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शिमला,2 दिसम्बर [ विशाल सूद ] ! सुन्नी क्षेत्र में सतलुज नदी में बढ़ते जलस्तर और सिल्ट के मामले को लेकर उपायुक्त अनुपम कश्यप ने आज सुन्नी में विशेष बैठक की। इस बैठक में उपायुक्त ने बताया कि सुन्नी क्षेत्र ने कोलडैम प्रबंधन की ओर से सिल्ट के ऊपर सोनार सर्वेक्षण करवाया जा रहा है। 15 दिसंबर 2025 से यह सर्वेक्षण कार्य शुरू हो जाएगा। इसके साथ ही अगले 15 से 20 दिनों में सर्वेक्षण कार्य पूरा होगा। फिर हमें प्रबंधन रिपोर्ट सौंपेगा जिसके आधार पर सुन्नी क्षेत्र में भविष्य के लिए रणनीति बनाई जाएगी। लोगों के घरों और जमीनों को बढ़ते जलस्तर से खतरा बना हुआ है। बढ़ते जल स्तर से इस वर्ष आईटीआई परिसर, विश्राम गृह सुन्नी, गोसदन एवं कुछ रिहायशी क्षेत्रों में जलभराव एवं गाद चारों ओर फैली हुई गई थी। उपायुक्त ने इन सभी स्थानों का दौरा किया। उपायुक्त ने बताया कि हमारी प्राथमिकता लोगों की जान माल की सुरक्षा करना है। किसी भी व्यक्ति की संपत्ति और जान को नुकसान नहीं होना चाहिए। थली पुल के मरम्मत के लिए 10 करोड़ रुपए स्वीकृत हो चुके है और इस महीने इसका कार्य शुरू होगा। आगामी मानसून से पहले सारा मरम्मत कार्य पूरा कर लिया जाएगा। इस मरम्मत कार्य के दौरान मौजूदा पुल से तीन मीटर ऊंचाई पर पुल बनाया जाएगा जोकि सस्पेंशन तकनीक पर बनेगा। इस पुल के क्षतिग्रस्त होने से मंडी-शिमला का संपर्क टूट गया है। लोगों को काफी नुकसान हो रहा है। उन्होंने कहा कि इस पूरे मामले पर सरकार को रिपोर्ट प्रेषित की जाएगी।इस दौरान एडीएम प्रोटोकॉल ज्योति राणा, एसडीएम राजेश वर्मा, एनटीपीसी के अधिकारी और अन्य हितधारक मौजूद रहे। सोनार सर्वेक्षण महत्वपूर्ण तकनीकसोनार सर्वे एक तकनीक है जो ध्वनि तरंगों (ध्वनि नेविगेशन और रेंजिंग) का उपयोग करके पानी के नीचे वस्तुओं का पता लगाने, उनका मानचित्रण करने और सर्वेक्षण करने के लिए की जाती है। यह पानी के नीचे की संरचनाओं, जैसे कि पुल या समुद्री तल का विस्तृत निरीक्षण करने के लिए आवश्यक है खासकर कम दृश्यता वाली परिस्थितियों में जहाँ कैमरे या जीपीएस प्रभावी नहीं होते हैं। यह तकनीक सोनार उपकरण से ध्वनि तरंगें भेजकर और फिर वस्तुओं से परावर्तित होकर वापस आने वाली तरंगों का समय माप कर काम करती है। आईआईटी रुड़की ने दी है सिल्ट पर रिपोर्टआईआईटी रुड़की की टीम ने सतलुज नदी की गाद पर अध्ययन किया है। वर्ष 2014 से 2024 तक यह अध्ययन किया गया है। रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2014 से 2021 तक सिल्ट में कोई बदलाव नहीं आया। वर्ष 2021 के बाद सिल्ट में तेजी से बदलाव आया है। जोन एक तत्तापानी में वर्ष 2022 में सिल्ट 7 हेक्टेयर और 2023 में 27 हेक्टेयर दर्ज हुई। जोन दो सुन्नी में वर्ष 2022 में 0.5 हेक्टेयर और 2023 में 10 हेक्टेयर रिकॉर्ड की गई। जोन तीन चाबा में वर्ष 2022 में 1.7 हेक्टेयर से वर्ष 2023 में 8 हेक्टेयर सिल्ट दर्ज की गई है। रिपोर्ट के मुताबिक सुन्नी क्षेत्र में एकत्रित सिल्ट भवन निर्माण के लिए उपयुक्त बताई गई है। सही तरीके से सिल्ट की माइनिंग करने का सुझाव भी दिया गया है ताकि पानी के जलस्तर को कम किया जा सके। एनटीपीसी माइनिंग के लिए एनओसी राज्य सरकार को देने के लिए तैयार है। इस साल हुआ है करोड़ों का नुकसानलोक निर्माण विभाग ने कोल डैम बनने से सतलुज नदी के तल में आए बदलाव पर रिपोर्ट दी है। 30 मार्च 2015 में कोल डैम का निर्माण हुआ था। वर्ष 2018-19 में डैम के कारण नदी में जलस्तर बढ़ने से पहली बार चाबा हाइड्रो पावर को नुकसान पहुंचा था। इसका मरम्मत कार्य 2019 में पूरा कर लिया था। 2023 में फिर से चाबा ब्रिज पूरी तरह टूट गया। 15 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ। इस साल 21 जुलाई को थली ब्रिज को 05 लाख रुपये का नुकसान हुआ। 13 अगस्त को ब्रिज के रेजिंग डेक को नुकसान हुआ। इसकी मरम्मत के लिए करीब 10 करोड़ रुपये खर्च आएगा। रिपोर्ट में सतलुज में गाद में बढ़ोतरी होना, तटों का कटाव बढ़ना, सड़क का बह जाना और जमीनों का जलमग्न होना पाया गया है। रिपोर्ट के अनुसार जलस्तर में और बढ़ोतरी से अब तत्तापानी, सुन्नी और तत्तापानी कस्बों में पीएससी कैंटिलीवर ब्रिज जलमग्न हो सकता है।
शिमला,2 दिसम्बर [ विशाल सूद ] ! सुन्नी क्षेत्र में सतलुज नदी में बढ़ते जलस्तर और सिल्ट के मामले को लेकर उपायुक्त अनुपम कश्यप ने आज सुन्नी में विशेष बैठक की। इस बैठक में उपायुक्त ने बताया कि सुन्नी क्षेत्र ने कोलडैम प्रबंधन की ओर से सिल्ट के ऊपर सोनार सर्वेक्षण करवाया जा रहा है। 15 दिसंबर 2025 से यह सर्वेक्षण कार्य शुरू हो जाएगा। इसके साथ ही अगले 15 से 20 दिनों में सर्वेक्षण कार्य पूरा होगा। फिर हमें प्रबंधन रिपोर्ट सौंपेगा जिसके आधार पर सुन्नी क्षेत्र में भविष्य के लिए रणनीति बनाई जाएगी। लोगों के घरों और जमीनों को बढ़ते जलस्तर से खतरा बना हुआ है। बढ़ते जल स्तर से इस वर्ष आईटीआई परिसर, विश्राम गृह सुन्नी, गोसदन एवं कुछ रिहायशी क्षेत्रों में जलभराव एवं गाद चारों ओर फैली हुई गई थी। उपायुक्त ने इन सभी स्थानों का दौरा किया।
उपायुक्त ने बताया कि हमारी प्राथमिकता लोगों की जान माल की सुरक्षा करना है। किसी भी व्यक्ति की संपत्ति और जान को नुकसान नहीं होना चाहिए। थली पुल के मरम्मत के लिए 10 करोड़ रुपए स्वीकृत हो चुके है और इस महीने इसका कार्य शुरू होगा। आगामी मानसून से पहले सारा मरम्मत कार्य पूरा कर लिया जाएगा। इस मरम्मत कार्य के दौरान मौजूदा पुल से तीन मीटर ऊंचाई पर पुल बनाया जाएगा जोकि सस्पेंशन तकनीक पर बनेगा। इस पुल के क्षतिग्रस्त होने से मंडी-शिमला का संपर्क टूट गया है। लोगों को काफी नुकसान हो रहा है। उन्होंने कहा कि इस पूरे मामले पर सरकार को रिपोर्ट प्रेषित की जाएगी।इस दौरान एडीएम प्रोटोकॉल ज्योति राणा, एसडीएम राजेश वर्मा, एनटीपीसी के अधिकारी और अन्य हितधारक मौजूद रहे।
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सोनार सर्वेक्षण महत्वपूर्ण तकनीक
सोनार सर्वे एक तकनीक है जो ध्वनि तरंगों (ध्वनि नेविगेशन और रेंजिंग) का उपयोग करके पानी के नीचे वस्तुओं का पता लगाने, उनका मानचित्रण करने और सर्वेक्षण करने के लिए की जाती है। यह पानी के नीचे की संरचनाओं, जैसे कि पुल या समुद्री तल का विस्तृत निरीक्षण करने के लिए आवश्यक है खासकर कम दृश्यता वाली परिस्थितियों में जहाँ कैमरे या जीपीएस प्रभावी नहीं होते हैं। यह तकनीक सोनार उपकरण से ध्वनि तरंगें भेजकर और फिर वस्तुओं से परावर्तित होकर वापस आने वाली तरंगों का समय माप कर काम करती है।
आईआईटी रुड़की ने दी है सिल्ट पर रिपोर्ट
आईआईटी रुड़की की टीम ने सतलुज नदी की गाद पर अध्ययन किया है। वर्ष 2014 से 2024 तक यह अध्ययन किया गया है। रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2014 से 2021 तक सिल्ट में कोई बदलाव नहीं आया। वर्ष 2021 के बाद सिल्ट में तेजी से बदलाव आया है। जोन एक तत्तापानी में वर्ष 2022 में सिल्ट 7 हेक्टेयर और 2023 में 27 हेक्टेयर दर्ज हुई। जोन दो सुन्नी में वर्ष 2022 में 0.5 हेक्टेयर और 2023 में 10 हेक्टेयर रिकॉर्ड की गई। जोन तीन चाबा में वर्ष 2022 में 1.7 हेक्टेयर से वर्ष 2023 में 8 हेक्टेयर सिल्ट दर्ज की गई है। रिपोर्ट के मुताबिक सुन्नी क्षेत्र में एकत्रित सिल्ट भवन निर्माण के लिए उपयुक्त बताई गई है। सही तरीके से सिल्ट की माइनिंग करने का सुझाव भी दिया गया है ताकि पानी के जलस्तर को कम किया जा सके। एनटीपीसी माइनिंग के लिए एनओसी राज्य सरकार को देने के लिए तैयार है।
इस साल हुआ है करोड़ों का नुकसान
लोक निर्माण विभाग ने कोल डैम बनने से सतलुज नदी के तल में आए बदलाव पर रिपोर्ट दी है। 30 मार्च 2015 में कोल डैम का निर्माण हुआ था। वर्ष 2018-19 में डैम के कारण नदी में जलस्तर बढ़ने से पहली बार चाबा हाइड्रो पावर को नुकसान पहुंचा था। इसका मरम्मत कार्य 2019 में पूरा कर लिया था। 2023 में फिर से चाबा ब्रिज पूरी तरह टूट गया। 15 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ। इस साल 21 जुलाई को थली ब्रिज को 05 लाख रुपये का नुकसान हुआ। 13 अगस्त को ब्रिज के रेजिंग डेक को नुकसान हुआ। इसकी मरम्मत के लिए करीब 10 करोड़ रुपये खर्च आएगा। रिपोर्ट में सतलुज में गाद में बढ़ोतरी होना, तटों का कटाव बढ़ना, सड़क का बह जाना और जमीनों का जलमग्न होना पाया गया है। रिपोर्ट के अनुसार जलस्तर में और बढ़ोतरी से अब तत्तापानी, सुन्नी और तत्तापानी कस्बों में पीएससी कैंटिलीवर ब्रिज जलमग्न हो सकता है।
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