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सोलन , [ बद्दी ] 22 जनवरी [ पंकज गोल्डी ] ! बद्दी के एक युवा ने कैंसर से जूझ रहे अपने पिता को सबल देने के लिए अपने हाथ पर माता पिता की तस्वीर गुदवा कर अनोखे ढंग से अपने स्नेह को प्रदर्शित किया है। यह युवा संदीप गोस्वामी बददी के श्री कृष्ण निर्मल नीर सोल्यूशन उद्योग में कार्य करता है। संदीप जो कि झारखंड के रहने वाले हैं के पिता मनोज कुमार गोस्वामी (54) कैंसर के असाध्य रोग से जूझ रहे हैं और संगरूर पंजाब के टाटा मेमोरियल कैंसर अस्पताल में उपचाराधीन है। मनोन ने बताया कि जब भी कैंसर अस्पताल में जाते हैं तो उनकी आंखों के सामने वो पल याद आ जाते हैं कि किस प्रकार उनके माता पिता ने उनको सैकड़ों कष्ट सहकर पाला पोसा और बड़ा किया और काबिल बनाया। संदीप ने बताया कि पिता व पुत्र का रिश्ता एक ऐसा रिश्ता होता है जिसमें पिता अपने बेटे से प्यार तो बेहद करता है लेकिन कभी भी आई लव यू नहीं कह पाता। इसी प्रकार बेटा भी अपने पिता के संघर्ष को समझता है लेकिन कभी प्यार प्रदर्शित नहीं कर पाता। संदीप ने आगे बताया कि कैंसर अस्पताल में जब वो गया तो उसने पिता को सबल देने के लिए तथा उनके प्रति प्यार, स्नेह व मोहब्बत जताने के लिए अपने हाथ पर भगवान स्वरुप मां पिता का चित्र टैटू से बनाया। यह आम टैटू न होकर माता पिता की असली तस्वीर थी जिसको बनाने मे छह घंटे से ज्यादा समय लगा और बहुत ज्यादा कष्ट शरीर को हुआ। संदीप ने कहा कि कहा कि जहां पिता हमारा लालन पोषण करते हैं वहीं मां हमें नौ माह गर्भ में रखती है और अतुल्य कष्ट देकर हमें जन्म देती है इसलिए साथ में मां की तस्वीर भी बनाई गई। संदीप ने बताया कि मां शांता गोस्वामी-बाप मनोज गोस्वामी के इन तस्वीरों को बाजू पर बनवाने का एक ही भाव रहा है कि अपने माता पिता के प्रति हमें हमेशा कृतज्ञ व समर्पित रहना चाहिए और कभी भी किसी भी कीमत पर उनकी उपेक्षा नहीं जानी चाहिए। मां बाप हमें जन्म देते हैं और वही असली भगवान होते हैं । उन्होने कहा कि मेरे पिता को जब मैने उनकी तस्वीर दिखाई तो वह बहुत भावुक हो उठे और उनकी आंखो में आंसू झलक उठे। मैने पिता की तस्वीर इसलिए बनवाई ताकि उनमें जीवन की निराशा पैदा न हो और उनमें जीने का भाव बना रहे क्योंकि ऐसी बीमारी से पीड़ित व्यक्ति की जीने की इच्छा कम होती जाती है। इस तस्वीर से उनका मेरे प्रति लगाव और प्रेम और बढ़ेगा तो उनमें जीने की इच्छा शक्ति पैदा होगी जो कि मेरे लिए एक तोहफे से कम नहीं होगा। उन्होने कहा कि हम श्रवण कुमार तो नहीं बन सकते लेकिन मां बाप के प्रति अपनी मोहब्बत व स्नेह तो जाहिर कर सकते हैं। https://youtube.com/playlist?list=PLfNkwz3upB7OrrnGCDxBewe7LwsUn1bhs
सोलन , [ बद्दी ] 22 जनवरी [ पंकज गोल्डी ] ! बद्दी के एक युवा ने कैंसर से जूझ रहे अपने पिता को सबल देने के लिए अपने हाथ पर माता पिता की तस्वीर गुदवा कर अनोखे ढंग से अपने स्नेह को प्रदर्शित किया है। यह युवा संदीप गोस्वामी बददी के श्री कृष्ण निर्मल नीर सोल्यूशन उद्योग में कार्य करता है। संदीप जो कि झारखंड के रहने वाले हैं के पिता मनोज कुमार गोस्वामी (54) कैंसर के असाध्य रोग से जूझ रहे हैं और संगरूर पंजाब के टाटा मेमोरियल कैंसर अस्पताल में उपचाराधीन है। मनोन ने बताया कि जब भी कैंसर अस्पताल में जाते हैं तो उनकी आंखों के सामने वो पल याद आ जाते हैं कि किस प्रकार उनके माता पिता ने उनको सैकड़ों कष्ट सहकर पाला पोसा और बड़ा किया और काबिल बनाया। संदीप ने बताया कि पिता व पुत्र का रिश्ता एक ऐसा रिश्ता होता है जिसमें पिता अपने बेटे से प्यार तो बेहद करता है लेकिन कभी भी आई लव यू नहीं कह पाता।
इसी प्रकार बेटा भी अपने पिता के संघर्ष को समझता है लेकिन कभी प्यार प्रदर्शित नहीं कर पाता। संदीप ने आगे बताया कि कैंसर अस्पताल में जब वो गया तो उसने पिता को सबल देने के लिए तथा उनके प्रति प्यार, स्नेह व मोहब्बत जताने के लिए अपने हाथ पर भगवान स्वरुप मां पिता का चित्र टैटू से बनाया। यह आम टैटू न होकर माता पिता की असली तस्वीर थी जिसको बनाने मे छह घंटे से ज्यादा समय लगा और बहुत ज्यादा कष्ट शरीर को हुआ। संदीप ने कहा कि कहा कि जहां पिता हमारा लालन पोषण करते हैं वहीं मां हमें नौ माह गर्भ में रखती है और अतुल्य कष्ट देकर हमें जन्म देती है इसलिए साथ में मां की तस्वीर भी बनाई गई।
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संदीप ने बताया कि मां शांता गोस्वामी-बाप मनोज गोस्वामी के इन तस्वीरों को बाजू पर बनवाने का एक ही भाव रहा है कि अपने माता पिता के प्रति हमें हमेशा कृतज्ञ व समर्पित रहना चाहिए और कभी भी किसी भी कीमत पर उनकी उपेक्षा नहीं जानी चाहिए। मां बाप हमें जन्म देते हैं और वही असली भगवान होते हैं । उन्होने कहा कि मेरे पिता को जब मैने उनकी तस्वीर दिखाई तो वह बहुत भावुक हो उठे और उनकी आंखो में आंसू झलक उठे।
मैने पिता की तस्वीर इसलिए बनवाई ताकि उनमें जीवन की निराशा पैदा न हो और उनमें जीने का भाव बना रहे क्योंकि ऐसी बीमारी से पीड़ित व्यक्ति की जीने की इच्छा कम होती जाती है। इस तस्वीर से उनका मेरे प्रति लगाव और प्रेम और बढ़ेगा तो उनमें जीने की इच्छा शक्ति पैदा होगी जो कि मेरे लिए एक तोहफे से कम नहीं होगा। उन्होने कहा कि हम श्रवण कुमार तो नहीं बन सकते लेकिन मां बाप के प्रति अपनी मोहब्बत व स्नेह तो जाहिर कर सकते हैं।
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