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शिमला , 11 अगस्त [ विशाल सूद ] ! हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला स्थित राज्य सचिवालय से सिर्फ पांच किलोमीटर की दूरी पर रामनगर में ऐसा सरकारी स्कूल है। जहां बच्चे अपनी जान को खतरे में डाल कर पढ़ाई कर रहे हैं। हालात ऐसे हैं कि यहां बारिश के मौसम में छत से पानी टपकता है और बारिश में लगातार बढ़ रही फिसलन की वजह से शौचालय जाने वाला रास्ता खतरे से खाली नहीं है। शौचालय के ठीक सामने तेज बहाव नाला है यहां पैर फिसलने पर बड़ा हादसा हो सकता है। इसी स्कूल में एक अन्य शौचालय भी बना है, जिस पर स्कूल प्रशासन ने लंबे वक्त से ताला जड़ा हुआ है। शौचालय के हालात ऐसे हैं, जो सीधे बीमारियों को न्योता देते हैं. इसी शौचालय से थोड़ी दूरी पर मिड डे मील योजना के तहत बनने वाला खाना तैयार होता है। इसके अलावा स्कूल के आसपास कूड़े का अंबार लगा पड़ा है। स्कूल में बच्चों के लिए ग्राउंड की सुविधा भी नहीं है क्योंकि यहां बने ग्राउंड में स्थानीय लोग अपनी गाड़ी पार्क कर रहे हैं। रामनगर स्कूल में पढ़ने वाली छात्रा इशिता और सायरा ने बताया कि रोजाना यहां से गुजरने में उन्हें डर लगता है। बारिश की वजह से रास्ते में फिसलन बढ़ गई है और यहां सरकार को रेलिंग लगाकर सुरक्षा देनी चाहिए। यदि रेलिंग नहीं लगाई जा सकती, तो सरकार यहां पर नया रास्ता बनाए। रामनगर के स्थानीय निवासी और समाजसेवी राकेश पंडित का कहना है कि स्कूल बेहद खस्ताहाल है। यहां बच्चों की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। स्कूल के ग्राउंड में स्थानीय लोग अपनी गाड़ियां पार्क करते हैं और यहां बच्चों को सुविधा के नाम पर कुछ हासिल नहीं हो रहा। उन्होंने सरकार से मांग उठाई है कि इस पर गंभीरता से विचार किया जाए और बच्चों की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ न हो। https://youtube.com/playlist?list=PLfNkwz3upB7OrrnGCDxBewe7LwsUn1bhs
शिमला , 11 अगस्त [ विशाल सूद ] ! हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला स्थित राज्य सचिवालय से सिर्फ पांच किलोमीटर की दूरी पर रामनगर में ऐसा सरकारी स्कूल है। जहां बच्चे अपनी जान को खतरे में डाल कर पढ़ाई कर रहे हैं। हालात ऐसे हैं कि यहां बारिश के मौसम में छत से पानी टपकता है और बारिश में लगातार बढ़ रही फिसलन की वजह से शौचालय जाने वाला रास्ता खतरे से खाली नहीं है।
शौचालय के ठीक सामने तेज बहाव नाला है यहां पैर फिसलने पर बड़ा हादसा हो सकता है। इसी स्कूल में एक अन्य शौचालय भी बना है, जिस पर स्कूल प्रशासन ने लंबे वक्त से ताला जड़ा हुआ है। शौचालय के हालात ऐसे हैं, जो सीधे बीमारियों को न्योता देते हैं. इसी शौचालय से थोड़ी दूरी पर मिड डे मील योजना के तहत बनने वाला खाना तैयार होता है। इसके अलावा स्कूल के आसपास कूड़े का अंबार लगा पड़ा है। स्कूल में बच्चों के लिए ग्राउंड की सुविधा भी नहीं है क्योंकि यहां बने ग्राउंड में स्थानीय लोग अपनी गाड़ी पार्क कर रहे हैं।
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रामनगर स्कूल में पढ़ने वाली छात्रा इशिता और सायरा ने बताया कि रोजाना यहां से गुजरने में उन्हें डर लगता है। बारिश की वजह से रास्ते में फिसलन बढ़ गई है और यहां सरकार को रेलिंग लगाकर सुरक्षा देनी चाहिए। यदि रेलिंग नहीं लगाई जा सकती, तो सरकार यहां पर नया रास्ता बनाए।
रामनगर के स्थानीय निवासी और समाजसेवी राकेश पंडित का कहना है कि स्कूल बेहद खस्ताहाल है। यहां बच्चों की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। स्कूल के ग्राउंड में स्थानीय लोग अपनी गाड़ियां पार्क करते हैं और यहां बच्चों को सुविधा के नाम पर कुछ हासिल नहीं हो रहा। उन्होंने सरकार से मांग उठाई है कि इस पर गंभीरता से विचार किया जाए और बच्चों की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ न हो।
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