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चम्बा ! 22 मई [ के एस प्रेमी ] ! सुन्दर शिक्षा (परमार्थ) न्यास के तत्वावधान में कला सृजन पाठशाला ने आयोजन सत्र-50 के अन्तर्गत पुस्तक विमोचन कार्यक्रम किया। सबसे पहले सरस्वती वंदना करते हुए दीप प्रज्ज्वलित किया। मंच की गरिमा को निभाते हुए कवि ओंकार वर्मा एवं उनकी धर्म पत्नी मुगेश लता द्वारा अध्यक्ष शरत् शर्मा,भूपेंद्र जसरोटिया, डॉ.सन्तोष कुमार, प्रशान्त रमण रवि, रेखा गक्खड 'रश्मि' को शाल और टोपी पहना कर सम्मानित किया। इसके पश्चात कला सृजन पाठशाला के बैनर तले समकालीन कवि ओंकार वर्मा के काव्य संग्रह 'मेरे शब्द मेरी पहचान' का विमोचन कला सृजन पाठशाला के अध्यक्ष शरत् शर्मा द्वारा किया गया। विमोचन के बाद कवि ओंकार वर्मा द्वारा कविता संग्रह 'मेरे शब्द मेरी पहचान' में से चुनिंदा कविताओं का एकल कविता पाठ किया गया। इसके बाद एकल पाठ की कविताओं तथा कविता संग्रह की समीक्षा राजकीय महाविद्यालय चम्बा के हिन्दी विभाग के विभागाध्यक्ष डाक्टर सन्तोष कुमार, प्रोफेसर प्रशांत रमण रवि एवं कवयित्री रेखा गक्खड 'रश्मि' द्वारा की गई। जिसमें कविताओं में आए विविध पहलुओं को श्रोताओं के समक्ष उजागर किया। इस अवसर पर कला सृजन पाठशाला द्वारा कविता पाठ का आयोजन भी किया गया। जिसमें नारायणी ने "बेटियां", दिशा ने "आओ मिलकर धरती को नम करे", चिराग ने " जीवन के लिए पेड जरूरी", बिमला देवी ने "धरती की पुकार" रेखा गक्खड 'रश्मि' ने "बचपन" प्रशांत रमण रवि ने "बाप" भूपेंद्र जसरोटिया ने "कसम हो आपको नेता जी" आदि कविताओं का पाठ करके संजीदा माहौल बनाए रखा। इस मौके पर कला सृजन पाठशाला के अध्यक्ष शरत् शर्मा ने उपस्थित श्रोताओं को सरप्राइज़ देते हुए चम्बा से सुन्दर शकुन्तला प्रकाशन द्वारा प्रकाशित समकालीन आलोचक डॉ. हरि शर्मा द्वारा लिखित पुस्तक हिमाचल के हिन्दी साहित्य का पहला इतिहास के दूसरे संस्करण की एक झलक पेश की। कार्यक्रम का मंच संचालन डॉक्टर संतोष कुमार द्वारा किया गया। ओंकार वर्मा द्वारा सभी उपस्थित गणमान्य व्यक्तियों का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि कला सृजन पाठशाला चम्बा में लेखकों तथा युवाओं को सृजन के लिए प्रेरित करते हुए सफल यात्रा की ओर अग्रसर है।
चम्बा ! 22 मई [ के एस प्रेमी ] ! सुन्दर शिक्षा (परमार्थ) न्यास के तत्वावधान में कला सृजन पाठशाला ने आयोजन सत्र-50 के अन्तर्गत पुस्तक विमोचन कार्यक्रम किया। सबसे पहले सरस्वती वंदना करते हुए दीप प्रज्ज्वलित किया। मंच की गरिमा को निभाते हुए कवि ओंकार वर्मा एवं उनकी धर्म पत्नी मुगेश लता द्वारा अध्यक्ष शरत् शर्मा,भूपेंद्र जसरोटिया, डॉ.सन्तोष कुमार, प्रशान्त रमण रवि, रेखा गक्खड 'रश्मि' को शाल और टोपी पहना कर सम्मानित किया।
इसके पश्चात कला सृजन पाठशाला के बैनर तले समकालीन कवि ओंकार वर्मा के काव्य संग्रह 'मेरे शब्द मेरी पहचान' का विमोचन कला सृजन पाठशाला के अध्यक्ष शरत् शर्मा द्वारा किया गया। विमोचन के बाद कवि ओंकार वर्मा द्वारा कविता संग्रह 'मेरे शब्द मेरी पहचान' में से चुनिंदा कविताओं का एकल कविता पाठ किया गया। इसके बाद एकल पाठ की कविताओं तथा कविता संग्रह की समीक्षा राजकीय महाविद्यालय चम्बा के हिन्दी विभाग के विभागाध्यक्ष डाक्टर सन्तोष कुमार, प्रोफेसर प्रशांत रमण रवि एवं कवयित्री रेखा गक्खड 'रश्मि' द्वारा की गई। जिसमें कविताओं में आए विविध पहलुओं को श्रोताओं के समक्ष उजागर किया।
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इस अवसर पर कला सृजन पाठशाला द्वारा कविता पाठ का आयोजन भी किया गया। जिसमें नारायणी ने "बेटियां", दिशा ने "आओ मिलकर धरती को नम करे", चिराग ने " जीवन के लिए पेड जरूरी", बिमला देवी ने "धरती की पुकार" रेखा गक्खड 'रश्मि' ने "बचपन" प्रशांत रमण रवि ने "बाप" भूपेंद्र जसरोटिया ने "कसम हो आपको नेता जी" आदि कविताओं का पाठ करके संजीदा माहौल बनाए रखा।
इस मौके पर कला सृजन पाठशाला के अध्यक्ष शरत् शर्मा ने उपस्थित श्रोताओं को सरप्राइज़ देते हुए चम्बा से सुन्दर शकुन्तला प्रकाशन द्वारा प्रकाशित समकालीन आलोचक डॉ. हरि शर्मा द्वारा लिखित पुस्तक हिमाचल के हिन्दी साहित्य का पहला इतिहास के दूसरे संस्करण की एक झलक पेश की।
कार्यक्रम का मंच संचालन डॉक्टर संतोष कुमार द्वारा किया गया। ओंकार वर्मा द्वारा सभी उपस्थित गणमान्य व्यक्तियों का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि कला सृजन पाठशाला चम्बा में लेखकों तथा युवाओं को सृजन के लिए प्रेरित करते हुए सफल यात्रा की ओर अग्रसर है।
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