*साल में एक बार से ज्यादा बीमार होने वाले मरीज क्या करेंगे* *केंद्र सरकार जब फ्री जांच और इलाज की सुविधा दे रही है तो सुक्खू सरकार क्यों छीन रही है*
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बिलासपुर , 04 जून [ विशाल सूद ] : बिलासपुर से जारी बयान में नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कहा कि व्यवस्था परिवर्तन वाली सुख की सरकार ने शुल्क लगाने में सारी हदें पार कर दी है। धरती पर ऐसा कुछ नहीं बचा है जिस पर सुक्खू सरकार ने को टैक्स न लगा दिया हो। टॉयलेट टैक्स से शुरू हुआ शुल्क की सरकार का यह सफर अब अस्पताल में भर्ती मरीज के टॉयलेट, वॉशरूम के टैक्स तक पहुंच चुका है। सुक्खू सरकार ने आपात स्थिति में, असहाय हालत में इलाज करवाने के लिए अस्पताल पहुंचने पर हर बीमार व्यक्ति से पैसा वसूलने के आदेश दिए हैं। यह आदेश भी सरकार के बाकी आदेशों की तरह जनविरोधी और अमानवीय हैं। मनुष्य अस्पताल। परेशानी में आता है और जब वह पैसा नहीं दे पाने की स्थिति में नहीं होता तो उसकी परेशानी और बढ़ जाती है। सरकार को इसे वापस लेना होगा। नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि अमृत काल में देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र भाई मोदी द्वारा पूरे देश को ‘फ्री ड्रग पॉलिसी’ के तहत नि:शुल्क उपचार और ‘फ्री डायग्नोस्टिक इनिशियेटेटिव सर्विसेज’ के तहत निःशुल्क जाँच की सुविधा दी गई है। जो देशवासियों हमारे संविधान द्वारा दिया गया मौलिक अधिकार है। यह दुःखद है कि कांग्रेस की सुक्खू सरकार हिमाचल के लोगों का यह मौलिक अधिकार छीन रही है। अब प्रदेशवासी बीमारी से ग्रस्त होकर अगर अस्पताल भी जाए तो वहाँ भी सरकार शुल्क वसूल रही है। बीमार व्यक्ति अस्पताल में घुसते ही ‘शुल्क की सरकार’ को पैसे दे चाहे वहाँ डॉक्टर हो या न हो। सरकार शुल्क लगाने में यकीन रखती है सुविधाएं देने में नहीं। अस्पताल में डॉक्टर नहीं हैं, एक्सरे मशीन खराब हैं, लैब टेक्नीशियन नहीं हैं, सुविधाओं के नाम पर कुछ नहीं हैं। उन्होंने कहा कि जाँच के लिए आईजीएमसी जैसे अस्पताल तीन से छह महीनें बाद का समय मिल रहा है। आए दिन जांच न होने, सर्जिकल सामान खत्म होने, दवाइयों के खत्म होने से परेशान मरीजों की खबरें समाचार पत्रों की सुर्खियां बनती हैं लेकिन सरकार शुल्क लगाने में व्यस्त है। जब जाँच का खर्च केंद्र सरकार उठा रही है तो सुख की सरकार प्रदेशवासियों से यह अधिकार क्यों छीन रही है? प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की योजना के तहत प्रदेश के लोगों को मिल रहे फ्री जांच से भी सरकार लोगों को बाहर कर रही है। जयराम ठाकुर ने कहा कि सुक्खू सरकार द्वारा निर्धारित किया गया है कि अब प्रदेशवासियों को सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों में मिल रहे 133 फ्री टेस्ट साल में सिर्फ एक बार ही होंगे। साल में सिर्फ एक बार ही अब प्रदेशवासियों को फ्री जांच की सुविधा मिलेगी। अगर कोई व्यक्ति दूसरी बार बीमार हो गया तो उसे अपनी जेब से खर्च करना होगा या फिर वह बिना जांच के ही अपना इलाज करवाने को अभिशप्त होगा। सरकार हर दिन ऐसी नहीं ऐसी योजना लेकर आती है जिससे पूरे प्रदेश की देशभर में किरकिरी होती है। उन्होंने कहा कि सरकार का यह आदेश हास्यास्पद है। इस आदेश से कहना चाहती है कि लोग जानबूझकर बीमार होते हैं और शौकिया जांच करवाते हैं। किसी पेशेंट का इलाज करने वाला डॉक्टर भी एक नियमित अंतराल के बाद मरीज से जांच करवा कर अपने इलाज के प्रभाव का अध्ययन करते हैं। उसी के हिसाब से अपने आगे का इलाज तय करते हैं। ऐसे पेशेंट अब क्या करेंगे? पूरे देश में प्रदेश अपने प्रदेशवासियों को स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध करवाता है। जिसमें अनिवार्य जीवन रक्षक दवाएं, अनिवार्य जांच शामिल है। पूर्व की भाजपा सरकार ने हिमाचल में यह सुविधा शुरू की थी। जिसके तहत 135 जांचे और लगभग 650 दवाएं निःशुल्क मिलती थी। लेकिन वर्तमान सरकार इसे बंद कर रही है।स्वास्थ्य की सुविधा हर देशवासी का संवैधानिक मौलिक अधिकार है और इसी अधिकारों की सुरक्षा करने के लिए आदरणीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फ्री ड्रग पॉलिसी और फ्री डायग्नोस्टिक्स इनीशिएटिव सर्विसेज शुरू की। साथ ही लोगों को फ्री इलाज उपलब्ध हो सके उसके लिए दुनिया की सबसे बड़ी स्वास्थ्य बीमा योजना आयुष्मान स्वास्थ्य शुरू की। जिसके तहत हर पात्र भारतीय को 05 लाख का बीमा दिया जाता है।
बिलासपुर , 04 जून [ विशाल सूद ] : बिलासपुर से जारी बयान में नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कहा कि व्यवस्था परिवर्तन वाली सुख की सरकार ने शुल्क लगाने में सारी हदें पार कर दी है। धरती पर ऐसा कुछ नहीं बचा है जिस पर सुक्खू सरकार ने को टैक्स न लगा दिया हो। टॉयलेट टैक्स से शुरू हुआ शुल्क की सरकार का यह सफर अब अस्पताल में भर्ती मरीज के टॉयलेट, वॉशरूम के टैक्स तक पहुंच चुका है।
सुक्खू सरकार ने आपात स्थिति में, असहाय हालत में इलाज करवाने के लिए अस्पताल पहुंचने पर हर बीमार व्यक्ति से पैसा वसूलने के आदेश दिए हैं। यह आदेश भी सरकार के बाकी आदेशों की तरह जनविरोधी और अमानवीय हैं। मनुष्य अस्पताल। परेशानी में आता है और जब वह पैसा नहीं दे पाने की स्थिति में नहीं होता तो उसकी परेशानी और बढ़ जाती है। सरकार को इसे वापस लेना होगा।
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नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि अमृत काल में देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र भाई मोदी द्वारा पूरे देश को ‘फ्री ड्रग पॉलिसी’ के तहत नि:शुल्क उपचार और ‘फ्री डायग्नोस्टिक इनिशियेटेटिव सर्विसेज’ के तहत निःशुल्क जाँच की सुविधा दी गई है। जो देशवासियों हमारे संविधान द्वारा दिया गया मौलिक अधिकार है। यह दुःखद है कि कांग्रेस की सुक्खू सरकार हिमाचल के लोगों का यह मौलिक अधिकार छीन रही है।
अब प्रदेशवासी बीमारी से ग्रस्त होकर अगर अस्पताल भी जाए तो वहाँ भी सरकार शुल्क वसूल रही है। बीमार व्यक्ति अस्पताल में घुसते ही ‘शुल्क की सरकार’ को पैसे दे चाहे वहाँ डॉक्टर हो या न हो। सरकार शुल्क लगाने में यकीन रखती है सुविधाएं देने में नहीं। अस्पताल में डॉक्टर नहीं हैं, एक्सरे मशीन खराब हैं, लैब टेक्नीशियन नहीं हैं, सुविधाओं के नाम पर कुछ नहीं हैं।
उन्होंने कहा कि जाँच के लिए आईजीएमसी जैसे अस्पताल तीन से छह महीनें बाद का समय मिल रहा है। आए दिन जांच न होने, सर्जिकल सामान खत्म होने, दवाइयों के खत्म होने से परेशान मरीजों की खबरें समाचार पत्रों की सुर्खियां बनती हैं लेकिन सरकार शुल्क लगाने में व्यस्त है। जब जाँच का खर्च केंद्र सरकार उठा रही है तो सुख की सरकार प्रदेशवासियों से यह अधिकार क्यों छीन रही है? प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की योजना के तहत प्रदेश के लोगों को मिल रहे फ्री जांच से भी सरकार लोगों को बाहर कर रही है।
जयराम ठाकुर ने कहा कि सुक्खू सरकार द्वारा निर्धारित किया गया है कि अब प्रदेशवासियों को सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों में मिल रहे 133 फ्री टेस्ट साल में सिर्फ एक बार ही होंगे। साल में सिर्फ एक बार ही अब प्रदेशवासियों को फ्री जांच की सुविधा मिलेगी। अगर कोई व्यक्ति दूसरी बार बीमार हो गया तो उसे अपनी जेब से खर्च करना होगा या फिर वह बिना जांच के ही अपना इलाज करवाने को अभिशप्त होगा। सरकार हर दिन ऐसी नहीं ऐसी योजना लेकर आती है जिससे पूरे प्रदेश की देशभर में किरकिरी होती है।
उन्होंने कहा कि सरकार का यह आदेश हास्यास्पद है। इस आदेश से कहना चाहती है कि लोग जानबूझकर बीमार होते हैं और शौकिया जांच करवाते हैं। किसी पेशेंट का इलाज करने वाला डॉक्टर भी एक नियमित अंतराल के बाद मरीज से जांच करवा कर अपने इलाज के प्रभाव का अध्ययन करते हैं। उसी के हिसाब से अपने आगे का इलाज तय करते हैं। ऐसे पेशेंट अब क्या करेंगे?
पूरे देश में प्रदेश अपने प्रदेशवासियों को स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध करवाता है। जिसमें अनिवार्य जीवन रक्षक दवाएं, अनिवार्य जांच शामिल है। पूर्व की भाजपा सरकार ने हिमाचल में यह सुविधा शुरू की थी। जिसके तहत 135 जांचे और लगभग 650 दवाएं निःशुल्क मिलती थी। लेकिन वर्तमान सरकार इसे बंद कर रही है।स्वास्थ्य की सुविधा हर देशवासी का संवैधानिक मौलिक अधिकार है और इसी अधिकारों की सुरक्षा करने के लिए आदरणीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फ्री ड्रग पॉलिसी और फ्री डायग्नोस्टिक्स इनीशिएटिव सर्विसेज शुरू की।
साथ ही लोगों को फ्री इलाज उपलब्ध हो सके उसके लिए दुनिया की सबसे बड़ी स्वास्थ्य बीमा योजना आयुष्मान स्वास्थ्य शुरू की। जिसके तहत हर पात्र भारतीय को 05 लाख का बीमा दिया जाता है।
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