
डीसी राहुल कुमार बोले आपदा जोखिम न्यूनीकरण को ग्राम स्तर पर एक जन-आंदोलन बनाना है उद्देश्य
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बिलासपुर, 1 अक्तूबर [ शिवानी ] : हिमाचल प्रदेश राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण द्वारा 1 से 31 अक्तूबर तक राज्यव्यापी जन-जागरूकता अभियान “समर्थ-2025” का आयोजन किया जा रहा है। यह अभियान हर वर्ष 13 अक्तूबर को मनाए जाने वाले अंतर्राष्ट्रीय आपदा जोखिम न्यूनीकरण दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित किया जाएगा। इस पहल के तहत जिला बिलासपुर की सभी ग्राम सभाओं को प्रोत्साहित किया गया है कि वह 2 अक्तूबर को होने वाली बैठकों में आपदा प्रबंधन को विशेष एजेंडे के रूप में शामिल करें। इसका उद्देश्य आपदा जोखिम न्यूनीकरण को ग्राम स्तर पर एक जन-आंदोलन के रूप में सशक्त बनाना है। यह जानकारी जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के अध्यक्ष एवं उपायुक्त बिलासपुर राहुल कुमार ने दी। उन्होंने बताया कि सतत विकास की दिशा में आपदा प्रबंधन एक महत्वपूर्ण प्राथमिकता बन चुका है। पंचायत प्रतिनिधि स्थानीय स्तर पर न केवल जन-जागरूकता फैलाने में अहम भूमिका निभाते हैं, बल्कि आपदा की स्थिति में राहत, पुनर्वास और पुनर्निर्माण के कार्यों में भी अग्रणी रहते हैं। आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 के तहत पंचायतों की यह जिम्मेदारी है कि उनके अधिकारी और कर्मचारी आपदा प्रबंधन में प्रशिक्षित हों, आवश्यक संसाधन उपलब्ध हों और सभी निर्माण कार्य आपदा-रोधी मानकों के अनुरूप हों। साथ ही सिविल डिफेंस अधिनियम, 1968 के अनुसार पंचायत प्रधान को सिविल डिफेंस वार्डन की भूमिका भी निभानी होती है। उन्होंने कहा कि ग्राम सभाओं में भूस्खलन से बचाव, सुरक्षित एवं पारंपरिक निर्माण पद्धतियों को बढ़ावा, असुरक्षित कटान और मलबा निस्तारण के खतरे, वर्षा जल निकासी प्रणाली का विकास, प्राकृतिक नालों में निर्माण पर रोक, अवैध कब्जों को हटाना, सामुदायिक तैयारी और समय पर प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली जैसे विषयों पर विचार-विमर्श होगा। समुदाय की क्षमता निर्माण के लिए जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने प्रत्येक पंचायत में 10 से 15 प्रशिक्षित युवाओं की टास्क फोर्स गठित करने की योजना शुरू की है। ये युवा पंचायत प्रधान के नेतृत्व में आपदा की स्थिति में त्वरित प्रतिक्रिया देंगे। इसके अतिरिक्त पंचायत आपात प्रतिक्रिया केंद्र स्थापित करने की अधिसूचना भी जारी की गई है। उपायुक्त ने लोगों से अपील की कि वह अपने स्तर पर सरल व प्रभावी सुरक्षा उपाय अपनाएं। इनमें घरों को भूकंप एवं आपदा-रोधी बनाना, पुराने भवनों का रेट्रोफिटिंग करना, आपातकालीन किट तैयार रखना, प्राथमिक उपचार एवं बचाव तकनीक सीखना, अग्निशामक यंत्र का उपयोग करना, प्रारंभिक चेतावनियों के प्रति सजग रहना और अफवाहों से बचकर केवल आधिकारिक सूचनाओं पर भरोसा करना शामिल है। उन्होंने कहा कि आमजन को भी अपनी आपातकालीन योजना पहले से तैयार रखनी चाहिए, ताकि किसी भी परिस्थिति में समुदाय अधिक सशक्त और लचीला बन सके। “समर्थ-2025” के अंतर्गत आयोजित होने वाली ग्राम सभा बैठकें न केवल आपदा जोखिम न्यूनीकरण के महत्व को रेखांकित करेंगी, बल्कि सुरक्षित और टिकाऊ हिमाचल के निर्माण की दिशा में सामुदायिक भागीदारी को भी सुनिश्चित करेंगी।
बिलासपुर, 1 अक्तूबर [ शिवानी ] : हिमाचल प्रदेश राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण द्वारा 1 से 31 अक्तूबर तक राज्यव्यापी जन-जागरूकता अभियान “समर्थ-2025” का आयोजन किया जा रहा है। यह अभियान हर वर्ष 13 अक्तूबर को मनाए जाने वाले अंतर्राष्ट्रीय आपदा जोखिम न्यूनीकरण दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित किया जाएगा।
इस पहल के तहत जिला बिलासपुर की सभी ग्राम सभाओं को प्रोत्साहित किया गया है कि वह 2 अक्तूबर को होने वाली बैठकों में आपदा प्रबंधन को विशेष एजेंडे के रूप में शामिल करें। इसका उद्देश्य आपदा जोखिम न्यूनीकरण को ग्राम स्तर पर एक जन-आंदोलन के रूप में सशक्त बनाना है। यह जानकारी जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के अध्यक्ष एवं उपायुक्त बिलासपुर राहुल कुमार ने दी।
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उन्होंने बताया कि सतत विकास की दिशा में आपदा प्रबंधन एक महत्वपूर्ण प्राथमिकता बन चुका है। पंचायत प्रतिनिधि स्थानीय स्तर पर न केवल जन-जागरूकता फैलाने में अहम भूमिका निभाते हैं, बल्कि आपदा की स्थिति में राहत, पुनर्वास और पुनर्निर्माण के कार्यों में भी अग्रणी रहते हैं।
आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 के तहत पंचायतों की यह जिम्मेदारी है कि उनके अधिकारी और कर्मचारी आपदा प्रबंधन में प्रशिक्षित हों, आवश्यक संसाधन उपलब्ध हों और सभी निर्माण कार्य आपदा-रोधी मानकों के अनुरूप हों। साथ ही सिविल डिफेंस अधिनियम, 1968 के अनुसार पंचायत प्रधान को सिविल डिफेंस वार्डन की भूमिका भी निभानी होती है।
उन्होंने कहा कि ग्राम सभाओं में भूस्खलन से बचाव, सुरक्षित एवं पारंपरिक निर्माण पद्धतियों को बढ़ावा, असुरक्षित कटान और मलबा निस्तारण के खतरे, वर्षा जल निकासी प्रणाली का विकास, प्राकृतिक नालों में निर्माण पर रोक, अवैध कब्जों को हटाना, सामुदायिक तैयारी और समय पर प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली जैसे विषयों पर विचार-विमर्श होगा।
समुदाय की क्षमता निर्माण के लिए जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने प्रत्येक पंचायत में 10 से 15 प्रशिक्षित युवाओं की टास्क फोर्स गठित करने की योजना शुरू की है। ये युवा पंचायत प्रधान के नेतृत्व में आपदा की स्थिति में त्वरित प्रतिक्रिया देंगे। इसके अतिरिक्त पंचायत आपात प्रतिक्रिया केंद्र स्थापित करने की अधिसूचना भी जारी की गई है।
उपायुक्त ने लोगों से अपील की कि वह अपने स्तर पर सरल व प्रभावी सुरक्षा उपाय अपनाएं। इनमें घरों को भूकंप एवं आपदा-रोधी बनाना, पुराने भवनों का रेट्रोफिटिंग करना, आपातकालीन किट तैयार रखना, प्राथमिक उपचार एवं बचाव तकनीक सीखना, अग्निशामक यंत्र का उपयोग करना, प्रारंभिक चेतावनियों के प्रति सजग रहना और अफवाहों से बचकर केवल आधिकारिक सूचनाओं पर भरोसा करना शामिल है। उन्होंने कहा कि आमजन को भी अपनी आपातकालीन योजना पहले से तैयार रखनी चाहिए, ताकि किसी भी परिस्थिति में समुदाय अधिक सशक्त और लचीला बन सके।
“समर्थ-2025” के अंतर्गत आयोजित होने वाली ग्राम सभा बैठकें न केवल आपदा जोखिम न्यूनीकरण के महत्व को रेखांकित करेंगी, बल्कि सुरक्षित और टिकाऊ हिमाचल के निर्माण की दिशा में सामुदायिक भागीदारी को भी सुनिश्चित करेंगी।
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