जनता ठगी गई, गारंटीयां बन गई धोखा, महिलाओं से वादाखिलाफी, टैक्स के पैसों की लूट मुख्यमंत्री के कई वादे, लेकिन एक भी पूरा नहीं सत्ता की भूख में लोकतंत्र का गला घोंट रही है कांग्रेस सरकार, हिमाचल का खजाना बना लाले की दुकान कोड ऑफ कंडक्ट को रौंदा, महिलाओं को बनाया वोट बैंक
- विज्ञापन (Article Top Ad) -
हमीरपुर,7 जून [ बिंदिया ठाकुर ] ! हिमाचल प्रदेश भाजपा के वरिष्ठ नेता और सुजानपुर के पूर्व विधायक राजेंद्र राणा ने सुख सरकार पर जोरदार हमला बोला है। राजेंद्र राणा ने कहा कि जब से देश आजाद हुआ है, तब से लेकर अब तक केंद्र और राज्यों की सरकारें संविधान के दायरे में रहकर काम करती आई हैं, हिमाचल प्रदेश की सुक्खू सरकार ने अब संविधान की मर्यादाओं को भी ताक पर रख दिया है। उन्होंने कहा की ऐसा प्रतीत होता है कि यह सरकार खुद को संविधान से ऊपर मानने लगी है, जो लोकतंत्र के लिए अत्यंत चिंताजनक स्थिति है। राणा ने आरोप लगाया कि जब से सुखविंदर सिंह सुक्खू के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार बनी है, हिमाचल प्रदेश की जनता की परेशानियाँ दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही हैं। प्रदेश में कानून व्यवस्था नाम की कोई चीज नहीं बची है। अपराधियों और माफिया तंत्र के हौसले बुलंद हैं, लेकिन सुक्खू सरकार को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। राजेंद्र राणा ने कहा कि 2022 में हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले जो 10 गारंटियाँ कांग्रेस ने हिमाचल की जनता को दी थीं, वे अब केवल जुमले बनकर रह गई हैं। उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी सत्ता की लालसा में इस कदर डूबी रही कि अपने ही वादों को खुद ही झूठा साबित कर दिया। कांग्रेस द्वारा राज्य की प्रत्येक महिला को ₹1500 मासिक देने की गारंटी अब तक पूरी नहीं की गई है और ना ही यह पूरा करना सरकार के वस में है क्योंकि यह उन्हें झूठी गारंटी में शामिल थी जो जनता को लुभाने के लिए कांग्रेस द्वारा की गई थी। राजेंद्र राणा ने कहा कि सरकार बनने से पहले कांग्रेस ने बिना किसी शर्त के ₹1500 प्रति माह हर महिला को देने का वादा किया था, लेकिन सत्ता में आते ही मुख्यमंत्री सुखविंदर सुक्खू ने इस पर यू-टर्न लेना शुरू कर दिया। कहीं लाहौल-स्पीति, कहीं डोडरा - कवार, और हाल ही में कुल्लू के बंजार क्षेत्र में जाकर स्थानीय महिलाओं से मुख्यमंत्री द्वारा अलग-अलग वादे किए जा रहे हैं। इसके तहत मुख्यमंत्री इन इलाकों की महिलाओं को फिर से भ्रमित करने के लिए हर महीने ₹1500 देने का अपना झूठा वायदा दोहराते जा रहे हैं, जो राज्य के लिए एक समान नीति का मखौल उड़ाने जैसा है। राजेंद्र राणा ने सवाल उठाया कि क्या मुख्यमंत्री को इतना भी नहीं पता कि सरकार की नीतियां और योजनाएं पूरे राज्य के लिए समान रूप से लागू होती हैं? यह भ्रम फैलाना कि किसी खास क्षेत्र की महिलाओं को ही लाभ मिलेगा, राज्य की महिलाओं के साथ सरासर धोखा है। राज्य के खजाने को लेकर राजेंद्र राणा ने सरकार पर तीखा हमला बोला और कहा कि जनता जो टैक्स देती है, वह मुख्यमंत्री की निजी संपत्ति नहीं है। उन्होंने कहा कि दुर्भाग्य से आज हिमाचल प्रदेश का मुख्यमंत्री, सरकारी खजाने को एक निजी दुकान ( लाले की दुकान ) की तरह चला रहा है, जो लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए गंभीर खतरे की घंटी है। राजेंद्र राणा ने देहरा में 2024 में हुए उपचुनाव का हवाला देते हुए कहा कि कोड ऑफ कंडक्ट के बीच 66 महिला मंडलों को कांगड़ा कोऑपरेटिव बैंक के माध्यम से करीब 33 लाख रूपए बांटना साफ तौर पर वोट बैंक की राजनीति और सरकारी संस्थाओं के दुरुपयोग का उदाहरण है। यह सब मुख्यमंत्री के दबाव में किया गया ताकि उनकी धर्मपत्नी को लाभ मिल सके। शिमला के तहत ठियोग क्षेत्र में सरकारी पैसे से मुख्यमंत्री और उनके करीबियों की जमीनों पर करोड़ों रुपये के डंगे ( रिटेनिंग वॉल ) लगाने के लिए खर्च कर दिए गए। यह पैसा भी हिमाचल प्रदेश की जनता की खून पसीने की कमाई है जो जनता टैक्स के रूप में सरकारी खजाने में जमा करवाती है। राणा ने कहा कि मुख्यमंत्री को समझना चाहिए कि जनता का पैसा निजी स्वार्थ के लिए नहीं होता, बल्कि इस पैसे से जनता को राहत और प्रदेश की विकास को आगे बढ़ाया जाता है जो अब तक सारी सरकारें करती आई है। उन्होंने कहा कि यह टैक्स देने वाली जनता की मेहनत की कमाई है जिसे इस तरह लुटाना लोकतंत्र का अपमान है। राजेंद्र राणा ने कहा कि हिमाचल प्रदेश में आज न कानून बचा है और न ही सरकारी खजाने का कोई पारदर्शी हिसाब। यदि स्थिति यही रही तो आने वाले समय में इसका गंभीर दुष्परिणाम पूरे प्रदेश को भुगतना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि सरकार की इस मनमर्जी के खिलाफ जनता अब अपनी आवाज बुलंद करेगी और सरकार को मुंहतोड़ जवाब देगी।
हमीरपुर,7 जून [ बिंदिया ठाकुर ] ! हिमाचल प्रदेश भाजपा के वरिष्ठ नेता और सुजानपुर के पूर्व विधायक राजेंद्र राणा ने सुख सरकार पर जोरदार हमला बोला है। राजेंद्र राणा ने कहा कि जब से देश आजाद हुआ है, तब से लेकर अब तक केंद्र और राज्यों की सरकारें संविधान के दायरे में रहकर काम करती आई हैं, हिमाचल प्रदेश की सुक्खू सरकार ने अब संविधान की मर्यादाओं को भी ताक पर रख दिया है। उन्होंने कहा की ऐसा प्रतीत होता है कि यह सरकार खुद को संविधान से ऊपर मानने लगी है, जो लोकतंत्र के लिए अत्यंत चिंताजनक स्थिति है।
राणा ने आरोप लगाया कि जब से सुखविंदर सिंह सुक्खू के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार बनी है, हिमाचल प्रदेश की जनता की परेशानियाँ दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही हैं। प्रदेश में कानून व्यवस्था नाम की कोई चीज नहीं बची है। अपराधियों और माफिया तंत्र के हौसले बुलंद हैं, लेकिन सुक्खू सरकार को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता।
- विज्ञापन (Article Inline Ad) -
राजेंद्र राणा ने कहा कि 2022 में हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले जो 10 गारंटियाँ कांग्रेस ने हिमाचल की जनता को दी थीं, वे अब केवल जुमले बनकर रह गई हैं। उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी सत्ता की लालसा में इस कदर डूबी रही कि अपने ही वादों को खुद ही झूठा साबित कर दिया।
कांग्रेस द्वारा राज्य की प्रत्येक महिला को ₹1500 मासिक देने की गारंटी अब तक पूरी नहीं की गई है और ना ही यह पूरा करना सरकार के वस में है क्योंकि यह उन्हें झूठी गारंटी में शामिल थी जो जनता को लुभाने के लिए कांग्रेस द्वारा की गई थी।
राजेंद्र राणा ने कहा कि सरकार बनने से पहले कांग्रेस ने बिना किसी शर्त के ₹1500 प्रति माह हर महिला को देने का वादा किया था, लेकिन सत्ता में आते ही मुख्यमंत्री सुखविंदर सुक्खू ने इस पर यू-टर्न लेना शुरू कर दिया। कहीं लाहौल-स्पीति, कहीं डोडरा - कवार, और हाल ही में कुल्लू के बंजार क्षेत्र में जाकर स्थानीय महिलाओं से मुख्यमंत्री द्वारा अलग-अलग वादे किए जा रहे हैं।
इसके तहत मुख्यमंत्री इन इलाकों की महिलाओं को फिर से भ्रमित करने के लिए हर महीने ₹1500 देने का अपना झूठा वायदा दोहराते जा रहे हैं, जो राज्य के लिए एक समान नीति का मखौल उड़ाने जैसा है। राजेंद्र राणा ने सवाल उठाया कि क्या मुख्यमंत्री को इतना भी नहीं पता कि सरकार की नीतियां और योजनाएं पूरे राज्य के लिए समान रूप से लागू होती हैं? यह भ्रम फैलाना कि किसी खास क्षेत्र की महिलाओं को ही लाभ मिलेगा, राज्य की महिलाओं के साथ सरासर धोखा है।
राज्य के खजाने को लेकर राजेंद्र राणा ने सरकार पर तीखा हमला बोला और कहा कि जनता जो टैक्स देती है, वह मुख्यमंत्री की निजी संपत्ति नहीं है। उन्होंने कहा कि दुर्भाग्य से आज हिमाचल प्रदेश का मुख्यमंत्री, सरकारी खजाने को एक निजी दुकान ( लाले की दुकान ) की तरह चला रहा है, जो लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए गंभीर खतरे की घंटी है।
राजेंद्र राणा ने देहरा में 2024 में हुए उपचुनाव का हवाला देते हुए कहा कि कोड ऑफ कंडक्ट के बीच 66 महिला मंडलों को कांगड़ा कोऑपरेटिव बैंक के माध्यम से करीब 33 लाख रूपए बांटना साफ तौर पर वोट बैंक की राजनीति और सरकारी संस्थाओं के दुरुपयोग का उदाहरण है। यह सब मुख्यमंत्री के दबाव में किया गया ताकि उनकी धर्मपत्नी को लाभ मिल सके।
शिमला के तहत ठियोग क्षेत्र में सरकारी पैसे से मुख्यमंत्री और उनके करीबियों की जमीनों पर करोड़ों रुपये के डंगे ( रिटेनिंग वॉल ) लगाने के लिए खर्च कर दिए गए। यह पैसा भी हिमाचल प्रदेश की जनता की खून पसीने की कमाई है जो जनता टैक्स के रूप में सरकारी खजाने में जमा करवाती है।
राणा ने कहा कि मुख्यमंत्री को समझना चाहिए कि जनता का पैसा निजी स्वार्थ के लिए नहीं होता, बल्कि इस पैसे से जनता को राहत और प्रदेश की विकास को आगे बढ़ाया जाता है जो अब तक सारी सरकारें करती आई है। उन्होंने कहा कि यह टैक्स देने वाली जनता की मेहनत की कमाई है जिसे इस तरह लुटाना लोकतंत्र का अपमान है।
राजेंद्र राणा ने कहा कि हिमाचल प्रदेश में आज न कानून बचा है और न ही सरकारी खजाने का कोई पारदर्शी हिसाब। यदि स्थिति यही रही तो आने वाले समय में इसका गंभीर दुष्परिणाम पूरे प्रदेश को भुगतना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि सरकार की इस मनमर्जी के खिलाफ जनता अब अपनी आवाज बुलंद करेगी और सरकार को मुंहतोड़ जवाब देगी।
- विज्ञापन (Article Bottom Ad) -
- विज्ञापन (Sidebar Ad 1) -
- विज्ञापन (Sidebar Ad 2) -
- विज्ञापन (Sidebar Ad 3) -
- विज्ञापन (Sidebar Ad 4) -