*प्रदेश की आर्थिक स्थिति पर विक्रम ठाकुर के गंभीर सवाल*
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धर्मशाला, 16 नवंबर [ विशाल सूद ] ! पूर्व मंत्री और जसवां–परागपुर के विधायक विक्रम ठाकुर ने प्रदेश की मौजूदा राजनीतिक और आर्थिक परिस्थितियों पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि जनता अपने आपको ठगा महसूस कर रही है। पत्रकारों को जारी ब्यान में उन्होंने कहा कि प्रदेश में हाल के चुनाव परिणामों और राष्ट्रीय स्तर पर सामने आए राजनीतिक रुझानों ने जनमानस की प्राथमिकताओं को स्पष्ट कर दिया है। उन्होंने कहा कि सरकारी कर्मचारियों और आउटसोर्सिंग कर्मियों को समय पर वेतन न मिलना, सेवानिवृत्त कर्मचारियों के मेडिकल बिलों का वर्षों से लंबित होना तथा पहली बार ठेकेदारों का भुगतान न होने के कारण सड़क पर उतरना, सभी स्थिति की गंभीरता को दर्शाते हैं। उन्होंने सवाल उठाया कि लगातार कर्ज लेने के बावजूद यदि आर्थिक भुगतान तक सुनिश्चित नहीं हो पा रहा, तो यह प्रशासनिक प्रबंधन की बड़ी चुनौती को उजागर करता है। विक्रम ठाकुर ने कहा कि सरकार को लिए जा रहे कर्जों पर पारदर्शिता सुनिश्चित करते हुए श्वेत पत्र जारी करना चाहिए, ताकि यह साफ हो सके कि प्रदेश में करोड़ों रुपये किन मदों में खर्च किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि आर्थिक आंकड़ों और ज़मीनी हालात में बड़ा अंतर दिखाई दे रहा है, जिससे जनता में असंतोष बढ़ रहा है। युवाओं और रोजगार के मुद्दे पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि अस्थायी व्यवस्थाओं और न्यूनतम वेतन पर नियुक्तियों का चलन बढ़ रहा है, जिससे युवा वर्ग असुरक्षित महसूस कर रहा है। उनके अनुसार, यह स्थिति दीर्घकाल में प्रदेश के विकास ढांचे को भी प्रभावित कर सकती है। उन्होंने कहा कि वर्तमान सरकार के तीन वर्ष पूरे होने के बाद भी कोई ठोस जनहितकारी निर्णय सामने नहीं आया है, और कई मोर्चों पर प्रशासनिक चुनौतियाँ बनी हुई हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेश की आर्थिक स्थिति जिस दिशा में बढ़ रही है, वह गंभीर समीक्षा और ठोस निर्णयों की मांग करती है।
धर्मशाला, 16 नवंबर [ विशाल सूद ] ! पूर्व मंत्री और जसवां–परागपुर के विधायक विक्रम ठाकुर ने प्रदेश की मौजूदा राजनीतिक और आर्थिक परिस्थितियों पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि जनता अपने आपको ठगा महसूस कर रही है। पत्रकारों को जारी ब्यान में उन्होंने कहा कि प्रदेश में हाल के चुनाव परिणामों और राष्ट्रीय स्तर पर सामने आए राजनीतिक रुझानों ने जनमानस की प्राथमिकताओं को स्पष्ट कर दिया है।
उन्होंने कहा कि सरकारी कर्मचारियों और आउटसोर्सिंग कर्मियों को समय पर वेतन न मिलना, सेवानिवृत्त कर्मचारियों के मेडिकल बिलों का वर्षों से लंबित होना तथा पहली बार ठेकेदारों का भुगतान न होने के कारण सड़क पर उतरना, सभी स्थिति की गंभीरता को दर्शाते हैं। उन्होंने सवाल उठाया कि लगातार कर्ज लेने के बावजूद यदि आर्थिक भुगतान तक सुनिश्चित नहीं हो पा रहा, तो यह प्रशासनिक प्रबंधन की बड़ी चुनौती को उजागर करता है।
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विक्रम ठाकुर ने कहा कि सरकार को लिए जा रहे कर्जों पर पारदर्शिता सुनिश्चित करते हुए श्वेत पत्र जारी करना चाहिए, ताकि यह साफ हो सके कि प्रदेश में करोड़ों रुपये किन मदों में खर्च किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि आर्थिक आंकड़ों और ज़मीनी हालात में बड़ा अंतर दिखाई दे रहा है, जिससे जनता में असंतोष बढ़ रहा है।
युवाओं और रोजगार के मुद्दे पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि अस्थायी व्यवस्थाओं और न्यूनतम वेतन पर नियुक्तियों का चलन बढ़ रहा है, जिससे युवा वर्ग असुरक्षित महसूस कर रहा है। उनके अनुसार, यह स्थिति दीर्घकाल में प्रदेश के विकास ढांचे को भी प्रभावित कर सकती है।
उन्होंने कहा कि वर्तमान सरकार के तीन वर्ष पूरे होने के बाद भी कोई ठोस जनहितकारी निर्णय सामने नहीं आया है, और कई मोर्चों पर प्रशासनिक चुनौतियाँ बनी हुई हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेश की आर्थिक स्थिति जिस दिशा में बढ़ रही है, वह गंभीर समीक्षा और ठोस निर्णयों की मांग करती है।
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