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चम्बा ! डलहौजी विधानसभा क्षेत्र में विकास और सार्वजनिक सुविधाओं को लेकर जारी राजनीतिक बयानबाज़ी ने स्थानीय माहौल को गर्मा दिया है। ऐसे समय में कांग्रेस कार्यकर्ता मनीष सरीन ने एक विस्तृत प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि डलहौजी की जनता मुद्दों पर आधारित राजनीति चाहती है—न कि आरोपों, प्रतिक्रियाओं और भ्रम फैलाने वाली राजनीति पर आधारित माहौल। हाल ही में भाजपा विधायक द्वारा दिए गए बयानों पर प्रतिक्रिया देते हुए सरीन ने कहा कि किसी भी जनप्रतिनिधि को क्षेत्र की चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों और जनता की उम्मीदों को ध्यान में रखते हुए संयम और जिम्मेदारी के साथ वक्तव्य देने चाहिए।उन्होंने कहा कि "लोकतंत्र में मतभेद सामान्य हैं, लेकिन जब मुद्दे विकास, स्वास्थ्य, रोजगार और आधारभूत ढांचे से जुड़े हों, तो उन पर गंभीर चर्चा आवश्यक है। मैं व्यक्तिगत हमलों या द्वेषपूर्ण राजनीति में विश्वास नहीं रखता। नेता का कर्तव्य है कि वह जनता को तथ्य बताए, न कि आरोपों के सहारे भ्रम पैदा करे।" मनीष सरीन ने कहा कि डलहौजी में कई ऐसे मुद्दे हैं जिन्हें केवल राजनीतिक बयानबाज़ी के सहारे छुपाया नहीं जा सकता। इन मुद्दों पर विधानसभा में गरजना अति आवश्यक है। स्वयं विधानसभा में मौजूद रहते हुए मुद्दों पर बोलने के बजाय प्रश्न लगाना मात्र औपचारिक्ता से अधिक और कुछ नहीं है।उन्होंने बताया कि—स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता और संसाधनों की कमी आज भी कई क्षेत्रों में चुनौती है। सड़क संपर्क, पेयजल और शिक्षा व्यवस्था से जुड़े मुद्दे बार-बार जनता द्वारा उठाए जाते रहे हैं।सरीन ने कहा कि यह सब वह बातें हैं जिन्हें जनता रोज़ झेलती है विधायक से अपेक्षा करती है की न केवल विधान पटल पर अपितु सम्बंधित मंत्रियों के समक्ष भी विधायक क्षेत्र के हक़ हकूकों के लिए आवाज़ बुलंद करते नज़र आएं परन्तु विधायक कभी सरकार न होने का हवाला देते तो कभी विधानसभा में बोलने के बजाय प्रश्नों के तले छिपते नज़र आते हैं। "जनता को यह जानने का हक है कि पिछले वर्षों में बीते विधानसभा सत्रों में किए गए दावों का वास्तविक लाभ उन्हें मिला या नहीं।" “बहस का उद्देश्य किसी को छोटा-बड़ा बताना नहीं, बल्कि सच्चाई उजागर करना है”मनीष सरीन ने कहा कि भाजपा विधायक के हालिया बयान एकतरफा और अधूरी जानकारी पर आधारित प्रतीत होते हैं।उन्होंने कहा— मैं मानता हूं कि नेतृत्व का स्तर केवल कुर्सी से नहीं, बल्कि जिम्मेदारी निभाने के तरीके से तय होता है। मैं किसी को नीचा दिखाने में विश्वास नहीं करता। लेकिन अगर मुझ पर या मेरी पार्टी पर आरोप लगाए जाते हैं, तो जनता के सामने सही जानकारी रखना मेरी जिम्मेदारी है।" सरीन ने आगे कहा कि राजनीति का पूरा सार तब ही पूरा होता है जब दोनों पक्ष—सत्ता और विपक्ष—खुले मंच पर तथ्य और उपलब्धियां जनता के सामने रखें।"बहस का मंच किसी मुकाबले का अखाड़ा नहीं होगा। यह वह स्थान होगा जहां डलहौजी की जनता स्वयं तय करेगी कि किसने क्षेत्र के हित में बेहतर पहल की और किसने केवल दावे किए। अपनी बात को और स्पष्ट करते हुए सरीन ने कहा—मैं भाजपा विधायक डी.एस. ठाकुर को खुली, सम्मानजनक और तथ्यों पर आधारित बहस का आवाहन देता हूं।वे तारीख, समय और स्थान स्वयं चुनें। मैं जनता के बीच बैठकर प्रत्येक मुद्दे पर तथ्यात्मक चर्चा करने के लिए तैयार हूं।"सरीन ने यह भी कहा कि यह आवाहन किसी राजनीतिक संघर्ष का हिस्सा नहीं बल्कि सार्वजनिक जवाबदेही का प्रतीक है।डलहौजी की जनता के बीच जाकर बात रखी जानी चाहिए—यही लोकतंत्र की असली भावना है।" सरीन ने कहा कि आने वाले समय में डलहौजी विधानसभा क्षेत्र को कई महत्वपूर्ण निर्णयों का सामना करना होगा। ऐसे में यह जरूरी है कि जनता नेताओं की बातों को सुनते समय व्यक्तित्व की प्रतिस्पर्धा में न फंसकर तथ्यों पर ध्यान दे।उन्होंने कहा—मेरी अपील है कि जब भी गत वर्षों में हुई विधानसभा सत्र कार्रवाइयों में प्रस्तुत प्रश्नों के माध्यम से माननीय विधायक आपको भ्रमित करने का प्रयास करें तो आप माननीय विधायक से प्रश्न करें की सदन में मौजूद रहते हुए उन्हें संघर्षरत विधानसभा क्षेत्र के मुद्दों पर बोलने के बजाय प्रश्न लगाना आवश्यक क्यों लगा व क्षेत्र को इसका क्या लाभ हुआ।उन्होंने कहा कि स्वस्थ लोकतांत्रिक वातावरण में बातचीत, सहयोग और पारदर्शिता जरूरी है। "मैं टकराव की राजनीति नहीं चाहता। मैं चाहता हूं कि डलहौजी का भविष्य मजबूत हो। इसलिए इस बहस की पहल मेरी ओर से जनता के हित में है।"मनीष सरीन ने कहा कि डलहौजी हमेशा संवाद, शांति और प्रगति की राजनीति का प्रतीक रहा है। "मुझे विश्वास है कि जब भी बहस होगी, वह परिपक्व, मर्यादित और जनता के कल्याण पर केंद्रित होगी। मैं जनता के सामने पूरी ईमानदारी से बात रखूंगा और उम्मीद करता हूं कि भाजपा भी उसी गंभीरता के साथ इसमें भाग लेगी।"
चम्बा ! डलहौजी विधानसभा क्षेत्र में विकास और सार्वजनिक सुविधाओं को लेकर जारी राजनीतिक बयानबाज़ी ने स्थानीय माहौल को गर्मा दिया है। ऐसे समय में कांग्रेस कार्यकर्ता मनीष सरीन ने एक विस्तृत प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि डलहौजी की जनता मुद्दों पर आधारित राजनीति चाहती है—न कि आरोपों, प्रतिक्रियाओं और भ्रम फैलाने वाली राजनीति पर आधारित माहौल।
हाल ही में भाजपा विधायक द्वारा दिए गए बयानों पर प्रतिक्रिया देते हुए सरीन ने कहा कि किसी भी जनप्रतिनिधि को क्षेत्र की चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों और जनता की उम्मीदों को ध्यान में रखते हुए संयम और जिम्मेदारी के साथ वक्तव्य देने चाहिए।उन्होंने कहा कि "लोकतंत्र में मतभेद सामान्य हैं, लेकिन जब मुद्दे विकास, स्वास्थ्य, रोजगार और आधारभूत ढांचे से जुड़े हों, तो उन पर गंभीर चर्चा आवश्यक है। मैं व्यक्तिगत हमलों या द्वेषपूर्ण राजनीति में विश्वास नहीं रखता। नेता का कर्तव्य है कि वह जनता को तथ्य बताए, न कि आरोपों के सहारे भ्रम पैदा करे।"
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मनीष सरीन ने कहा कि डलहौजी में कई ऐसे मुद्दे हैं जिन्हें केवल राजनीतिक बयानबाज़ी के सहारे छुपाया नहीं जा सकता। इन मुद्दों पर विधानसभा में गरजना अति आवश्यक है। स्वयं विधानसभा में मौजूद रहते हुए मुद्दों पर बोलने के बजाय प्रश्न लगाना मात्र औपचारिक्ता से अधिक और कुछ नहीं है।
उन्होंने बताया कि—स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता और संसाधनों की कमी आज भी कई क्षेत्रों में चुनौती है।
सड़क संपर्क, पेयजल और शिक्षा व्यवस्था से जुड़े मुद्दे बार-बार जनता द्वारा उठाए जाते रहे हैं।सरीन ने कहा कि यह सब वह बातें हैं जिन्हें जनता रोज़ झेलती है विधायक से अपेक्षा करती है की न केवल विधान पटल पर अपितु सम्बंधित मंत्रियों के समक्ष भी विधायक क्षेत्र के हक़ हकूकों के लिए आवाज़ बुलंद करते नज़र आएं परन्तु विधायक कभी सरकार न होने का हवाला देते तो कभी विधानसभा में बोलने के बजाय प्रश्नों के तले छिपते नज़र आते हैं। "जनता को यह जानने का हक है कि पिछले वर्षों में बीते विधानसभा सत्रों में किए गए दावों का वास्तविक लाभ उन्हें मिला या नहीं।"
“बहस का उद्देश्य किसी को छोटा-बड़ा बताना नहीं, बल्कि सच्चाई उजागर करना है”मनीष सरीन ने कहा कि भाजपा विधायक के हालिया बयान एकतरफा और अधूरी जानकारी पर आधारित प्रतीत होते हैं।उन्होंने कहा— मैं मानता हूं कि नेतृत्व का स्तर केवल कुर्सी से नहीं, बल्कि जिम्मेदारी निभाने के तरीके से तय होता है। मैं किसी को नीचा दिखाने में विश्वास नहीं करता। लेकिन अगर मुझ पर या मेरी पार्टी पर आरोप लगाए जाते हैं, तो जनता के सामने सही जानकारी रखना मेरी जिम्मेदारी है।"
सरीन ने आगे कहा कि राजनीति का पूरा सार तब ही पूरा होता है जब दोनों पक्ष—सत्ता और विपक्ष—खुले मंच पर तथ्य और उपलब्धियां जनता के सामने रखें।
"बहस का मंच किसी मुकाबले का अखाड़ा नहीं होगा। यह वह स्थान होगा जहां डलहौजी की जनता स्वयं तय करेगी कि किसने क्षेत्र के हित में बेहतर पहल की और किसने केवल दावे किए।
अपनी बात को और स्पष्ट करते हुए सरीन ने कहा—मैं भाजपा विधायक डी.एस. ठाकुर को खुली, सम्मानजनक और तथ्यों पर आधारित बहस का आवाहन देता हूं।
वे तारीख, समय और स्थान स्वयं चुनें।
मैं जनता के बीच बैठकर प्रत्येक मुद्दे पर तथ्यात्मक चर्चा करने के लिए तैयार हूं।"
सरीन ने यह भी कहा कि यह आवाहन किसी राजनीतिक संघर्ष का हिस्सा नहीं बल्कि सार्वजनिक जवाबदेही का प्रतीक है।डलहौजी की जनता के बीच जाकर बात रखी जानी चाहिए—यही लोकतंत्र की असली भावना है।"
सरीन ने कहा कि आने वाले समय में डलहौजी विधानसभा क्षेत्र को कई महत्वपूर्ण निर्णयों का सामना करना होगा। ऐसे में यह जरूरी है कि जनता नेताओं की बातों को सुनते समय व्यक्तित्व की प्रतिस्पर्धा में न फंसकर तथ्यों पर ध्यान दे।
उन्होंने कहा—मेरी अपील है कि जब भी गत वर्षों में हुई विधानसभा सत्र कार्रवाइयों में प्रस्तुत प्रश्नों के माध्यम से माननीय विधायक आपको भ्रमित करने का प्रयास करें तो आप माननीय विधायक से प्रश्न करें की सदन में मौजूद रहते हुए उन्हें संघर्षरत विधानसभा क्षेत्र के मुद्दों पर बोलने के बजाय प्रश्न लगाना आवश्यक क्यों लगा व क्षेत्र को इसका क्या लाभ हुआ।उन्होंने कहा कि स्वस्थ लोकतांत्रिक वातावरण में बातचीत, सहयोग और पारदर्शिता जरूरी है।
"मैं टकराव की राजनीति नहीं चाहता। मैं चाहता हूं कि डलहौजी का भविष्य मजबूत हो। इसलिए इस बहस की पहल मेरी ओर से जनता के हित में है।"मनीष सरीन ने कहा कि डलहौजी हमेशा संवाद, शांति और प्रगति की राजनीति का प्रतीक रहा है।
"मुझे विश्वास है कि जब भी बहस होगी, वह परिपक्व, मर्यादित और जनता के कल्याण पर केंद्रित होगी। मैं जनता के सामने पूरी ईमानदारी से बात रखूंगा और उम्मीद करता हूं कि भाजपा भी उसी गंभीरता के साथ इसमें भाग लेगी।"
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