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शिमला !मुख्यमंत्री सुख-आश्रय योजना औपचारिक रूप से शुरू, योजना के पात्र बच्चों को मुख्यमंत्री ने 4.68 करोड़ रुपये के वित्तीय लाभ वितरित किए 10वीं कक्षा में बेहतर प्रदर्शन के लिए 30 मेधावी छात्रों को प्रदान किए लैपटॉप, द्वितीय चरण में 10वीं तथा 12वीं कक्षा के 268 बच्चों को मिलेंगे लैपटॉप नए चिन्हित 2700 अनाथ बच्चों को भी मिलेगी चार हज़ार रुपये मासिक वित्तीय सहायता: ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू ने आज शिमला के ऐतिहासिक रिज मैदान से राज्य स्तरीय समारोह में अनाथ, विशेष रूप से सक्षम बच्चों, निराश्रित महिलाओं और वृद्धजनों को व्यापक सहायता के दृष्टिगत मुख्यमंत्री सुख-आश्रय योजना की औपचारिक शुरूआत की। इसके साथ ही हिमाचल अनाथ बच्चों एवं अन्य वंचित वर्गों की मदद के लिए कानून बनाकर यह योजना लागू करने वाला देश का पहला राज्य बन गया। मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर योजना के पात्र बच्चों को 4.68 करोड़ रुपये के वित्तीय लाभ का वितरण भी किया। इसमें उच्च शिक्षा प्राप्त कर रहे 48 अनाथ बच्चों को फीस और छात्रावास व्यय के रूप में 15.52 लाख रुपये तथा मासिक व्यय के रूप में 11.52 लाख रुपये शामिल हैं। इसके अतिरिक्त विभिन्न व्यावसायिक पाठ्यक्रमों में अध्ययनरत 17 अनाथ बच्चों को 7.02 लाख रुपये फीस तथा 4.08 लाख रुपये मासिक व्यय का वितरण किया गया। मुख्यमंत्री ने पालक देखभाल एवं प्रायोजन (फोस्टर केयर) के अन्तर्गत 1106 लाभार्थियों को 2.65 करोड़ रुपये के वित्तीय लाभ हस्तांतरित किए। इसके अतिरिक्त बाल देखभाल संस्थानों के 12वीं कक्षा के 30 मेधावी छात्रों को 10वीं कक्षा में बेहतर प्रदर्शन के लिए लैपटॉप प्रदान किए गए। उन्होंने लघु एवं सूक्ष्म उद्योगों की स्थापना के लिए तीन लाभार्थियों को छह लाख रुपये का आवंटन भी किया। ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि वर्तमान प्रदेश सरकार राज्य में अनाथ एवं अन्य वंचित वर्गों के कल्याण के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि इसी रिज मैदान पर शपथ लेने के बाद वे बतौर मुख्यमंत्री सचिवालय के बजाय टुटीकंडी स्थित बालिका आश्रम पहुंचे और वहीं उन्हें इन वर्गों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए इस तरह की योजना का विचार आया। उन्होंने कहा कि विभिन्न वित्तीय चुनौतियों और और हाल ही में आई आपदा के बावजूद प्रदेश सरकार ने इस योजना को आरंभ करने का अपना संकल्प पूरा किया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि सुख-आश्रय योजना के अन्तर्गत नए चिन्हित किए गए लगभग 2700 अनाथ बच्चे, जो कि अपने रिश्तेदारों के साथ रह रहे हैं, उन्हें भी 27 वर्ष की आयु पूर्ण होने तक 4000 रुपये मासिक वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार इन बच्चों के संरक्षण के लिए पूर्ण रूप से प्रतिबद्ध है और इस योजना में मातृत्व देखभाल की आवश्यकता वाले प्रत्येक बच्चे के लिए एक परिचारिका का भी प्रावधान किया गया है और प्रत्येक बढ़ते तीन बच्चों के लिए एक मैट्रन का भी प्रावधान है। ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि योजना के अन्तर्गत अनाथ बच्चों को वार्षिक आधार पर 15 दिवसीय अध्ययन भ्रमण करवाया जाएगा, जिस दौरान उन्हें तीन सितारा होटलों में ठहराने सहित उनकी हवाई यात्रा तथा अन्य व्यय प्रदेश सरकार द्वारा वहन किया जाएगा। उन्होंने कहा कि अनाथ बच्चों को प्रदत्त यह अधिकार दया के रूप में नहीं अपितु एक कानून बनाकर उन्हें उपलब्ध करवाया गया है। मुख्यमंत्री ने इन बच्चों को प्रोत्साहित करते हुए कहा कि वे बड़े सपने देखें और उन्हें पूरा करने के लिए कड़ी मेहनत करें। उन्होंने कहा कि एकाग्रता, दृढ़ इच्छा शक्ति और कड़ी मेहनत सफलता की ओर ले जाती है और यह बच्चे हिमाचल प्रदेश का भविष्य हैं। उन्होंने आश्वस्त किया कि यह बच्चे जीवन में अकेले नहीं हैं और समस्त समाज उन्हें समाहित करने के लिए आगे आ रहा है।
शिमला !मुख्यमंत्री सुख-आश्रय योजना औपचारिक रूप से शुरू, योजना के पात्र बच्चों को मुख्यमंत्री ने 4.68 करोड़ रुपये के वित्तीय लाभ वितरित किए 10वीं कक्षा में बेहतर प्रदर्शन के लिए 30 मेधावी छात्रों को प्रदान किए लैपटॉप, द्वितीय चरण में 10वीं तथा 12वीं कक्षा के 268 बच्चों को मिलेंगे लैपटॉप नए चिन्हित 2700 अनाथ बच्चों को भी मिलेगी चार हज़ार रुपये मासिक वित्तीय सहायता: ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू ने आज शिमला के ऐतिहासिक रिज मैदान से राज्य स्तरीय समारोह में अनाथ, विशेष रूप से सक्षम बच्चों, निराश्रित महिलाओं और वृद्धजनों को व्यापक सहायता के दृष्टिगत मुख्यमंत्री सुख-आश्रय योजना की औपचारिक शुरूआत की।
इसके साथ ही हिमाचल अनाथ बच्चों एवं अन्य वंचित वर्गों की मदद के लिए कानून बनाकर यह योजना लागू करने वाला देश का पहला राज्य बन गया।
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मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर योजना के पात्र बच्चों को 4.68 करोड़ रुपये के वित्तीय लाभ का वितरण भी किया। इसमें उच्च शिक्षा प्राप्त कर रहे 48 अनाथ बच्चों को फीस और छात्रावास व्यय के रूप में 15.52 लाख रुपये तथा मासिक व्यय के रूप में 11.52 लाख रुपये शामिल हैं। इसके अतिरिक्त विभिन्न व्यावसायिक पाठ्यक्रमों में अध्ययनरत 17 अनाथ बच्चों को 7.02 लाख रुपये फीस तथा 4.08 लाख रुपये मासिक व्यय का वितरण किया गया।
मुख्यमंत्री ने पालक देखभाल एवं प्रायोजन (फोस्टर केयर) के अन्तर्गत 1106 लाभार्थियों को 2.65 करोड़ रुपये के वित्तीय लाभ हस्तांतरित किए। इसके अतिरिक्त बाल देखभाल संस्थानों के 12वीं कक्षा के 30 मेधावी छात्रों को 10वीं कक्षा में बेहतर प्रदर्शन के लिए लैपटॉप प्रदान किए गए। उन्होंने लघु एवं सूक्ष्म उद्योगों की स्थापना के लिए तीन लाभार्थियों को छह लाख रुपये का आवंटन भी किया।
ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि वर्तमान प्रदेश सरकार राज्य में अनाथ एवं अन्य वंचित वर्गों के कल्याण के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि इसी रिज मैदान पर शपथ लेने के बाद वे बतौर मुख्यमंत्री सचिवालय के बजाय टुटीकंडी स्थित बालिका आश्रम पहुंचे और वहीं उन्हें इन वर्गों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए इस तरह की योजना का विचार आया। उन्होंने कहा कि विभिन्न वित्तीय चुनौतियों और और हाल ही में आई आपदा के बावजूद प्रदेश सरकार ने इस योजना को आरंभ करने का अपना संकल्प पूरा किया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सुख-आश्रय योजना के अन्तर्गत नए चिन्हित किए गए लगभग 2700 अनाथ बच्चे, जो कि अपने रिश्तेदारों के साथ रह रहे हैं, उन्हें भी 27 वर्ष की आयु पूर्ण होने तक 4000 रुपये मासिक वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार इन बच्चों के संरक्षण के लिए पूर्ण रूप से प्रतिबद्ध है और इस योजना में मातृत्व देखभाल की आवश्यकता वाले प्रत्येक बच्चे के लिए एक परिचारिका का भी प्रावधान किया गया है और प्रत्येक बढ़ते तीन बच्चों के लिए एक मैट्रन का भी प्रावधान है।
ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि योजना के अन्तर्गत अनाथ बच्चों को वार्षिक आधार पर 15 दिवसीय अध्ययन भ्रमण करवाया जाएगा, जिस दौरान उन्हें तीन सितारा होटलों में ठहराने सहित उनकी हवाई यात्रा तथा अन्य व्यय प्रदेश सरकार द्वारा वहन किया जाएगा। उन्होंने कहा कि अनाथ बच्चों को प्रदत्त यह अधिकार दया के रूप में नहीं अपितु एक कानून बनाकर उन्हें उपलब्ध करवाया गया है।
मुख्यमंत्री ने इन बच्चों को प्रोत्साहित करते हुए कहा कि वे बड़े सपने देखें और उन्हें पूरा करने के लिए कड़ी मेहनत करें। उन्होंने कहा कि एकाग्रता, दृढ़ इच्छा शक्ति और कड़ी मेहनत सफलता की ओर ले जाती है और यह बच्चे हिमाचल प्रदेश का भविष्य हैं। उन्होंने आश्वस्त किया कि यह बच्चे जीवन में अकेले नहीं हैं और समस्त समाज उन्हें समाहित करने के लिए आगे आ रहा है।
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