सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है कि इसका लाभ राज्य के लोगों को मिले। ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने कहा कि वर्तमान राज्य सरकार विभिन्न प्लेटफार्म और मंचों पर राज्य के लोगों के हितों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है। एक बड़े फैसले में राज्य सरकार ने एसजेवीएनएल को पहले आवंटित 382 मेगावाट क्षमता के सुन्नी, 210 मेगावाट लुहरी स्टेज-1 और 66 मेगावाट क्षमता की धौलासिद्ध परियोजनाओं को वापस लेने का निर्णय लिया है। उन्होंने कहा कि जब तक पड़ोसी राज्य भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड के लंबित बकाए का निपटान करने के लिए ठोस आश्वासन नहीं देते, तब तक राज्य सरकार किशाऊ और रेणुका बांध जैसी आगामी परियोजनाओं पर आगे नहीं बढ़ेगी। बैठक में मुख्यमंत्री को अवगत करवाया गया कि बीबीएमबी ने पंप भंडारण परियोजनाएं स्थापित करने के लिए भाखड़ा बांध पर 4403 मेगावाट क्षमता और कोल बांध पर 8700 मेगावाट क्षमता की पहचान की है। उन्होंने विभाग को इस दिशा में आगे बढ़ने के निर्देश दिए ताकि राज्य के लोग इन परियोजनाओं से अधिक से अधिक लाभ उठा सकें। मुख्यमंत्री ने एचपीएसईबीएल को अगस्त, 2025 तक काजा सौर ऊर्जा परियोजना को कार्यशील करने और चंबा जिला की दूरदराज पांगी घाटी के धनवास में बैटरी बैकअप के साथ एक मेगावाट सौर ऊर्जा परियोजना में तेजी लाने के निर्देश दिए। इस परियोजना के दिसंबर, 2025 तक पूरा होने की उम्मीद है और इससे भारी बर्फबारी के दौरान भी पांगी घाटी की 19 ग्राम पंचायतों को निर्बाध विद्युत आपूर्ति सुनिश्चित होगी। मुख्यमंत्री ने ‘ग्रीन पंचायत योजना’ की प्रगति की भी समीक्षा की तथा परियोजना के कार्य में तेजी लाने के निर्देश दिए। उन्होंने निर्माणाधीन 450 मेगावाट क्षमता की शोंग टोंग जल विद्युत परियोजना की समीक्षा भी की तथा ऊर्जा निगम को इस परियोजना को निर्धारित समयावधि में पूरा करने को कहा। बैठक में यह निर्णय लिया गया कि हिमाचल प्रदेश राज्य विद्युत बोर्ड (एचपीएसईबीएल) द्वारा 66 केवी क्षमता के पांच सब स्टेशन स्थापित किए जाएंगे, जबकि हिमाचल प्रदेश पावर ट्रांसमिशन कॉरपोरेशन लिमिटेड द्वारा 132 केवी और 220 केवी क्षमता के कुल दस सब स्टेशन, हिमाचल प्रदेश राज्य विद्युत विनियामक आयोग के दिशा-निर्देशों के अनुसार स्थापित किए जाएंगे। मुख्यमंत्री के प्रधान सलाहकार राम सुभग सिंह, अधोसंरचना सलाहकार अनिल कपिल, मुख्यमंत्री के ओएसडी गोपाल शर्मा, एचपीएसईबीएल के अध्यक्ष संजय गुप्ता, निदेशक ऊर्जा राकेश प्रजापति, हिमाचल प्रदेश पावर कॉरपोरेशन के प्रबंध निदेशक आबिद हुसैन सादिक, हिमाचल प्रदेश पावर ट्रांसमिशन कॉरपोरेशन के प्रबंध निदेशक राजीव सूद तथा अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी बैठक में उपस्थित थे।
शिमला , 21 जून [ विशाल सूद ] ! मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने ऊर्जा विभाग को उन जल विद्युत डेवलपर्स को परियोजना रद्द करने के नोटिस जारी करने के निर्देश दिए हैं जो गम्भीरता से कार्य नहीं कर रहे हैं, जिनकी परियोजनाएं कई वर्षों से रुकी हुई हैं।
आज यहां ऊर्जा विभाग की उच्च स्तरीय बैठक की अध्यक्षता करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि परियोजना निष्पादन में अनावश्यक देरी से प्रदेश के राजस्व को काफी नुकसान हो रहा है। उन्होंने कहा कि जल विद्युत राज्य की अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार है और राज्य सरकार यह सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है कि इसका लाभ राज्य के लोगों को मिले।
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ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने कहा कि वर्तमान राज्य सरकार विभिन्न प्लेटफार्म और मंचों पर राज्य के लोगों के हितों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है। एक बड़े फैसले में राज्य सरकार ने एसजेवीएनएल को पहले आवंटित 382 मेगावाट क्षमता के सुन्नी, 210 मेगावाट लुहरी स्टेज-1 और 66 मेगावाट क्षमता की धौलासिद्ध परियोजनाओं को वापस लेने का निर्णय लिया है।
उन्होंने कहा कि जब तक पड़ोसी राज्य भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड के लंबित बकाए का निपटान करने के लिए ठोस आश्वासन नहीं देते, तब तक राज्य सरकार किशाऊ और रेणुका बांध जैसी आगामी परियोजनाओं पर आगे नहीं बढ़ेगी।
बैठक में मुख्यमंत्री को अवगत करवाया गया कि बीबीएमबी ने पंप भंडारण परियोजनाएं स्थापित करने के लिए भाखड़ा बांध पर 4403 मेगावाट क्षमता और कोल बांध पर 8700 मेगावाट क्षमता की पहचान की है। उन्होंने विभाग को इस दिशा में आगे बढ़ने के निर्देश दिए ताकि राज्य के लोग इन परियोजनाओं से अधिक से अधिक लाभ उठा सकें।
मुख्यमंत्री ने एचपीएसईबीएल को अगस्त, 2025 तक काजा सौर ऊर्जा परियोजना को कार्यशील करने और चंबा जिला की दूरदराज पांगी घाटी के धनवास में बैटरी बैकअप के साथ एक मेगावाट सौर ऊर्जा परियोजना में तेजी लाने के निर्देश दिए। इस परियोजना के दिसंबर, 2025 तक पूरा होने की उम्मीद है और इससे भारी बर्फबारी के दौरान भी पांगी घाटी की 19 ग्राम पंचायतों को निर्बाध विद्युत आपूर्ति सुनिश्चित होगी।
मुख्यमंत्री ने ‘ग्रीन पंचायत योजना’ की प्रगति की भी समीक्षा की तथा परियोजना के कार्य में तेजी लाने के निर्देश दिए। उन्होंने निर्माणाधीन 450 मेगावाट क्षमता की शोंग टोंग जल विद्युत परियोजना की समीक्षा भी की तथा ऊर्जा निगम को इस परियोजना को निर्धारित समयावधि में पूरा करने को कहा।
बैठक में यह निर्णय लिया गया कि हिमाचल प्रदेश राज्य विद्युत बोर्ड (एचपीएसईबीएल) द्वारा 66 केवी क्षमता के पांच सब स्टेशन स्थापित किए जाएंगे, जबकि हिमाचल प्रदेश पावर ट्रांसमिशन कॉरपोरेशन लिमिटेड द्वारा 132 केवी और 220 केवी क्षमता के कुल दस सब स्टेशन, हिमाचल प्रदेश राज्य विद्युत विनियामक आयोग के दिशा-निर्देशों के अनुसार स्थापित किए जाएंगे।
मुख्यमंत्री के प्रधान सलाहकार राम सुभग सिंह, अधोसंरचना सलाहकार अनिल कपिल, मुख्यमंत्री के ओएसडी गोपाल शर्मा, एचपीएसईबीएल के अध्यक्ष संजय गुप्ता, निदेशक ऊर्जा राकेश प्रजापति, हिमाचल प्रदेश पावर कॉरपोरेशन के प्रबंध निदेशक आबिद हुसैन सादिक, हिमाचल प्रदेश पावर ट्रांसमिशन कॉरपोरेशन के प्रबंध निदेशक राजीव सूद तथा अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी बैठक में उपस्थित थे।
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