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बिलासपुर , 28 अगस्त [ विशाल सूद ] ! बिलासपुर जिला मुख्यालय के बचत भवन में नशा मुक्ति केंद्र की स्थापना को लेकर समीक्षा बैठक का आयोजन किया गया, जिसकी अध्यक्षता उपायुक्त बिलासपुर राहुल कुमार ने की। उपायुक्त ने बताया कि जिले में पहले नशा मुक्ति केंद्र की स्थापना की दिशा में लगभग 90 प्रतिशत कार्य पूरा कर लिया गया है। भवन की मरम्मत, स्टाफ की उपलब्धता, बजट प्रावधान और अन्य आवश्यक औपचारिकताएं लगभग पूरी हो चुकी हैं। उन्होंने जानकारी दी कि इस केंद्र के लिए स्वारघाट में वन विभाग के अंतर्गत मिड हिमाइलन वॉटर शेड प्रोजेक्ट के तहत निर्मित भवन का चयन किया गया है। यह भवन प्रोजेक्ट समाप्त होने के बाद कई वर्षों से उपयोग में नहीं था, जिसे अब नये स्वरूप में नशा मुक्ति केंद्र के रूप में विकसित किया जा रहा है। नशा मुक्ति केंद्र 15 बेड का होगा और इसे केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित सभी मानकों के अनुरूप संचालित किया जाएगा। इसमें मरीजों के लिए आठ कमरे, डॉक्टर रूम और अटेंडेंट रूम सहित सभी आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध करवाई जाएंगी। भवन का कुल क्षेत्रफल 2304.56 वर्ग फुट है, जबकि न्यूनतम शर्त 2000 वर्ग फुट की है। केंद्र के संचालन के लिए जिला स्तरीय समिति का गठन किया गया है, जिसमें जिला प्रशासन के अधिकारियों के साथ-साथ रेड क्रॉस और अदानी फाउंडेशन के प्रतिनिधि सदस्य होंगे। यह केंद्र पीपीपी मॉडल पर चलेगा और अदानी फाउंडेशन इसमें सहयोग करेगा। उपायुक्त ने कहा कि यह नशा मुक्ति केंद्र नशे की लत से जूझ रहे लोगों को उपचार, परामर्श और पुनर्वास की सुविधाएं उपलब्ध करवाएगा। इसके माध्यम से प्रभावित लोग आत्मनिर्भर बनकर समाज की मुख्यधारा में लौट सकेंगे और एक स्वस्थ व संतुलित जीवन जी पाएंगे। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि बिलासपुर जिला सीमावर्ती क्षेत्र है और यहां से होकर गुजरने वाला फोरलेन सीधे कुल्लू-मनाली की ओर जाता है। इस वजह से नशीले पदार्थों की तस्करी में वृद्धि देखी गई है। इस गंभीर चुनौती से निपटने के लिए नशा मुक्ति केंद्र की स्थापना को अत्यंत आवश्यक कदम माना गया है।
बिलासपुर , 28 अगस्त [ विशाल सूद ] ! बिलासपुर जिला मुख्यालय के बचत भवन में नशा मुक्ति केंद्र की स्थापना को लेकर समीक्षा बैठक का आयोजन किया गया, जिसकी अध्यक्षता उपायुक्त बिलासपुर राहुल कुमार ने की। उपायुक्त ने बताया कि जिले में पहले नशा मुक्ति केंद्र की स्थापना की दिशा में लगभग 90 प्रतिशत कार्य पूरा कर लिया गया है। भवन की मरम्मत, स्टाफ की उपलब्धता, बजट प्रावधान और अन्य आवश्यक औपचारिकताएं लगभग पूरी हो चुकी हैं।
उन्होंने जानकारी दी कि इस केंद्र के लिए स्वारघाट में वन विभाग के अंतर्गत मिड हिमाइलन वॉटर शेड प्रोजेक्ट के तहत निर्मित भवन का चयन किया गया है। यह भवन प्रोजेक्ट समाप्त होने के बाद कई वर्षों से उपयोग में नहीं था, जिसे अब नये स्वरूप में नशा मुक्ति केंद्र के रूप में विकसित किया जा रहा है।
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नशा मुक्ति केंद्र 15 बेड का होगा और इसे केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित सभी मानकों के अनुरूप संचालित किया जाएगा। इसमें मरीजों के लिए आठ कमरे, डॉक्टर रूम और अटेंडेंट रूम सहित सभी आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध करवाई जाएंगी। भवन का कुल क्षेत्रफल 2304.56 वर्ग फुट है, जबकि न्यूनतम शर्त 2000 वर्ग फुट की है।
केंद्र के संचालन के लिए जिला स्तरीय समिति का गठन किया गया है, जिसमें जिला प्रशासन के अधिकारियों के साथ-साथ रेड क्रॉस और अदानी फाउंडेशन के प्रतिनिधि सदस्य होंगे। यह केंद्र पीपीपी मॉडल पर चलेगा और अदानी फाउंडेशन इसमें सहयोग करेगा।
उपायुक्त ने कहा कि यह नशा मुक्ति केंद्र नशे की लत से जूझ रहे लोगों को उपचार, परामर्श और पुनर्वास की सुविधाएं उपलब्ध करवाएगा। इसके माध्यम से प्रभावित लोग आत्मनिर्भर बनकर समाज की मुख्यधारा में लौट सकेंगे और एक स्वस्थ व संतुलित जीवन जी पाएंगे।
उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि बिलासपुर जिला सीमावर्ती क्षेत्र है और यहां से होकर गुजरने वाला फोरलेन सीधे कुल्लू-मनाली की ओर जाता है। इस वजह से नशीले पदार्थों की तस्करी में वृद्धि देखी गई है। इस गंभीर चुनौती से निपटने के लिए नशा मुक्ति केंद्र की स्थापना को अत्यंत आवश्यक कदम माना गया है।
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